लालबत्ती हटी तो स्टेटस सिंबल बने हूटर पुलिस करती है अनदेखी
नरेंद्र मोदी ने भारत का प्रधानमंत्री बनने के बाद से राजनेताओं का स्टेटस सिंबल बनी लाल बत्ती को हटा दिया गया था। तर्क यह दिया गया था कि जनता और नेता के बीच दूरी का सबसे बड़ा कारण लाल बत्ती है। इन दिनों नेताओं ने ही क्या छुट भइया नेताओं ने भी स्टेटस सिंबल का दूसरा रास्ता खोज निकाला है?
भोपाल, (विशेष प्रतिनिधि)। नरेंद्र मोदी ने भारत का प्रधानमंत्री बनने के बाद से राजनेताओं का स्टेटस सिंबल बनी लाल बत्ती को हटा दिया गया था। तर्क यह दिया गया था कि जनता और नेता के बीच दूरी का सबसे बड़ा कारण लाल बत्ती है। इन दिनों नेताओं ने ही क्या छुट भइया नेताओं ने भी स्टेटस सिंबल का दूसरा रास्ता खोज निकाला है? अब गाड़ी पर लालबत्ती की जगह हूटर लगे हुए होते हैं और वे गली मोहल्ले और चौराहों में उसका उपयोग करते हैं। हूटर के लिए प्रशासन के नियम है लेकिन राजनीतिक दल के छोटे से छोटे कार्यकर्ता भी हूटर का उपयोग कर जनता के बीच में प्रभाव दिखाने का कोशिश करते हैं। पुलिस प्रशासन हेलमेट की चेकिंग के नाम पर इतना व्यस्त है कि उसे हूटर का दुरुपयोग दिखाई ही नहीं दे रहा है।
पिछले दिनों राजधानी भोपाल में हूटर लगी हुई गाड़ियों को देखने पर यह पता चला कि राजनीति में छोटी सी जिम्मेदारी मिलने के बाद भी कार्यकर्ता हूटर का इस्तेमाल कर रहे हैं। कुछ कार्यकर्ता तो ऐसे हैं जिनकी गाड़ियां ट्रैवल एजेंसी पर चलती है लेकिन उनमें हूटर लगे हुए हैं। वह गाड़ी में सवार व्यक्तियों पर झांकी जमाने के लिए इसका उपयोग करते हैं। अन्य क्षेत्रों की पुलिस अंदर बैठे सवारी को समझ पाती तब तक गाड़ी आगे निकल चुकी होती है। इस प्रकार लाल बत्ती के स्थान पर हूटर का जमकर इस्तेमाल हो रहा है।
इस संबंध में बात करने का प्रयास किया गया लेकिन अधिकारियों के फोन नहीं उठे। सड़क पर खड़े होकर हेलमेट की चेकिंग करने वाली पुलिस से जब हूटर उपयोग की गाड़ियों के संबंध में पूछा गया तो उनका एक ही जवाब था इस संबंध में उच्च अधिकारियों का हमें कोई निर्देश नहीं है। सुरक्षा के नाम पर हेलमेट मुहिम में लगी पुलिस हूटर लगी हुई गाड़ियों की वस्तुस्थिति कब समझेगी अभी इसकी प्रतीक्षा है। हूटर कौन लगाएगा? उसमें कौन बैठा होगा तब हूटर का उपयोग होगा। इस प्रकार की दिशा निर्देश पहले से जारी है। लेकिन नेता न ही इसका उपयोग करते हैं और पुलिस को इस से कोई लेना देना नहीं है।