6 करोड़ का बना एस्टीमेट, कब बनेगा 300 मीटर का अंडरपास ब्रिज

कम हो जाएगी 40 किलोमीटर की दूरी, बढ़ेंगे 3 गुने पर्यटक

विश्वनाथ सिंह, इटारसी।1958 में प्रशासकीय स्वीकृति के समय तवा परियोजना में तवा बांध की लागत करीब 14 लाख रुपए आंकी गई थी। 1957 में काम शुरू हुआ तो इसमें 34.1 4 करोड़ रुपए खर्च होने का अनुमान लगाया गया। 7 साल बाद 1974 में 172 करोड़ रुपए में बांध बनकर तैयार हुआ। इसमें नहर का काम भी हुआ। यह बांध किसानों के लिए तो वरदान जरूर बन गया लेकिन पर्यटकों की दृष्टि से यह किसी अभिशाप से कम नहीं रहा। इस परियोजना का उद्देश्य अपने देश में बांधों की उत्तरजीविता एवं संवर्धन करना था। वर्ल्ड बैंक के रुपए से तवा बांध का निर्माण तो हो गया लेकिन पर्यटकों की दृष्टि से मात्र 300 मीटर का ब्रिज प्रोजेक्ट आज भी अधूरा है। अस्थाई पुल के सहारे यहां कंस्ट्रक्शन कार्य के लिए सीमेंट एवं लोहा लाया भी जाता रहा है। बरसात में यह पुल 4 माह बाधित रहता था। ओवर ब्रिज के लिए रानीपुर में निवास कर रहे कुछ आदिवासी परिवारों को हटाया भी गया था। पुरानी बस्ती रानीपुर के पास कुछ पिलर बनाए भी गए थे। तत्कालीन एसडीओ एमएम कश्यप ने इसका पूरा प्रोजेक्ट तैयार कर वर्ल्ड बैंक को भेजा भी था। इस प्रोजेक्ट में पर्यटकों की संख्या बढ़ने से 40 किलोमीटर की दूरी भी कम होने का जिक्र किया गया था। अन्य प्रांतों के साथ ही स्थानीय पर्यटकों को लाभ मिलने के साथ ही रोजगार के अवसर बढ़ेंगे। बालाजीपुरम, महाराष्ट्र, गुजरात, जबलपुर आदि स्थानों से आने वाले पर्यटकों की संख्या में 3 गुना वृद्धि जैसे प्रमुख बिंदु इस प्रोजेक्ट में दर्शाए गए। तत्कालीन एसडीओ की सेवानिवृत्ति के बाद जो भी एसडीओ आए इस प्रोजेक्ट को ठीक ढंग से रिप्रेजेंट नहीं कर पाए, जिससे यह मात्र 300 मीटर का ब्रिज आज भी अधूरा रह गया। इस प्रोजेक्ट में ब्रिज के बनने से डैम की सुरक्षा का भी उल्लेख किया गया था। तवा, मढ़ई, पचमढ़ी को आने वाले पर्यटकों को अभी तक 40 से 45 किलोमीटर की अधिक दूरी तय करनी पड़ती है, अगर यह ब्रिज बन जाए तो पर्यटकों की संख्या में भी वृद्धि के आसार है। इसके बनने से मड़ाई के लिए  धननेबाद फोरलेन तिराहा से  होकर तवानगर और यहां से मडई आने का रास्ता सुलभ हो जाएगा। वर्ल्ड बैंक की टीम यहां जांच करने भी आई किंतु विभागीय अधिकारी इसे ठीक तरीके से प्रस्तुत नहीं कर पाए, जिस कारण यह प्रमुख ब्रिज प्रोजेक्ट आज भी अधूरा है। बैतूल, नर्मदापुरम, हरदा संभाग के स्थानीय पर्यटकों को भी इसका सीधा लाभ मिलेगा। स्थानीय नागरिक बीजेपी विधायक प्रतिनिधि रीता ठाकुर, एडवोकेट भूपेश साहू, बलदेव सोनारे  पूर्व उपसरपंच, सेक्टर अध्यक्ष कांग्रेस मोहम्मद सगीर सिद्धकी, सरपंच शिवनारायण धुर्वे आदि का कहना है कि तमाम बार इसके लिए आवाज उठाई गई किंतु नतीजा सिफर रहा। इस ब्रिज के बनने से रोजगार के साथ ही पर्यटकों की संख्या में भी वृद्धि हो सकती है जिससे राजस्व भी बढ़ेगा। यदि रानीपुर के पास अंडरपास ब्रिज बना दिया जाए तो यह परिकल्पना साकार रूप ले लेगी। पैसे के अभाव में यह बहुमूल्य प्रोजेक्ट रद्द पड़ा है।
6 करोड़ का बना प्रोजेक्ट
डाउनस्ट्रीम से करीब 1 किलोमीटर की दूरी पर रानीपुर से बागरा निकलने वाले मार्ग पर ब्रिज बनाने के लिए पहले भी प्रस्ताव बनते रहे हैं। 6 करोड रुपए का मैंने प्रोजेक्ट भी तैयार कर लिया है। यह अंडरपास ब्रिज यदि बन जाए तो पर्यटकों की संख्या के साथ ही रोजगार के अवसर और दूरी भी कम होगी। वीके जैन , कार्यपालक यंत्री, नर्मदापुरम
बांध की बढ़ेगी सुरक्षा
हमने कोशिश की थी कि हमारे टाइम से आवागमन बंद हो। इस ब्रिज के बनने से बांध की सुरक्षा भी बढ़ जाएगी। पर्यटक और रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे। वर्ल्ड बैंक के लिए प्रोजेक्ट रिपोर्ट तैयार कराई जा रही है। एनके सूर्यवंशी, एसडीओ, तवा परियोजना
कम होगी 45 किलोमीटर की दूरी
बालाजीपुरम, गुजरात, महाराष्ट्र, जबलपुर आदि प्रांतों से आने वाले पर्यटकों को इस अंडरपास ओवरब्रिज बनने से 40 से 45 किलोमीटर की दूरी कम तय करनी पड़ेगी। मडई, पचमढ़ी तवा के पर्यटकों की संख्या में भी वृद्धि होगी। अभी यह इटारसी से होकर मडई, पचमढ़ी पहुंचते हैं। भोपाल, बैतूल, इटारसी सभी के लिए सुविधाजनक हो जाएगा।
यह लगानी होती है परिक्रमा
बैतूल की ओर से आने वाले पर्यटक पहले तवा वापस और वापस इटारसी, नर्मदापुरम होकर मडई, पिपरिया, पचमढ़ी पहुंचते हैं। भोपाल से आने वाले पर्यटक नर्मदापुरम के रास्ते सीधे पचमढ़ी, मडई की यात्रा कर लेते हैं किंतु तवा से वंचित रह जाते हैं। अब बात करें इटारसी के पर्यटकों की तो यह तवा से पुनः इटारसी, नर्मदापुरम होते हुए पचमढ़ी की यात्रा करते हैं। यह ब्रिज बनने से रास्ता सीधा, सुगम व दूरी भी कम होगी।
निश्चित ही पर्यटक बढ़ेंगे
अंडरपास ब्रिज के बनने से जब दूरी कम होगी और सुविधाएं मिलेंगी तो निश्चित ही पर्यटक बढ़ेंगे और मडई एवं तवा तथा पचमढ़ी के पर्यटकों को इसका सीधा व प्रत्यक्ष लाभ मिलेगा। सुयोग ऑफले, तवा रिसॉर्ट मैनेजर

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