गरीबों के फ्लैट में किराएदार और मकान मालिक वापस झुग्गियों में

ऐसे तो झुग्गी मुक्त नहीं हो पाएगा अपना भोपाल, निगम के सर्वे में 21% में किराएदार मिले, अब खाली कराने की तैयारी में नगर निगम, भेजा नोटिस

शिखर वाणी, भोपाल। राजधानी को झुग्गी मुक्त बनाने को लेकर राज्य सरकार एक्शन प्लान तैयार कर ही है। सर्वे कर हाउिसंग फार स्कीम के तहत झुग्गियों को हटाकर लोगों को पक्के मकानों में शिफ्ट करने की तैयारी चल रही है। लेकिन शासन की मंशा पर पानी फिरता नजर आ रहा है। ऐसा इसलिए कि जहां झुग्गियों को हटाकर लोगों को विभिन्न योजनाओं के तहत पक्के मकान दिए गए हैं, वहां बड़ी संख्या में किराएदार रह रहे हैं। वही मकान मालिक वापस नई झुग्गियां बनाकर रह रहे हैं।

जेएनएनआरयूएम, राजीव आवास के तहत पूर्व में नगर निगम ने पक्के मकान दिए थे। हाल ही में नगर निगम के सर्वे में खुलासा हुआ कि शहर में बनाए गए 21 प्रतिशत फ्लैट्स में मकान मालिक की जगह किराएदार रह रहे हैं। निगम अमले ने बीते दिनों शहर के 5 प्रोजेक्ट भानपुर, कोकता, हिनोतिया आलम, मालीखेड़ी और राहुल नगर में झुग्गीवासियों और गैर झुग्गी कैटेगरी में दिए गए 3,054 फ्लैट का सर्वे किया था। इनमें से 639 यानी 21 प्रतिशत फ्लैट में किराएदार मिले। हाल ही में यह रिपोर्ट सबमिट हुई है। अब निगम की ओर से इन सभी फ्लैट मालिकों को नोटिस जारी किए जा रहे हैं।

ये हैं शहर के प्रमुख झुग्गी स्थल

शहर की प्रमुख झुग्गी स्थलों को देखें तो रोशनपुरा में करीब 17 एकड़ में 35000 नागरिक रहते हैं। बाणगंगा के 48 एकड़ एरिया में भी करीब 35000 लोग रहते हैं। शहर की प्रमुख झुग्गियों में बाग सेवनिया के 16 एकड़ में 30000 नागरिक रहते हैं। विश्वकर्मा नगर में 6 एकड़ में 30000 नागरिक, अन्ना नगर के 51 एकड़ में 25000 नागरिक, भीम नगर के 72 एकड़ में 8000 नागरिक, मदर इंडिया में 49 एकड़ में 4000 नागरिक, शहीद नगर में 29 एकड़ में 2000 नागरिक रहते हैं। इन सभी के क्षेत्रफलों को मिलाया जाए तो करीब 400 एकड़ में झुग्गियां तनी हुई हैं। इनमें से कई लोगों को शासकीय आवास भी मिल गए हैं लेकिन यह वहां रहने के बजाय किराये पर चला देते हैं।

नेताओं के संरक्षण के कारण ये तस्वीर

बता दें कि झुग्गी में रहने वालों को नगर निगम फ्री पानी देता है। चोरी की लाइट जलती है। एक से दो, दो से चार के क्रम में झुग्गियां सरकार जमीन पर बढ़ती जाती हैं। नगर निगम और जिला प्रशासन पहले इस ओर ध्यान नहीं देता फिर इन्हें हटाना मुिश्कल हो जाता है। नगर निगम सिर्फ अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई फुटपाथ और सड़क के किनारे करता है। स्थानीय पार्षद और छुटभैया नेता वोट बैंक के चलते उन्हें हटने नहीं देते। जिससे शहर की तस्वीर दिनों दिन खराब हो जाती है। और झुग्गियां पनप जाती है।

झुग्गी माफिया भी बड़ी वजह

शहर में नए इलाकों में सरकारी जमीन पर झुग्गी बनाने के लिए झुग्गी माफिया भी सकि्रय है, जो पैसे लेकर झुग्गियों को बसाता है। ऐसा नहीं कि स्थानीय प्रशासन को इसकी जानकारी नहीं है। लेकिन कार्रवाई नहीं होती। अगर सरकारी जमीन पर अतिक्रमण करने के खिलाफ अिभयान शुरू किया जाय तो पता चलेगा एक ही व्यक्ति की कई झुग्गियां हैं। जो इसका कारोबार करते हैं।

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