स्टार्टअप द्वारा घरेलू निवेशकों से जुटाई गई रकम जांच के दायरे में

नई दिल्ली (एजेंसी)। भारतीय स्टार्टअप द्वारा कर निर्धारण वर्ष 2019 और 2021 के बीच अत्य​धिक प्रीमियम पर घरेलू निवेशकों से जुटाई गई रकम आयकर विभाग की जांच के दायरे में आ गई है। मामले से जुड़े दो लोगों ने कहा कि कर विभाग ने हालिया नोटिस में बड़ी तादाद में स्टार्टअप से कहा है कि वे घरेलू निवेशकों को अ​धिक मूल्यांकन पर जारी किए गए शेयरों को ऐंजल कर के प्रावधानों के तहत स्पष्टीकरण दें। जिन स्टार्टअप को नोटिस जारी किए गए हैं उनमें वित्तीय तकनीक (फिनटेक) और ​शिक्षा तकनीक (एडटेक) क्षेत्र की स्टार्टअप कंपनियां भी शामिल हैं।

किसी गैर-सूचीबद्ध भारतीय कंपनी द्वारा किसी विदेशी और घरेलू निवेशक को शेयरों की बिक्री से मिली अतिरिक्त प्रीमियम को अन्य स्रोतों से होने वाली आय की श्रेणी में रखा जाता है। इसकारण वह रकम ऐंजल कर के दायरे में आती है। नोटिस में कहा गया है, हमें मूल्यांकन को बाजार दरों से अधिक क्यों नहीं मानना चाहिए। साथ ही उस पर आयकर अ​धिनियम की धारा 56(2)(7)(बी) (ऐंजल कर) के तहत कर क्यों नहीं लगाया जाना चाहिए। मामले से जुड़े कर अ​धिकारी ने कहा कि ये नोटिस मामलों के चयन के दौरान जोखिम के आकलन और विश्लेषण के बाद आयकर विभाग के इनसाइट पोर्टल से प्राप्त जानकारी पर आधारित हैं। ये नोटिस मार्च के दूसरे पखवाड़े और अप्रैल के पहले सप्ताह के बीच जारी हुए थे। हालांकि अ​धिकारियों ने स्पष्ट किया है कि मोदी सरकार में पंजीकृत स्टार्टअप को ऐंजल कर से छूट दी गई है। गौरतलब है कि डीपीआईआईटी में पंजीकृत स्टार्टअप की संख्या करीब 95,000 है।
विशेषज्ञों ने कहा कि सरकार द्वारा स्टार्टअप को ऐंजल कर से दी गई छूट कुछ हजार स्टार्टअप पर ही लागू होती है और यह सभी पंजीकृत स्टार्टअप पर एकसमान तरीके से लागू नहीं है। छूट के दावे के लिए लगाई गई शर्तें काफी सख्त हैं।

एक जानकार ने कहा, ‘स्टार्टअप का मूल्यांकन काफी हद तक निवेशक के उत्साह और कारोबारी आइडिया के विस्तार की रफ्तार पर निर्भर करता है। इसके बाद किसी मूल्यांकनकर्ता के लिए निवेशक की इच्छा के बिल्कुल अनुरूप मूल्यांकन करना कठिन होता है। यदि मूल्यांकन कम किया गया, तब वह फेमा दिशानिर्देशों का उल्लंघन होगा और यदि अ​धिक किया गया, तब वह ऐंजल कर के दायरे में होगा। दोनों ही सूरत में नतीजा स्वीकार करने लायक नहीं होगा।’

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