भारत छोड़ो आंदोलन में वीर कुंवर सिंह की धरती भोजपुर के 22 लाल ने दी थी शहादत

पटना
 भारत छोड़ो आंदोलन की शुरुआत 9 अगस्त, 1942 को हुई थी। तब देशभर में अंग्रेजों के खिलाफ लड़ाई का निर्णायक बिगुल फूंका गया था। अंग्रेजों भारत छोड़ो के नारे के साथ जगह-जगह लोग अंग्रेजों को देश से भगाने की लड़ाई में शामिल हुए थे और न जाने कितने लोगों ने आजादी की उस लड़ाई में अपनी शहादत दी थी। उस लड़ाई में 1857 के पहले स्वतंत्रता संग्राम के अमर योद्धा वीर कुंवर सिंह की धरती तत्कालीन शाहाबाद एवं वर्तमान भोजपुर जिले के लोगों ने भी बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया था। अंग्रेजों के खिलाफ आजादी की लड़ाई में भोजपुर के 22 लोगों ने अपनी शहादत दी थी। शहीदों में सबसे अधिक अगिआंव प्रखंड के 12 लोग शामिल थे। इनमें लसाढ़ी गांव के छह लोग थे। लसाढ़ी गांव में उन 12 शहीदों का स्मारक भी बना और हर साल 15 सितंबर को उन शहीदों का शहादत दिवस राजकीय समारोह के रूप में मनाया जाता है। शहीदों में आरा सदर प्रखंड के तीन और कोईलवर, बिहिया व जगदीशपुर प्रखंड के दो-दो शहीद समेत पीरो के एक शहीद शामिल हैं।

शहीदों की याद में आरा कलेक्ट्रेट में इसी साल बना स्मारक
1942 के भारत छोड़ो आंदोलन में शहीद होने वाले भोजपुर के 22 शहीदों की याद में आरा के नए कलेक्ट्रेट परिसर में शहीद स्मारक बनाया गया है। शहीद स्मारक का बिहार के डिप्टी सीएम तेजस्वी प्रसाद यादव ने हाल में ही लोकार्पण किया। शहीद स्मारक के शिलापट्ट पर जिले के सभी 22 शहीदों के नाम अंकित किये गये हैं। वैसे पहले से रमना मैदान स्थित वीर कुंवर सिंह स्टेडियम के मुख्य द्वार पर शिलापट्ट लगा था।

नई पीढ़ी के युवाओं के लिए प्रेरणास्रोत बना शहीद स्मारक
1942 के अंग्रेजों भारत छोड़ो स्वतंत्रता की लड़ाई में शहीद हुए भोजपुर जिले के 22 शहीदों का स्मारक नई पीढ़ी के युवाओं के लिये प्रेरणास्रोत बन गया है। भोजपुर जिला मुख्यालय के आरा कलेक्ट्रेट में शहीद स्मारक उन शहीदों का मान-सम्मान बढ़ा रहा है। वहीं, आज की पीढ़ी के युवा उन आजादी के दीवानों के स्मारक को देख देश सेवा और देश की रक्षा के लिये प्रेरणा ले सकेंगे। साथ ही अंग्रेजों के खिलाफ आजादी की लड़ाई में कुर्बानी देने वाले अमर शहीदों को याद किया जाता रहेगा।

आरा कलेक्ट्रेट में तिरंगा झंडा फहराते कवि कैलाश ने दी थी शहादत
अंग्रेजों भारत छोड़ो 1942 की लड़ाई में अमर शहीद कैलाशपति सिंह उर्फ कवि कैलाश का आरा कलेक्ट्रेट परिसर में पहले से शिलापट्ट लगा है। कवि कैलाश आरा सदर प्रखंड की खजुरिया पंचायत के घोड़ादेई गांव के रहने वाले थे और आरा कलेक्ट्रेट परिसर में तिरंगा झंडा फहराने के दौरान 28 सितंबर, 1942 को अंग्रेजों की यातना और बलूची सिपाहियों की गोली का शिकार हो गए थे। अंग्रेजों की बंदूक से अमर शहीद कवि कैलाश का शरीर छलनी कर दिया गया था। तब अंतिम सांस तक कवि कैलाश ने भारत माता की जय, महात्मा गांधी की जय और अंग्रेजों भारत छोड़ो का उद्घोष करते मौत को गले लगाया था।

शहीद स्मारक पर प्रदर्शित स्वतंत्रता सेनानियों के नाम

शहीदों के नाम          ग्राम             प्रखंड
कवि कैलाश          घोड़ा देई           आरा
भोला                  जमीरा             आरा
कृत यादव            जमीरा             आरा
अकली देवी          लसाढ़ी          अगिआंव
वासुदेव सिंह         लसाढ़ी          अगिआंव
सभापति सिंह        लसाढ़ी          अगिआंव
महादेव यादव         लसाढ़ी          अगिआंव
गिरिवर सिंह यादव   लसाढ़ी          अगिआंव
जगरनाथ सिंह        लसाढ़ी          अगिआंव
रामानुज पाण्डेय      चासी            अगिआंव
राजदेव साह          चासी            अगिआंव
केसवर सिंह          चासी            अगिआंव
शीतल लोहार        चासी            अगिआंव
शीतल प्रसाद सिंह   ढकनी          अगिआंव
केशव प्रसाद सिंह    ढकनी          अगिआंव
कपिलदेव राम       कोईलवर        कोईलवर
अमीत अली         कोईलवर        कोईलवर
फुल कुमारी देवी     हरदिया         जगदीशपुर
राम अवतार सिंह    हरदिया         जगदीशपुर
महादेव प्रसाद        बिहिया          बिहिया
मुन्नी हलवाई          बिहिया          बिहिया
फेकन बारी           इटिम्हा           पीरो

 

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