दिल्ली सेवा बिल राज्यसभा में भी पास पक्ष में 131 वोट विरोध में 102
दिल्ली सेवा बिल को आज राज्यसभा ने भी पारित कर दिया है। लोकसभा इस बिल को पहले ही पास कर चुकी है। देर रात तक चली बहस का परिणाम बिल के पास होने के पक्ष में आया। इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन के समय पर खराब हो जाने से पर्चियों के द्वारा मतदान किया गया था। राज्यसभा के उपसभापति हरबंस सिंह ने बिल के पास होने की घोषणा की।
विशेष प्रतिनिधि, नई दिल्ली। दिल्ली सेवा बिल को आज राज्यसभा ने भी पारित कर दिया है। लोकसभा इस बिल को पहले ही पास कर चुकी है। देर रात तक चली बहस का परिणाम बिल के पास होने के पक्ष में आया। इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन के समय पर खराब हो जाने से पर्चियों के द्वारा मतदान किया गया था। राज्यसभा के उपसभापति हरबंस सिंह ने बिल के पास होने की घोषणा की। इससे पहले सभी संशोधन भी प्रस्ताव ध्वनि मत से गिर गए। बिल पास होने के बाद केजरीवाल की तीखी प्रतिक्रिया सामने आई है। उन्होंने जिस अंदाज में प्रधानमंत्री पर निशाना साधा उसमें उनका गुस्सा साफ दिखाई दे रहा था। बात भी तथ्यों के अनुकूल नहीं थी। अमित शाह ने राज्यसभा में हुई चर्चा का जवाब दिया। कई बार तेज नोकझोंक और चुनौतियों का आदान-प्रदान भी हुआ।
विपक्ष के पास राज्यसभा में गठबंधन की शक्ति दिखाने का अवसर था। उसी को ध्यान में रखकर पूरी रणनीति तय की गई। इसके बाद भी विपक्ष के कुल वोट में से 7 वोट खिसक गए और सरकार के पक्ष में अपेक्षा से 10 वोट अधिक आए। इस प्रकार एक अच्छे मार्जिन के साथ राज्यसभा में भी दिल्ली सेवा बिल पास हो गया। इस बिल को पास कराने के लिए भाजपा ने काफी समय पहले से रणनीति बना ली थी। जिसमें बीजेडी, वाईएसआर कांग्रेस तथा तेलुगू देशम का भी साथ मिला। यह पार्टियां फिलहाल राजग की समर्थक नहीं है। अभी यह आकलन सामने नहीं आया है कि सरकार के पक्ष में 10 वोट अधिक किन दलों के सांसदों के हैं। इस बिल के पास होने से दिल्ली संघ शासित विधानसभा और सरकार के अधिकार काफी कम हो जाएंगे।
दिल्ली सेवा बिल को लेकर सदन में जिस प्रकार की चर्चा हुई वह अपने आप में काफी जबरदस्त रही। अनेकों अवसरों पर संघर्ष की स्थिति भी दिखाई दी। अभिषेक मनु संघवी ने संवैधानिक व्यवस्थाओं का जबरदस्त उल्लेख किया। पी चिदंबरम ने भी अपनी बात को महत्वपूर्ण तरीके से रखा। सत्ता पक्ष विपक्ष के सभी सदस्यों की ओर से अपने अपने तरीके से बात कही गई। आम आदमी पार्टी की तरफ से राघव चड्ढा ने सलीके से बात को रखा लेकिन वे अपील करने में कामयाब नहीं हो पाए। दिन भर हुई बहस का जवाब देते हुए गृह मंत्री अमित शाह ने कुछ ऐसी बातों का भी उल्लेख किया जिनसे सदन में सन्नाटा पसर गया। सांसदों के द्वारा उठाए गए विषयों पर अमित शाह ने विस्तृत जवाब दिया। अमित शाह के जवाब के बाद समूचा विपक्ष निरुत्तर हो गया। लोकतंत्र, संविधान और संघीय व्यवस्था पर उठाए गए सवालों का अमित शाह ने तार्किक और जबरदस्त जवाब दिया। आपातकाल में लोकतंत्र को जिस प्रकार खत्म कर दिया गया था इसके बाद कांग्रेस की ओर से जबरदस्त प्रतिकार हुआ। और कहा गया कि यह विषय से अलग बात है। आरोप लगाने वाले सदस्य हंसने के अलावा कुछ नहीं कर पा रहे थे।
आखिर सरकार को इतनी जल्दबाजी में यह बिल क्यों लाना पड़ा? यह सबसे बड़ा सवाल उभर कर सामने आया। अमित शाह ने इसका बहुत विस्तृत जवाब दिया। शाह ने कहा कि संविधान पीठ ने अपनी सलाह 2 सदस्यों की खंडपीठ को वापस भेजी। जिसमें यह कहा गया था कि राज्य में स्थानांतरण के अधिकार निर्वाचित सरकार के पास होना चाहिए। इसके बाद इस मामले को खंड पीठ के द्वारा निराकृत किया जाना था। उसकी प्रतीक्षा किए बिना ही केजरीवाल सरकार ने कुछ आदेश प्रसारित कर दिए। सबसे पहले विजिलेंस के अधिकारियों के यहां आदेश पहुंच गए। जिनमें शराब घोटाला, शीश महल निर्माण के मामले और अन्य प्रकार के घोटाले के कागजात शामिल थे। अधिकारियों ने रात में ही पुलिस में रिपोर्ट दर्ज कराई और एल जी को भी शिकायत भेजी। इसलिए केंद्र की सरकार ने अध्यादेश लाकर राज्य सरकार द्वारा सुप्रीम कोर्ट की आड़ में जो रास्ता निकाला था उसे पर पाबंदी लगाई गई। इससे केजरीवाल सरकार की मंशा साफ हो गई कि वह अधिकारों का दुरुपयोग करने जा रही है। सेवा उसका मकसद नहीं है।
विपक्ष के नेता मलिकार्जुन खरगे ने कई महत्वपूर्ण मुद्दों को उठाया। जिसमें मणिपुर की चर्चा भी शामिल थी। अमित शाह ने खरगे को चुनौती दी कि 11 तारीख को जितने समय तक वे इस मुद्दे पर चर्चा करना चाहते हैं कर सकते हैं। उन्होंने चुनौती दी कि जवाब सुनने की स्थिति में आप नहीं रहेंगे। अमित शाह ने कहा कि यदि आप में दम है तो जो बिल में आज लेकर के आया हूं उसे ही गिरा कर बता दीजिए। विपक्ष की तरफ से किसी भी सदस्य ने 11 तारीख को मणिपुर पर चर्चा कराए जाने की चुनौती को स्वीकार नहीं किया। इस प्रकार राज्यसभा में हंगामे और शोर-शराबे के साथ मतदान की पूरी प्रक्रिया करा कर दिल्ली सेवा बिल पास हो गया। दोनों सदनों में बिल के पास होने के बाद राष्ट्रपति के हस्ताक्षर होते जी यह कानून के रूप में अमलीजामा पहन लेगा। इस प्रकार एक बड़े अध्याय का समापन हो गया