‘हिन्दू राष्ट्र’ पर कमलनाथ की बेबाक ‘टिप्पणी’
छिन्दवाड़ा में इन दिनों बागेश्वर धाम वाले बाबा पंडित धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री की कथा चल रही है। शास्त्री जी को भाजपा का प्रचारक आचार्य प्रमोदी कृष्ण बताते हैं जो कांग्रेस के बड़े नेता भी माने जाते हैं। उन्होंने इसके लिए कमलनाथ पर सवाल उठाया है। राजनीति में सवाल का उत्तर कौन किस प्रकार से देगा इसका तो इंतजार ही करना होता है। कमलनाथ साहब ने अधिक इंतजार नहीं कराया और झाबुआ में जवाब दे दिया। उनसे पत्रकारों ने कई सवाल पूछे गये? अपने ही अंदाज में सबके जवाब भी दिये गये। एक सवाल ऐसा है जिससे हर कांर्गेस असहज हो जाता है। दिग्विजय सिंह तो इस पर अपना ही रूचा रखते हैं। हिन्दू राष्ट्र को लेकर। कमलनाथ ने बेबाक कह दिया जिस देश की जनसंख्या 82 प्रतिशत हिन्दू तब कौन सा राष्ट्र हुआ? अब आप सोचते रहो?
सुरेश शर्मा, भोपाल। एक बात तो मानना पड़ेगी बाबा बागेश्वर धाम का प्रभाव तो है। यह भी कह सकते हैं कि धीरेन्द्र शास्त्री की बातों का असर तो हो रहा है? यह भावना है। लेकिन राजनीति में कौन कब क्या कहता है और उसका मतलब कब निकलता है यह हर कोई नहीं जानता है। मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री रहे कमलनाथ पुराने और अनुभवी नेता हैं। राजनीति करना जानते हैं इसलिए छिन्दवाड़ा से अजेय हैं। आजकल उनका बेटा वहां से सांसद हैं और वहीं से कमलनाथ विधायक। उसी छिन्दवाड़ा में इन दिनों बागेश्वर धाम वाले बाबा पंडित धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री की कथा चल रही है। शास्त्री जी को भाजपा का प्रचारक आचार्य प्रमोदी कृष्ण बताते हैं जो कांग्रेस के बड़े नेता भी माने जाते हैं। उन्होंने इसके लिए कमलनाथ पर सवाल उठाया है। राजनीति में सवाल का उत्तर कौन किस प्रकार से देगा इसका तो इंतजार ही करना होता है। कमलनाथ साहब ने अधिक इंतजार नहीं कराया और झाबुआ में जवाब दे दिया। उनसे पत्रकारों ने कई सवाल पूछे गये? अपने ही अंदाज में सबके जवाब भी दिये गये। एक सवाल ऐसा है जिससे हर कांर्गेस असहज हो जाता है। दिग्विजय सिंह तो इस पर अपना ही रूचा रखते हैं। हिन्दू राष्ट्र को लेकर। कमलनाथ ने बेबाक कह दिया जिस देश की जनसंख्या 82 प्रतिशत हिन्दू तब कौन सा राष्ट्र हुआ? अब आप सोचते रहो?
पिछले कुछ समय यह सवाल तो राजनीतिक गलियारों में उठ रहा ही है? कमलनाथ की राजनीति करने की शैली में इतना बदलाव कैसे आ गया? वे कांग्रेसी तो हैं लेकिन काम भाजपा की शैली में कर रहे हैं। साफ्ट हिन्दूत्व की राजनीति करने का सुघव एके एंटोनी ने क्या दिया कमलनाथ तो उस पर शुरू ही हो गये। एंटोनी साहब को बेटा तो भाजपा में ही चला गया। हनुमान भक्त के रूप में नाथ ने खुद को पेश किया। राजनीति में कहा जाने लग गया कि राम भक्त हनुमान क्यों बने कमलनाथ? मतलब राम के सेवक हैं और राजनीति में श्रीराम भाजपा के पाले में खड़े हैं। तब राजनीति क्या संदेश देती है? सरकार बनी तो गऊशाला, रामपथ और महाकाल कैरिडोर यह भी भाजपा का ही एजेंडा है। अब बाबा बागेश्वर धाम वाले आचार्य धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री की कथा? राजनीति का संदेश निकालने का प्रयाय तो किया ही जा सकता है। कोई और समझे सा न समझे आचार्य प्रमोद कृष्णन भांप गये? कह दिया भाजपा के स्टार प्रचारक की इस प्रकार आरती उतारने का क्या मतलब है? यही मतलब तो सब तलाशने में लगे हैं आचार्य जी?
पिछले दिनों आदिवासियों में कांग्रेस की यात्राएं निकली हैं। कथा के बीच में कमलनाथ झाबुआ आये। पत्रकार है उन्हें कौन समझायेगा कि वे तयशुदा सवाल ही पूछें? पूछ लिया कि बाबा बागेश्वर धाम वाले धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री तो हिन्दू राष्ट्र की बात करते हैं और आपके यहां कथा करने आये हैं? कमलनाथ ने बेबाकी से कहा कि इस देश में 82 प्रतिशत आबादी हिन्दू हैं तब कौन सा राष्ट्र हुआ? प्रश्र के इस प्रतिप्रश्न का मतलब फिर उलझ गया? प्रमोद कृष्णन साहब आप तो आचार्य हैं समझ गये होंगे कि आरती क्यों उतारी गई थी? तेजी से बढ़ रही बहुंसख्यक वाद की राजनीति में कांग्रेस फिट नहीं होगी तो क्या कमलनाथ अपने बेटे का राजनीतिक भविष्य सुरक्षित नहीं करेंगे?
देश की राजनीति में बड़ा बदलाव आया है। सत्ता की चाबी जिस प्रकार पहले मौलवियों और इमामों के फतवे से निकलती थी अब वह बात नहीं रही है। अल्पसंख्यक वाद की राजनीति पूरे तौर पर बहुंसख्सक वाद पर आकर टिक गई है। दिग्विजय सिंह राजनीति के मंजे हुए खिलाड़ी हैं लेकिन उस भोपाल से चुनाव हार गये जहां बैठकर उन्होंने प्रदेश की दस बरस सत्ता चलाई थी। क्योंकि बहुसंख्यक भावनाओं की प्रतीक साध्वी प्रज्ञा सिंह उनके सामने थी? देश का 82 प्रतिशत समाज समझ रहा है अभी 41 प्रतिशत एक साथ वोट डालने लगा है। जिस दिन वह 50 प्रतिशत से अधिक एक साथ आ जायेगा देश की राजनीति का तौर तरीका बदल जायेगा? तब कमलनाथ जैसा अनुभवी राजनेता पहले से बदलना शुरू हो जाये तो अनुचित क्या है? अब कांग्रेसी और आचार्य जी न समझे तो उनका कोई ईलाज नहीं है?