हाजिरी लगाकर गायब हो जाते हैं कर्मचारी निगम का खजाना हो रहा खाली

आधा साल गुजरने के बाद महापौर ने मांगी कर्मचारियों की लिस्ट, करेंगी समीक्षा

शिखर वाणी, भोपाल। नगर निगम की खराब आर्थिक स्थिति के लिए निगम प्रशासन खुद ही जिम्मेदार है। तंगहाली की एक बड़ी वजह दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों के नाम पर फर्जीवाड़ा भी है। नगर निगम भोपाल में स्थायी, विनियमित, दैनिक वेतन भोगी और प्रतिनियुक्ति पर आए कर्मचारियों की संख्या 15 हजार को पार कर चुकी है।

कुछ शाखाओं में पदस्थ कर्मचारी केवल वेतन ले रहे हैं, लेकिन काम के समय वो हाजिरी लगाकर घर चले जाते हैं। स्वच्छता विभाग में कामगारों की संख्या है 8000 के लगभग है लेकिन आधे भी फील्ड में नजर नहीं आते। जिसके चलते रोजाना 10 से 15 प्रतिशत घरों से कचरा नहीं उठता और मुख्य बाजारों तक में रोजाना झाडू तक नहीं लगती। यही भ्रष्टाचार की बड़ी वजह है।  वीआईपी क्षेत्रों में की बात करें तो 74 बंगला, चार इमली, शिवाजी नगर और श्यामला हिल्स इलाकों में दिन में दो बार सफाई होती है। इनके आसपास के ही इलाकों सेकंड स्टॉप और प्रोफेसर कॉलोनी में कामगार नजर नहीं आते। अरेरा कॉलोनी और शाहपुरा ए,बी,सी सेक्टर सहित अन्य कॉलोनियों में रहवासियों ने अपनी व्यवस्था जमा रखी है, इसलिए वहां सफाई नजर आती है।

निगम का दावा है कि  100 प्रतिशत डोर टू डोर कचरा कलेक्शन होता है। लेकिन शहर में कई जगहों पर कचरे के ढेर नजर आते हैं। इंदौर ने डोर टू डोर कचरा कलेक्शन और सेग्रीगेशन के सूत्र को अपनाया और 6 साल पहले इंदौर स्वच्छता में देश में नंबर 1 आया था, उसके बाद से लगातार इंदौर ने अपनी पोजीशन बरकरार रखी है। लेकिन यहां के हालात बताते हैं कि भोपाल नंबर 1 तो केवल नारा ही हो सकता है।

ये प्रयास भी रहे नाकाम

बता दें कि जब भी नया कमिश्रर आता है वह कर्मचारियों की बढ़ी हुई संख्या को लेकर ऑडिट करने की बात कहता है। भौतिक सत्यापन के लिए परेड भी कराई गई लेकिन एक साथ सभी कर्मचारी उपस्थित नहीं हो सकते। बायोमेट्रिक अटेंडेंस की भी व्यवस्था की गई लेकिन लोग हाजिरी लगाकर चले जाते हैं। वही कर्मचारी हटाए जा सके जो यहां नहीं रहते।  हालांकि महापौर द्वारा अचानक विभागवार जानकारी मांगी जाने से अधिकारी और कर्मचारियों की चिंता बढ़ गई है।
नेताओं और पार्षदों का दबाव
कई बार यह बात सामने आ चुकी है कि स्थानीय नेताओं व पार्षदों के रिश्तेदार या उनके समर्थकों की दैनिक वतन भोगी के रूप में रखवाया गया है लेकिन काम नहीं करने के बाद निगम उन पर कार्रवाई नहीं कर पाता। जिससे वेतन बांटने में ही निगम की हालत खराब हो रही है।

महापौर ने मांगी सूची

महापौर मालती राय ने सभी विभागों से संबंधित कर्मचारियों की सूची मांगी है। महापौर मंगलवार को विभागवार समीक्षा भी करेंगी। इसको लेकर एक पत्र जीएडी ने सभी विभागों को जारी किया है। महापौर की समीक्षा के पहले जो कर्मचारियों की जानकारी मांगी गई है, उसमें तीन बिंदु शामिल किए गए हैं। इसमें निगम के समस्त वार्ड और जोन में पदस्थ नियमित, विनयमित, संविदा और दैनिक वेतनभोगी कर्मचारियों का आंकड़ा मांगा गया है। दूसरे बिंदू में हाउसिंग फार आल सेल में काम करने वाले अधिकारी और कर्मचारियों की जानकारी मांगी गई है। तीसरे बिंदु में निगम अधिपत्य की लाइब्रेरी कहां-कहां संचालित है और इनमें कितने कर्मचारी कार्यरत है।

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