लोकसभा चुनाव से पहले प्रदेश में भाजपा की सदस्यता लेने की मची होड़
लोकसभा चुनाव की तैयारियां जोरों पर चल रही हैं। भाजपा दो कदम आगे निकल चुकी है। उसके पास कार्यकर्ताओं की संख्या अधिक है। वहीं कांग्रेस का युवा नेतृत्व इस प्रयास में लगा है कि वह अपना प्रदेश से प्रतिनिधित्व बनाये रखे। बड़े नेताओं के दलबदल की संभावना के बीच कांग्रेस का कार्यकर्ता भाजपा की सदस्यता लेने की होड़ में शामिल हो चुका है।
विशेष प्रतिनिधि, भोपाल। लोकसभा चुनाव की तैयारियां जोरों पर चल रही हैं। भाजपा दो कदम आगे निकल चुकी है। उसके पास कार्यकर्ताओं की संख्या अधिक है। वहीं कांग्रेस का युवा नेतृत्व इस प्रयास में लगा है कि वह अपना प्रदेश से प्रतिनिधित्व बनाये रखे। बड़े नेताओं के दलबदल की संभावना के बीच कांग्रेस का कार्यकर्ता भाजपा की सदस्यता लेने की होड़ में शामिल हो चुका है। अभी तब सैंकड़ों कार्यकर्ता सदस्यता ले चुके हैं। सबसे अधिक सदस्य महाकौशल से बनने के कारण कुछ बड़े नाम भी चुनाव से पहले सदस्यता ले सकते हैं। राजनीतिक गलियारों में इस बात की खासी चर्चा है कि आखिर कांग्रेस अपने नेताओं और कार्यकर्ताओं को संभाल क्यों नहीं पा रही है? जिन क्षेत्रों में कांग्रेस को ताकतवर माना गया था वहां से मची भगदड़ की अपनी ही कहानी है। सबसे पहले मुरैना के नेता भाजपा में आये। मुरैना वह लोकसभा क्षेत्र है जहां भाजपा कमजोर प्रदर्शन कर पाई थी। इसके बाद यह चर्चा चली कि कांग्रेस के तीन बड़े नेता भाजपा की सदस्यता लेने के लिए डील कर रहे हैं। उन्हीं के जिलों के कांग्रेस नेता सदस्यता ले रहे हैं। सबसे पहले जबलपुर के महापौर आये बाद में डिंडोरी के जिला पंचायत के पदाधिकारी। इसके बाद जबलपुर और छिन्दवाड़ा के नेताओं का दौर-दौरा है। इसका राजनीतिक मायने भी निकाला जा रहा है।
प्रतिदिन जिस दिन तरह से नेताओं के नाम आ रहे हैं और संख्या बढ़ती जा रही है भाजपा में भी कार्यकर्ताओं के समीकरण बदते दिखाई दे रहे हैं। सूत्रों का कहना है कि कई बड़े नाम भी सदस्यता के लिए डील कर रहे हैं। यह माना जा रहा है कि ये वे नाम होंगे जो प्रदेश की राजनीति को प्रभावित कर सकते हैं। राज्यसभा के लिए कांग्रेस का नाम सामने आने के बाद यह भगदड़ और आगे बढ़ सकती है। अभी तक चर्चाओं में कमलनाथ का नाम भी आया था। लेकिन उन्होंने खुद इसका खंडन किया है। उनके करीबी लोगों का कहना है कि कमलनाथ परिवार कांग्रेस की नीतियों से खुश नहीं है इसलिए कोई भी निर्णय लिया जा सकता है।
विवेक तन्खा के नाम की चर्चा है। हालांकि ऐसा ही खंडन उन्होंने भी किया है। राज्यसभा की सीट निरन्तर या जबलपुर से लोकसभा प्रत्याशी की डील होने पर वे कोई निर्णय ले सकते हैं ऐसा अनुमान है। यह माना जा रहा है कि आने वाले समय में सदस्यता लेने वालों के नाम अधिक हो सकते हैं। भाजपा ने भी रणनीति के तहत यह अभियान चलाया हुआ है। प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा ने एक अवसर पर डॉ. नरोत्तम मिश्र को इसकी जवाबदारी देने की बात कही थी। हर अभियान वाले समय नरोत्तम का हाजिर होना यह बता भी रहा है कि वे इन दिनों संगठन के लिए अपना अधिक समय दे रहे हैं। उनकी सक्रियता के कई मायने निकाले जा रहे हैं। कांग्रेस के प्रयास कमजोर दिखाई दे रहे हैं और कई नेता भाजपा में सदस्यता ले सकते हैं।