अपनी ही सरकार के गलत निर्णयों को सुधारती मोहन सरकार
चर्चा तो यह थी कि प्रदेश के एक बड़े अफसर जो मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के मूंह लगे थे के कारण राजधानी परियोजना कां बंद करने के आदेश दिये गये थे। आनन-फानन में दिये गये आदेश और उसके क्रियान्वयन की जल्दबाजी ने राजधानी की व्यवस्थाओं को चौपट कर दिया।
सुरेश शर्मा, भोपाल। चर्चा तो यह थी कि प्रदेश के एक बड़े अफसर जो मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के मूंह लगे थे के कारण राजधानी परियोजना कां बंद करने के आदेश दिये गये थे। आनन-फानन में दिये गये आदेश और उसके क्रियान्वयन की जल्दबाजी ने राजधानी की व्यवस्थाओं को चौपट कर दिया उसे मोहन सरकार ने बाहल करके फिर से राजधानी परियोजना विभाग शुरू करने का आदेश दिया। बीआरटीएस के गलत निर्णय को अब पलटा जा रहा है। भोपाल के बाद अब इंदौर से बीआरटीएस बीती बात होने जा रहा है। गौर सरकार के समय उमाशंकर गुप्ता परिवाहन मंत्री थे तब सरकारी बस सेवाओं को समाप्त कर दिया गया था। निजी वाहन चालकों को मनमानी के लिए लाद दिया था। भारी जन विरोध के बाद भी सड़क परिवहन निगम को बंद कर दिया गया था। आज भी उसके आर्थिक नुकसान की भरपाई नहीं हो पाई है। अब मोहन सरकार उसको भी फिर से शुरू करने जा रही है।
जिन कामाें को जनहित में जारी रहना चाहिए उसके बारे में भी वर्तमान सरकार निर्णय लेने का प्रयास कर रही है। हाल में मुख्यमंत्री डा. मोहन यादव ने इंदौर से भी बीआरटीएस समाप्त करके आम यातायात के लिए जगह सुलभ कराने का आदेश दिया हे। ऐसा वे भोपाल में भी कर चुके हैं। भोपाल में तो बीआरटीएस को समाप्त कर दिया गया और शहर का यातायात सुधरता हुआ दिखाई दे रहा है। अब इंदौर में भी यह काम शुरू होने वाला है। इंदौर साफ सफाईवाला देश का प्रथम नम्बर पाने वाला शहर है। यहां की यातायात व्यवस्था को भी देश का नम्बर वन होना चाहिए लेकिन इस मामले में वह पीछे है। अब उसमें सुधार आयेगा। सरकार ने सरकारी बसों के संचालन की शुरूआत ग्रामीण और खासकर आदिवासी अंचलों के लिए करने का निर्णय लिया था। लेकिन अब पूरे प्रदेश में सरकारी बसों को संचालित किया जायेगा। आसपास के राज्यों में भी इसे पहले दौर में शुरू कर दिया जायेगा। संख्या का समय-समय पर बढ़ाया जायेगा। इस प्रकार के निर्णय ने यात्रियों में खुशी की लहर पैदा कर दी है। यह सुविधा प्रदेश की जनता की हितकारी होगी।
राजधानी परियोजना की चर्चा के बिना तो बात पूरी हो ही नहीं सकती है। जब डा. मोहन सरकार अपनी ही सरकार के गलत निर्णयों को बदलने ता रही है। राजधानी परियोजना को बंद करने का कोई कारण नहीं था। भोपाल का रख-रखाव करने का काम करने वाली संस्था को केवल इसलिए बंद कर दिया गया था क्योंकि मुख्यमंत्री के मूंह लगे एक बड़े अधिकार के काम नहीं हुए थे। जिन कामों किया जाना संभव नहीं था। इसलिए विभाग को ही बंद करवा दिया। शहर के खास पार्क बर्बाद हो गये क्योंकि अनुभवहीन लोगों को व्यवस्था दे दी गई। जहां की चर्चा होती थी वहां अब भैंसे चर रही है। मोहन सरकार ने अपनी ही पुरानी सरकार के गलत निर्णयों को बदल कर साहसिक कदम उठाया है।