हरियाणा में AAP के इकलौते निगम अध्यक्ष ने छोड़ा साथ

नई दिल्ली

दिल्ली की सत्ताधारी आम आदमी पार्टी (AAP) ने पिछले साल जब पंजाब विधानसभा चुनावों में परचम लहराया तो  पड़ोसी राज्य हरियाणा में भी उसकी सियासी हसरतें कुलांचे मारने लगीं लेकिन सालभर के अंदर ही आप की सियासी हसरत दम तोड़ती नजर आ रही है। आप ने इस साल पहले जनवरी में अपनी राज्य इकाई को भंग कर दिया। अब, पार्टी ने एकमात्र नगर पालिका अध्यक्ष को भी गंवा दिया है।

हरियाणा आप संयोजक अरविंद केजरीवाल का गृह राज्य है। जून 2022 में, AAP ने इस्माइलाबाद नगरपालिका समिति के अध्यक्ष पद पर जीत हासिल की थी लेकिन पिछले शुक्रवार को नगरपालिका अध्यक्ष निशा गर्ग ने आप को झटका देते हुए उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला की जननायक जनता पार्टी (जेजेपी) का दामन थाम लिया।

जेजेपी में शामिल होने पर निशा गर्ग ने इंडियन एक्सप्रेस से कहा, “विपक्षी दल से अकेले अध्यक्ष होने के नाते काम करना बहुत मुश्किल हो रहा था। मुझे उस काम के लिए दफ्तरों के चक्कर लगाने पड़ते थे, जो सत्ता पक्ष की ओर से होता तो सिर्फ एक फोन कॉल करने से हो जाता। वहां सड़कों और बेंचों के निर्माण के लिए सिर्फ टेंडर निकालने में ही आठ महीने लग गए।”

आप निशा गर्ग पर अयोग्यता का मामला चलाने से बच रही है और इसे बड़ा मुद्दा नहीं मान रही। दूसरी तरफ, गर्ग के पति पुनीत गर्ग ने दावा किया है कि आप ने आज तक अपने राज्य संगठन को पुनर्जीवित करने के लिए कोई कदम नहीं उठाया है। पार्टी में कोई खास हलचल देखने को नहीं मिल रही है, जबकि अगले साल लोकसभा के साथ ही हरियाणा में विधान सभा चुनाव भी होने हैं।

बता दें कि हरियाणा में झाड़ू की संभावना को देखते हुए ही पूर्व प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अशोक तंवर, पूर्व राज्य मंत्री निर्मल सिंह और उनकी बेटी चित्रा सरवारा जैसे नेता आप में शामिल हुए थे लेकिन हाल के कई महीनों में कोई भी प्रमुख चेहरा आप में शामिल नहीं हुआ है। पिछले साल हुए नगरपालिका चुनावों तक आप ने बड़ी लगन से हरियाणा में संगठन को खड़ा किया और चुनावों में अच्छा प्रदर्शन भी किया था लेकिन हाल के दिनों में खासकर, जब से आप के शीर्ष नेता केंद्रीय जांच एजेंसियों के निशाने पर आए हैं, तब से हरियाणा समेत कई राज्यों में आप की गतिविधियां धीमी पड़ गई हैं।

हालांकि, उलटा स्पष्टीकरण देते हुए आप के अंदरूनी सूत्रों ने दावा किया कि पार्टी की "सीमित गतिविधियां" पार्टी नेतृत्व की रणनीतिक का हिस्सा है क्योंकि लंबे समय तक ज्यादा गतिविधियों को बनाए रखना मुश्किल होता है। बता दें कि हरियाणा में अक्टूबर 2024 में विधानसभा चुनाव होने हैं।

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