मोदी विकास को गांव तक पहुंचाने में लगे हैं विपक्ष बुराई में

देश में रेल सेवा का विस्तार हो रहा है। वंदे भारत ट्रेन को जिस प्रकार से खुद प्रधानमंत्री लांच कर रहे हैं उसके पीछे विकास की रफ्तार का संदेश छुपा हुआ है। विभिन्न राज्यों को दौरा करके प्रधानमंत्री गांव को विकास कर दौड़ में बराबरी कराने में लगे हुए हैं।

भोपाल (विशेष प्रतिनिधि)। देश में रेल सेवा का विस्तार हो रहा है। वंदे भारत ट्रेन को जिस प्रकार से खुद प्रधानमंत्री लांच कर रहे हैं उसके पीछे विकास की रफ्तार का संदेश छुपा हुआ है। विभिन्न राज्यों को दौरा करके प्रधानमंत्री गांव को विकास कर दौड़ में बराबरी कराने में लगे हुए हैं। वहीं दूसरी तरफ विपक्षी नेता केवल चुनावी एकता करने के एक-दूसरे के साथ बैठकें करके मोदी सरकार को सत्ता हटाने का ख्वाब देख रहे हैं। देश की जनता क्या सोचाती है? इस समय यह सवाल सबसे बड़ा है। पिछले दो चुनाव के बाद देश ने जो रफ्तार पकड़ी है उसको बनाये रखने में देश का भला है या सत्ता उन विपाी दलों को देने में फायदा है जो केवल सत्ता के लिए एक साथ आने के लिए प्रयासरत हैं। प्रधानमंत्री देश सेवा के मिले अवसर को भुनाने में लगे हैं और विपक्ष देश सेवा का अपना तरीका लागू करने के प्रयास में है।

पिछले दिनों से कुछ राज्यों में तो काम ही प्रभावित हो रहा है। गठबंधन की सत्ता में मुख्यमंत्री और उप मुख्यमंत्री दोनों ही एकता के लिए देश दिशाटन में निकले हुए हैं। उनके राज्य की सरकार कैसे चल रही होगी या विकास कार्य किस गति से चल रहे होंगे उनकी देखभाल करने वाला कौन है? कुछ समय तक यह काम तेलंगाना के मुयमंत्री केसीआर ने किया था। वे अपना राज्य छोडक़र गैर कांग्रेसी एकता का मंत्र जप रहे थे। भाजपा के खिलाफ तो समूचे दल एकता करने की राग अलाप रहे हैं जबकि केसीआर के यहां कांग्रेस भी सत्ता की दावेदार है इसलिए वे उसके साथ चुनाव से पहले कैसे जा सकते हैं? इसलिए उनका अभियान परवान नहीं चढ़ पाया। उनके साथ वे ही दल फोटो खिंचवा पाये थे जो कांग्रेस से दूरी के पक्षधर हैं। अब नया दौर है।

अब बिहार के मुख्यमंत्री एकता की माला जप रहे हैं। उन्हें नेता मानने वाला कोई सामने नहीं आया इसके बाद वे विपक्षी दलों की एकता करने में लग रहे हैं। वे राहुल गांधी को भी साथ लेकर रणनीति पर काम कर रहे हैं जबकि ममता के साथ उनकी बैठक तो हुई लेकिन एकता का कोई सूत्र निकला इसकी बात सामने नहीं आई। मतलब यह निकाला जा सकता है कि विपक्षी एकता मजबूरी में तो हो सकती है लेकिन कामन मिनीमम प्रोग्राम अभी तक सामने नहीं आया है। उससे पहले का दौर है। बात कैसे और क्यों बनेगी यह सवाल उठ रहा है।

इधर केन्द्र की मोदी सरकार बिना किसी मामले में प्रतिक्रिया दिये अपने काम में लगी है। भाजपा का संगठन देश भर में समीकरण अपने पक्ष में करने में लगा हुआ है। जिन दलों के साथ मित्रता हो सकती है वे प्रयास भी जारी है और जहां अकेले चलना है उस प्रकार के प्रयास भी हो रहे हैं। अमित शाह देश भर में रैलियां कर रहे हैं और जन मानस को वह सब याद दिला रहे हैं जिसकी जरूरत है। सरकार अपना बखूबी काम कर रही है।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी दिन भर आयोजन और योजनाओं में सक्रिय रहते हैं। सुरक्षा के मामले में जो नीति बनाई आज भारत में काफी कुछ नियंत्रण में है। अर्थव्यवस्था को लेकर जो नीति बनाई उससे अर्थव्यवस्था में उछाल आने की बात कही जाने लग गई। संस्कृति के हिसाब से देखा जाये तो देश की पहचान विश्व में बन रही है। शहरी क्षेत्रों में विकास हो ही रहा है अब गांवों में विकास के लिए काफी कुछ किया जा रहा है। खुद प्रधानमंत्री मोदी इसकी चर्चा करते हैं। जिस विषय का उल्लेख प्रधानमंत्री करते हैं अधिकारियों का ध्यान उस ओर अधिक केन्द्रीत होता है। इसलिए शहर की ओर पलायन की समस्या को रोकने के लिए गांव के विकास की बात की जाने लगी है। बिजली, वायफाय और रोजगार के साधन गांव की ओर ही चल पड़े हैं। ऐसे में आने वाले समय में विकास और विशेषकर गांव का विकास चुनावों में अधिक प्रभावी रूप से मुद्दा रह सकता है। विपक्ष की एकता के सामने गौरवशाली भारत, आर्थिक समृद्ध भारत और विकास करते हुए गांव का भारत अधिक स्वीकार्य होगा।

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