असम के लाओखोवा-बुराचापोरी वन्यजीव अभयारण्य में 40 साल बाद लौटे गैंडे

गोलाघाट/तेजपुर
असम के लाओखोवा और बुराचापोरी वन्यजीव अभयारण्यों में 40 साल के लंबे अंतराल के बाद गैंडे वापस लौट आए हैं। असम के मुख्यमंत्री हिमंत विश्व शर्मा ने यह बात कही।

इस क्षेत्र में अवैध शिकार के कारण गैंडों की आबादी करीब-करीब समाप्त हो गई थी। वन विभाग के एक अधिकारी के मुताबिक, इन संरक्षित क्षेत्रों में पिछले कुछ वर्षों में मानव अतिक्रमण भी देखा गया था, जिसे पिछले साल अधिकारियों ने हटा दिया था।

मुख्यमंत्री ने ‘एक्स’ पर लिखा, ''मुझे यह जानकारी साझा करते हुए खुशी हो रही है कि 40 वर्षों के बाद हमारे प्रतिष्ठित लाओखोवा और बुराचापोरी वन्यजीव अभयारण्य में गैंडे लौट आए हैं। वे क्षेत्र में हमारे सफल अतिक्रमण रोधी अभियान के एक वर्ष के भीतर वापस आ गए हैं।''

उन्होंने कहा कि 2023 में अतिक्रमण रोधी अभियान के माध्यम से कुल 51.7 वर्ग किलोमीटर का वन क्षेत्र पुन प्राप्त किया गया है।

काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान (केएनपी) की निदेशक सोनाली घोष ने कहा कि लगभग 40 वर्षों के अंतराल के बाद लाओखोवा-बुराचापोरी वन्यजीव अभयारण्यों में दो गैंडे देखे गए हैं। यह क्षेत्र ‘ग्रेटर काजीरंगा’ का हिस्सा है।

उन्होंने कहा कि नगांव जिले के लाओखोवा-बुराचापोरी जंगल में 1983 तक गैंडों की आबादी 45-50 के करीब थी।

घोष ने कहा, ''उनका अवैध शिकार किया गया था और उसके बाद, मानवजनित दबाव के कारण घास के मैदानों के क्षेत्र में गिरावट आई। उत्तरी तट (ओरंग राष्ट्रीय उद्यान ) और पूर्वी हिस्से (काजीरंगा) से गैंडे ब्रह्मपुत्र चपोरी क्षेत्रों में प्रवेश करने के लिए जाने जाते थे, लेकिन वे कभी लंबे समय तक नहीं टिकते थे।''

घोष ने कहा कि गैंडों को पिछले नवंबर के बाद से बुराचापोरी और लाओखोवा वन्यजीव अभयारण्यों में पहली बार देखा गया है।

उन्होंने कहा कि दोनों गैंडे संभवत: ओरांग राष्ट्रीय उद्यान के दूसरे हिस्से और अरीमारी के हाल ही में बहाल किए गए (खाली कराए गए क्षेत्रों) के माध्यम से प्रवेश कर गए हैं।

गैंडों के अलावा, संरक्षित क्षेत्र में 10 बाघ भी हैं।

 

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