शासकीय नजूल भूमि वक्फ नहीं हो सकती : रिजवी

रायपुर

मध्यप्रदेश पाठ्यपुस्तक निगम के पूर्व अध्यक्ष, छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस कमेटी के पूर्व उपाध्यक्ष तथा वरिष्ठ अधिवक्ता इकबाल अहमद रिजवी ने माननीय मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल एवं राजस्व मंत्री श्री जयसिंह अग्रवाल को पत्र प्रेषित कर कहा है कि शासकीय नजूल एवं ग्रामीण अंचल की राजस्व भूमि की अफरा-तफरी एवं अवैध कब्जों में दिन दुगनी-रात चौगुनी बढ़ोतरी पर अंकुश लगाना अतिआवश्यक हो गया है। बेजा कब्जाधारियों के हौसले बढ़ते ही जा रहे हैं।

शासकीय भूमि की सुरक्षा हेतु बेजा कब्जाधारियों में भय पैदा करने हेतु सजा एवं जुमार्ने का प्रावधान या भू-राजस्व अधिनियम में संशोधन आवश्यक हो गया है। पेशेवर कब्जाधारियों को रोकने कड़े नियम बनाना वक्त का तकाजा है। बेजा कब्जा की प्रथा पर अंकुश लगाने नजूल एक्ट बनाया जाना आवश्यक हो गया है, जो आज तक नहीं बना है। नजूल एक्ट बनने से सरकार की एक अभिनव उपलब्धि होगी। बेजा कब्जाधारियों में सजा एवं जुमार्ने का प्रावधान रखने से भय उत्पन्न होगा जो अभी तक नहीं है।

रिजवी ने कहा है कि शासकीय नजूल भूमि का पट्टा जिस प्रयोजन हेतु दिया जाता है उसका कड़ाई से पालन किया जाना चाहिए। शासन की अनुमति के बिना उस भूमि का प्रयोजन बदला नहीं जा सकता है। लीजधारक केवल उपयोगधारी होता है तथा भूमि स्वामी तो सरकार ही रहती है। शासकीय नजूल भूमि का वक्फ, गिफ्ट या दान करने का अधिकार लीज धारक को कदापि नहीं है।

इस संबंध में मध्यप्रदेश हाईकोर्ट, इलाहाबाद हाईकोर्ट तथा सुप्रीम कोर्ट के दृष्टांत उपलब्ध हैं कि शासकीय नजूल भूमि को वक्फ या अन्य प्रयोजन शासकीय अनुमति के बिना हो ही नही सकता है। लीज सीमित अवधि अर्थात् 30 वर्ष के लिए दिया जाता है। उक्त भूमि को लीजधारक ताकयामत तक के लिए कर ही नहीं सकता है तथा पट्टे में स्पष्ट लिखा होता है कि सरकार जब भी चाहे पट्टे को निरस्त कर सकता है अर्थात् लीजधारक के अधिकार क्षेत्र के बाहर की वस्तु है। उक्त शासकीय भूमि को वक्फ किया ही नहीं जा सकता है।

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