निवेश पर मोहन सरकार का नवाचार सभी क्षेत्रों की संभावनाएं दिखाई
मध्यप्रदेश में इन दिनों निवेश की संभावनाओं को पंख लगते हुए दिखाई दे रहे हैं। प्रदेश की सरकार का संचालन जब से डा. मोहन यादव के पास आया है तब से कुछ विशेष प्रकार के नवाचार किये जा रहे हैं। अन्य क्षेत्रों के नवाचार के बाद अब निवेश और रोजगार को लेकर नवाचार की स्थिति दिख रही है।
सुरेश शर्मा, भोपाल।
मध्यप्रदेश में इन दिनों निवेश की संभावनाओं को पंख लगते हुए दिखाई दे रहे हैं। प्रदेश की सरकार का संचालन जब से डा. मोहन यादव के पास आया है तब से कुछ विशेष प्रकार के नवाचार किये जा रहे हैं। अन्य क्षेत्रों के नवाचार के बाद अब निवेश और रोजगार को लेकर नवाचार की स्थिति दिख रही है। पहले भी भाजपा की सरकार के समय कुछ निवेशकों को लेकर मीट हुआ करती थीं। वहां पर निवेश आता था। लेकिन कुछ निवेश इस आधार पर रूक जाता था कि जिस प्रकार का सपना दिखाया जाता था हकीकत देखने पर वैसा नहीं दिखता था। अब मोहन सरकार ने नवाचार करके इस हालात को बदलने का काम किया है। इस बारे में अब सरकार की काफी तारीफ हो रही है कि उसने निवेशकों को गुमराह करके निवेश का आंकड़ा बढ़ाने का खेला नहीं किया है। पहले सरकार ने होमवर्क किया है। किस क्षेत्र में किस प्रकार का कच्चा माल मिलता है। श्रम की संभावना क्या है? कानून व्यवस्था की स्थिति क्या है?
अब ग्वालियर में आयोजित सम्मेलन में निवेशकों को भूमि आवंटन तत्काल हो रहा था। किस प्रकार की सहायता चाहिए उसके लिए अधिकारियों की ओर से कोई कोताही नहीं बरती जा रही थी। इससे निवेशकों का उत्साह बढ़ा और निवेश आया भी। यह पहला अवसर है जब सरकार के मुखिया ने भूमि पूजन और लोकापर्ण भी किया है। रोजगार की संभावनाओं को भी देखा गया है। यहां विपक्ष आरोप लगाने का प्रयास करता है तब भी उसके आरोप ठहर नहीं पा रहे हैं। क्योंकि यह कोई इवेंट नहीं है और न ही कोई शो ही हुआ है। निवेश आ रहा है। सरकार के हौसले बुलंद हैं। मोहन यादव ने जिस प्रकार की रणनीति को स्वीकार किया वह परिणाम दायक है।
अब समझने वाली बात यह है िक पिछले समय देश में जी-20 के आयोजन देश भर में हुए थे। खुद प्रधानमंत्री मोदी ने यह बताया था कि हमने दिल्ली के पांच सितारा होटल में बैठकें करने की बजाए समूचे भारत के दर्शन आने वालों को करवाये। इससे अलग-अलग राज्यों की संस्कृति, वहां की मानसिकता और पर्यटन को देखा था। इसी विचार को डा मोहन यादन ने मध्यप्रदेश के निवेश नवाचार के रूप में स्वीकार किया। सबसे पहले बाबा महाकाल की नगरी और मोहन जी के अपने जिले से निवेशकों को प्रदेश के साथ जोड़ने का काम शुरू हुआ था। कुछ निवेश आया था लेकिन आगाज जबरदस्त हुआ था। इसके बाद जबलपुर में भी ऐसा ही प्रयास हुआ और उत्साह बढ़ गया था। विपक्ष को यहां तक आरोप लगाने का मौका मिला था। लेकिन अब ग्वालियर में जिस प्रकार के परिणाम सामने आये हैं उसने आयोजन की सफलता पर विचार करने के िलए प्रेरणा दी है। जिस प्रकार से बड़े निवेशकों ने आकर आयोजन को सफल बनवाया उससे यह लग रहा है कि मोहन सरकार के सफलता आयोजनों के पीछे कोई और भी हाथ हो सकता है। अब अगले क्षेत्र को देखने, समझने और पहचानने का मौका मिलेगा।
बीहड़ पर पहले हो चुके थे गुमराह अब सब सामने
भाजपा सरकार के समय एक बार एक निवेशक ने बीहड़ों में निवेश करने और वहां का पर्यटन विकसित करने की बात कही थी। लेिकन जब वे वहां पहुंचे तो देखकर दंग रह गये और अपनी योजना टाल दी थी। इसलिए अब डा. मोहन यादव सरकार ने निवेशकों को वह जानकारी दी जो हकीकम है। निवेशक खुद ही कुछ न कुछ मानसिकता बनाने की दिशा में बढ़ सकता है। यही कारण है कि पहले उज्जैन व बाद में जबलपुर में निवेशकों ने जिस प्रकार की रूचि दिखाई उससे कहीं अधिक निवेश जमीन पर ग्वालियर में आया है। प्रदेश निवेश के लिए तैयार हो गया है और निवेशक रूचि ले रहा है यह सब बातें सामने आ रही हैं।