डीके शिवकुमार जैसी ही इन धुरंधरों की कहानी, कांग्रेस के दिग्गज जो CM के सपने देखते रह गए
नई दिल्ली
कर्नाटक विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस की जीत की अटकलें और शानदार जीत के ऐलान तक डीके शिवकुमार का नाम भी मुख्यमंत्री पद के लिए चर्चा में रहा। हालांकि, बदले सियासी घटनाक्रम ने उन्हें दूसरे पायदान यानी डिप्टी सीएम पर लाकर खड़ा कर दिया और सिद्धारमैया को मुख्यमंत्री बनाने का फैसला किया गया। हाल के कुछ सालों में देखा जाए, तो कांग्रेस में यह कहानी नई नहीं है। बस राज्यों में किरदार बदलते गए। ऐसे कई बड़े नेता हैं, जो मुख्यमंत्री बनते बनते रह गए।
पंजाब में सिद्धू देखते रह गए
बात साल 2021 की है पंजाब के तत्कालीन मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह और कांग्रेस नेता नवजोत सिंह सिद्धू में बिल्कुल नहीं बन रही थी। नौबत यहां तक आ गई थी कि कैप्टन ने इस्तीफा देने का ऐलान कर दिया। इसके बाद शुरू हुई पंजाब का नया कप्तान खोजने की कवायद, जिसमें सिद्धू समेत कई बड़े नामों पर अटकलें लगने लगीं। हालांकि, ऐसा नहीं हुआ और पार्टी दलित चेहरे चरणजीत सिंह चन्नी पर दांव लगा दिया।
हिमाचल में धरा रह गया प्रतिभा सिंह का समर्थन
लंबे समय बाद कांग्रेस ने साल 2022 में हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव में जीत का स्वाद चखा था। इसके साथ ही पहाड़ी राज्य में बहस छिड़ गई कि कमान किसे दी जाए। इस रेस में पूर्व सीएम दिवंगत वीरभद्र सिंह की पत्नी प्रतिभा सिंह को प्रमुख दावेदार माना जा रहा था। उनके समर्थकों ने जमकर जोर आजमाया, लेकिन आलाकमान को कुछ और ही मंजूर था और सुखविंद सिंह सुक्खू के नाम पर मुहर लग गई।
छत्तीसगढ़ के 'देव'
साल 2018 में छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव संपन्न हुए और सत्ता कांग्रेस के खाते में आ गई। तब नाम सामने आए टीएस सिंह देव, ताम्रध्वज साहू, चरण दास महंत और भूपेश बघेल, ये सभी मुख्यमंत्री पद के दावेदार थे। कहा जा रहा था कि देव रेस में सबसे आगे हैं। हालांकि, नतीजा यह हुआ कि पार्टी ने बघेल को सीएम की गद्दी सौंप दी। बाद में दोनों नेताओं के बीच तनातनी की खबरें भी सामने आईं। यहां तक कि देव ने अपने एक पद से इस्तीफा भी दे दिया था।
राजस्थान में जलती बुझती आग
राजस्थान में जारी सीएम अशोक गहलोत बनाम युवा नेता सचिन पायलट की चर्चाएं सियासी गलियारों में जमकर हैं। साल 2018 से ही जारी इस कथित तनाव के तार सीएम की कुर्सी से ही जोड़े जाते हैं। चुनाव जीतने के बाद पायलट सीएम पद की ओर देख रहे थे, लेकिन पार्टी हाईकमान ने गहलोत को चुना था। अब तक अटकलें लगने लगी हैं कि पायलट जल्दी कांग्रेस को भी अलविदा कह सकते हैं। वह साल 2020 में भी प्रदेश सरकार के खिलाफ करीब 19 विधायकों संग मोर्चा खोल चुके हैं। दोनों नेता कई मौकों पर एक-दूसरे के खिलाफ तीखे जुबानी हमले करते नजर आए। जानकारों का कहना है कि कांग्रेस को 2023 विधानसभा चुनाव से पहले इस झगड़े को खत्म करना होगा।