Aditya L-1 की लॉन्चिंग में HEC की बड़ी भूमिका, बनाये कई उपकरण

रांची
गौरतलब है कि एचइसी वर्ष 2000 से ही इसरो के कई प्रोजेक्ट को सफलतापूर्वक पूरा करता आ रहा है. इसमें तीन मोबाइल लांचिंग पैड शामिल हैं. इसरो की रॉकेट असेंबली बिल्डिंग के लिए 400/60 और 200/30 टन का इलेक्ट्रिक ओवरहेड ट्रैवलिंग क्रेन भी एचइसी ने बनाया है. वहीं, फोल्डिंग कम वर्टिकल रिपोजिशनेबल प्लेटफॉर्म (एफसीवीआरपी), चक्रवात लॉक और वर्षा जल को रोकने के लिए स्लाइडिंग दरवाजे (एचएसडी), तीन में से एक मोबाइल लांचिंग पैड (लगभग 810 टन वजनी) भी एचइसी द्वारा निर्मित है. यह अब तक का सबसे बड़ा लांचिंग पैड है, जो 11 मॉड्यूल में बनाया गया है.

चंद्र अभियान की सफलता के बाद भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) सूरज का अध्ययन करने के लिए दो सितंबर को ‘आदित्य-एल1’ सूर्य मिशन को लॉन्च करेगा। इसरो ने एक्स पर जानकारी साझा करते हुए बताया कि आदित्य एल-1 दो सितंबर को 11 बजकर 50 मिनट पर श्रीहरिकोटा से लॉन्च किया जाएगा। आदित्य एल वन सूर्य का अध्ययन करने वाली पहली अंतरिक्ष-आधारित भारतीय वेधशाला है।
आदित्य एल वन की लॉन्चिंग देख सकें

इसरो ने बताया कि आदित्य एल वन की लॉन्चिंग आम नागरिक भी देख सकेंगे। इसरो ने श्रीहरिकोटा में लॉन्च व्यू गैलरी से लॉन्चिंग देखने के लिए लोगों को आमंत्रित भी किया है। इसके लिए लोग lvg.shar.gov.in/VSCREGISTRATIO…पर पंजीकरण कर सकते हैं।
मिशन का फायदा

बता दें कि ‘आदित्य-एल 1’ सूर्य के अवलोकन के लिए पहला समर्पित भारतीय अंतरिक्ष मिशन होगा, जिससे अंतरिक्ष एजेंसी इसरो द्वारा प्रक्षेपित किया जाएगा। आदित्य-एल1 मिशन का उद्देश्य एल1 (सूर्य-पृथ्वी लाग्रेंज बिंदु) के चारों ओर की कक्षा से सूर्य का अध्ययन करना है। यह अंतरिक्ष यान सात पेलोड लेकर जाएगा। अंतरिक्ष यान को सौर कोरोना (सूर्य की सबसे बाहरी परतों) के दूरस्थ अवलोकन और एल1 (सूर्य-पृथ्वी लाग्रेंज बिंदु) पर सौर हवा के यथास्थिति अवलोकन के लिए बनाया गया है। एल1 पृथ्वी से करीब 15 लाख किलोमीटर दूर है। बता दें कि पृथ्वी से सूर्य की दूरी 150 मिलियन लाख किलोमीटर है। आदित्य-एल1 मिशन, जिसका उद्देश्य L1 के चारों ओर की कक्षा से सूर्य का अध्ययन करना है।

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