‘मोदी’ की सीटें घटने का कितना होगा ‘असर’
भारत के लोकसभा परिणाम आ गये हैं। भाजपा को 240 सीटें मिलीं हैं। अन्य कोई भी सैंकड़ा पार नहीं कर पाया। कभी जिसका राज सभी राज्यों में हुआ करता था वह कांग्रेस गिरते-पड़ते विपक्ष का नेता बनने की हैसियत पाने में कामयाब हुई है लेकिन शतक नहीं मार पाई।

भोपाल। भारत के लोकसभा परिणाम आ गये हैं। भाजपा को 240 सीटें मिलीं हैं। अन्य कोई भी सैंकड़ा पार नहीं कर पाया। कभी जिसका राज सभी राज्यों में हुआ करता था वह कांग्रेस गिरते-पड़ते विपक्ष का नेता बनने की हैसियत पाने में कामयाब हुई है लेकिन शतक नहीं मार पाई। इस स्थान को पाने के लिए न जाने कितने दलों की मनुहार करना पड़ी है। यह सबको पता है कि क्षेत्रीय दलाें का प्रभाव साथ नहीं होता और प्रधानमंत्री मोदी अपना प्रतिद्वंद्वी राहुल गांधी को नहीं बताते तो कांग्रेस को इतनी सीटें नहीं मिली। विपक्षी नेताओं को अपने सरकार बनाने का कोई गम नहीं है उन्हें तो खुशी नरेन्द्र मोदी की तीसरी बार बहुमत प्राप्त करने की हसरत को पूरा न होने देने से खुशी हैं। आमतौर पर चर्चा अपने परिणाम पर होती है लेकिन भारत की राजनीति और मीडिया में चर्चा इस बात को लेकर हो रही है कि मोदी को विपक्ष ने दावा पूरा करने से रोक दिया। न तो चार सौर पार हो पाया और न ही भाजपा को स्परूट बहुमत मिल पाया। विपक्ष सहित देश के एक वर्ग का मानना है कि मोदी का अहंकार भी इस चुनाव में मिट गया। जो खुद को बायोलॉजिकल मानने से इंकार करते रहे थे?
जिसके खाते में उपलब्धि भरी हों उसके स्वर में आत्मविश्वास भरा होता है। वह भाव अगले काम की राह दिखाता है लेकिन प्रतिस्पर्धी को अहंकार दिखता है। यह नैरेटिव काम करता भी दिखाई दिया। भारत का विपक्ष न तो सरकार बनाने की स्थिति में है और न ही बन जाने पर चलाने की स्थिति में। इसलिए मैदान छोड़ने का विकल्प ही चुना गया। भारत के अलावा मोदी विश्व का राजनीति को प्रभािवत करने की ताकत रखते रहे हैं। इसलिए इस जनादेश का प्रभाव भारत के बाहर के समीकरणों को भी प्रभावित करेगा। मोदी की वर्तमान सरकार में जितने भी दल शामिल हैं उनमें से अधिकांश मोदी का आंख बंद करके साथ देने वाले हैं। दो दलों को लेकर चर्चा मीडिया कर रहा है। टीडीपी और जदयू? भाजपा की सनातन परख राजनीति में थोड़ा प्रभाव इनके समर्थन के सहारे के कारण पड़ सकता है। क्योंकि सनातन को अभी और एकत्र करने की जरूरत है और उसके हीन भाव को खत्म करने की जरूरत है। लेकिन वैश्विक राजनीति प्रभावित नहीं होने वाली है।
राजनीति को समझने वाले आज से ही कहने लग गये हैं कि भाजपा जो बहुमत से 32 सीटें दूर हैं इनकी भरपाई करने में उसे एक साल से अधिक का समय नहीं लगेगा। फिर से मोदी अपनी धुन में आ जायेंगे? यूपी की राजनीति में एक तरफा ध्रुरवीकरण का नुकसान बड़ी सबक रहेगा। आने वाले दिनों सबसे बड़ी बात यह होगी कि इस परिणाम का वैश्विक मामलों में कितना असर होगा? व्यक्तिगत दमदारी काम आयेगी या गठबंधन का दंश परेशान करेगा। यही खास सवाल उत्तर मांगता रहेगा?