‘शिवराज’ क्या भाजपा की हो गई लाडली ‘बहना’

यही तो राजनीति है भाई। शिवराज के बाद प्रदेश में मोहन सरकार काबिज हो गई। लेकिन पार्टी तो दोनों की भाजपा ही है। अब लाडली बहना को मिलने वाले 1250 रुपये की बात चल निकली। कांग्रेसी कह रहे थे कि शिवराज जी बचाओ लाडली बहना को राशि नहीं मिलेगी?

भोपाल। यही तो राजनीति है भाई। शिवराज के बाद प्रदेश में मोहन सरकार काबिज हो गई। लेकिन पार्टी तो दोनों की भाजपा ही है। अब लाडली बहना को मिलने वाले 1250 रुपये की बात चल निकली। कांग्रेसी कह रहे थे कि शिवराज जी बचाओ लाडली बहना को राशि नहीं मिलेगी? शिवराज को भी लगा कहीं सच में ऐसा न हो जाये और उनका भरोसा तोडऩे के चक्कर में भाजपा का ही भरोसा नहीं तोड़ दिया जाये। सवाल इसलिए भी बना था क्योंकि जब मोहन यादव ने यह कहा था के सभी योजनाएं चलती रहेंगी उस समय लाडली बहना का नाम न लेकर संशय पैदा कर दिया था। दस तारीख का सबको इंतजार था। सरकार बनने के बाद आई पहली दस तारीख लाडली बहनों के लिए उत्साह लेकर आई। मुख्यमंत्री डा. मोहन यादव ने उसी उत्साह के साथ एक करोड़ 29 लाख लाडली बहनों के खाते में 1250 रुपये के हिसाब से 1576.61 करोड़ रुपये डाल दिये। यह वह समय था जब कई राजनीतिक नेताओं का दिल धडक रहा था। कांग्रेस योजना पर सवाल उठाने को तैयार थी। बहनों की धड़कन इसलिए बढ़ रही थी कि राशि आयेगी या नहीं। शिवराज यह सोच रहे थे कि उनके नाम का क्या होगा? आखिरकार डॉ. मोहन यादव ने सिद्ध कर दिया कि यह योजना किसी व्यक्ति की नहीं भाजपा सरकार की है।

खातों में राशि का हस्तांतरण हो गया और प्रदेश में वही उत्साह जारी है। अब केवल यह सवाल उठ रहा है कि यह राशि लोकसभा के चुनाव में कोई प्रभाव न पड़े इसके लिए जारी की गई है या फिर प्रदेश की सरकार इसे निरन्तर जारी रखेगी? इस सवाल का औचित्य इसीलिए है क्योंकि प्रत्येक महीने करीब 1600 करोड़ की व्यवस्था करना उसके लिए बड़ा टास्क होगा। फिर भी बाजार की चक्र प्रणाली से राज्य के पास बड़ी राशि वापस लौट आती है। इस राशि का प्रबंधन कर लेने से प्रदेश के विकास को गति मिलेगी। अब लाडली बहना शिवराज की ही नहीं संपूर्ण भाजपा की हो गई है। डा. मोहन यादव ने उन सभी योजनाओं को जारी रखने का निर्णय लिया है जो पूर्ववर्ती शिवराज की अगुवाई वाली भाजपा सरकार के समय चल रही थी। नई सरकार के सामने दो ही चुनौती होती है? चुनाव से पहले शुरू की गई योजनाओं को व्यवहारिक रूप से संचालित किया जा सकेगा या नहीं इसकी वह समीक्षा करती है। लेकिन यदि मोहन सरकार ने लाडली बहना की पहली किस्त जारी कर दी है इसका मतलब यह हुआ कि सरकार इस योजना को निरन्तर जारी रखेगी।

इतने लम्बे समय के बाद शिवराज का हटना उन्हें खल रहा है। उनकी टिप्पणियों से ऐसा प्रतीत हो रहा है। यह समय की मांग है कि बदलरव होते रहना चाहिए। इसलिए उन्हें अपनी योजनाओं की सफलता की चर्चा अधिक करना चाहिए गम दिखाने की बजाए। उनके नाम जो इतिहास जुड़ गया है वह उनके लिए बताने का सबसे बड़ा अधिकार और आधार है। इसलिए चक्रव्यूह में आने की बजाए साथ देकर शिवराज को अपनी राजनीतिक पारी को आगे बढ़ाना अधिक उचित होगा। लाडली बहना अब व्यक्ति या पद की न होकर भाजपा की हो गई है इसलिए बहनों को तो बधाई बनती ही है।

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