भारत की शान्ति पर जगत भरोसा करता है क्योंकि यहां यह संस्कार है?
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी इन दिनों विदेश प्रवास पर हैं। वे पोलैंड के बाद उस यूक्रेन में भी जाने वाले हैं जहां युद्ध चल रहा है। पिछले दिनों प्रधानमंत्री मोदी रूस भी गये थे। वहां उन्होंने राष्ट्रपति पुतिन को कहा था कि युद्ध के मैदान से शान्ति नहीं निकली है वहां तो बारूद की भाषा बोली जाती है।
सुरेश शर्मा, भोपाल।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी इन दिनों विदेश प्रवास पर हैं। वे पोलैंड के बाद उस यूक्रेन में भी जाने वाले हैं जहां युद्ध चल रहा है। पिछले दिनों प्रधानमंत्री मोदी रूस भी गये थे। वहां उन्होंने राष्ट्रपति पुतिन को कहा था कि युद्ध के मैदान से शान्ति नहीं निकली है वहां तो बारूद की भाषा बोली जाती है। शान्ति के लिए केवल वार्ता की रास्ता होता है। लेकिन वार्ता के लिए वातावरण कौन बनायेगा? वे देश जिनमें शान्ति स्थापित करवाने की क्षमता है वे तो युद्ध की विभिषीका को अपने व्यापार में बदल रहे हैं। ऐसे में समूचा विश्व केवल भारत की ओर ही देख सकता है। अब रूख के बाद प्रधानमंत्री मोदी यूक्रेन भी जा रहे हैं। वहां वे कुछ ऐसा करने वाले हैं जिससे युद्ध को रोकने का रास्ता दिखाई देगा। यह माना जा सकता है कि उनके पास पुतिन की बातों का एक गुलदस्ता होगा और उससे शान्ति का पैगाम भारत निकाल पायेगा? यही तो आज का भारत है। निश्चित रूप से दोनो ही देश युद्ध से थक चुके होंगे और अपनी ताकत दिखाने के लिए विनाश का रास्ता सोच रहे होंगे। उसे रोकने के प्रयास की जरूरत है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पोलैंड में थे। वहां उन्होंने सरकार के साथ द्विपक्षीय बातचीत में संदेश दे दिया है कि युद्ध शान्ति नहीं दे सकता है। मतलब यूक्रेन में कुछ तो चल ही रहा होगा। वहां अधिकारियों में चर्चा चल रही होगी कि भारत के प्रधानमंत्री के साथ किस प्रकार की बातों का नतीजा निकलेगा। क्या कोई राह है? यूक्रेन के राष्ट्रपति से बात करने की स्थिति किस दिशा में जायेगी? भारत आशावान है और शान्ति का अपना पैगाम देने की स्थिति में वह है। यहां समझने वाली बात है कि शान्ति का संदेश ईसाइयत देता है लेकिन वह युद्ध काे बाजार भी समझता है। भारत न केवल शान्ति की बात करता है अपिुत वह विश्व कल्याण की मानसिकता भी रखता है। यह उसकी संस्कृति का मूलाधार है। इन दिनों सनातन विचार को मानने वालों का विस्तार हो रहा है। इसका कारण यही है कि यहां आत्मशान्ति की राह दिखाई जाती है। जिस प्रकार का आन्तरिक और बाहरी तनाव जीवन को घेर रहा है उससे बचने का रास्ता भारतीय मान्यताओं में ही दिखाईदेता है। यहां जो कहा जाता है वही जीवन में उतारा जाता है।
इसलिए अब प्रधानमंत्री मोदी के इस दौरे की तरफ समूचे विश्व की नजरें लगी हुई हैं। जब प्रधानमंत्री मोदी पोलैंड से यूक्रेन के लिए रवाना होने वाले थे तभी उन्होंने अपने इरादे साफ कर दिये थे। मोदी ने कहा है कि युद्ध समाप्त करने के िलए बातचीत की टेबल पर आने की जरूरत है। किसी भी समस्या का समाधान निकालने के िलए मासूमों की हत्या की अनुमति नहीं दी जा सकती है। यह गंभीर चिंता की बात है। इतना लम्बा संघर्ष चिंता की बात है। मोदी का यह संदेश न केवल रूस-यूक्रेन के लिए है अपितु पडौसी देशों के लिए भी हो सकता है? आतंक से समाधान नहीं हो सकता है। यह पाक को भी समझना होगा और युद्धरत देशों को भी।
जो भाारत सोचता है वह रूस के बाद यूक्रेन को भी बता देगा
आज प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की के बीच आज द्विपक्षीय वार्ता होने जा रही है। सबकी नजर इस पर टिकी हुई है। पिछले समय रूस के राष्ट्रपति पुतिन को उनके सामने ही युद्ध को लेकर माेदी ने खरी-खरी सुनाई थी। अब जेलेंस्की की बारी है। उन्हें भी युद्ध की भयावहता के बारे में समझाया जायेगा? क्या होते हैं आज की वार्ता के परिणाम? नजर है। लेकिन यूक्रेन को मदद देने वाला भारत आज युद्ध की बजाए बुद्ध को चुनने की बात का अर्थ समझा सकता है। इस समय मोदी ही ऐसे वैश्विक नेता है जिनमें अपनी बात तार्किक तरीके से कहने या सच कहने का साहस संसार में है। अब वार्ता से उम्मीद की कितनी दूरी है देखना है।