‘प्रदेश’ में किसानों की बढ़ती आय पर ‘वाद-विवाद’

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी प्रदेश के रीवा में आये थे। स्वभाविक है कि प्रधानमंत्री किसी राज्य में आते हैं तब सौगातों का पिटारा खुलता ही है। मोदी पिछले दिनों से कई बार मध्यप्रदेश में आये हैं तब यह अनुमान लगाया जा सकता है कि प्रदेश में या तो ऐसा कुछ हो

भोपाल। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी प्रदेश के रीवा में आये थे। स्वभाविक है कि प्रधानमंत्री किसी राज्य में आते हैं तब सौगातों का पिटारा खुलता ही है। मोदी पिछले दिनों से कई बार मध्यप्रदेश में आये हैं तब यह अनुमान लगाया जा सकता है कि प्रदेश में या तो ऐसा कुछ हो रहा है, जिसकी शुरूआत के लिए प्रधानमंत्री की जरूरत है और या फिर यह मानना होगा कि प्रधानमंत्री प्रदेश को कुछ अधिक देने की मंशा रखते हैं। रीवा की योजनाओं की शुरूआत या भूमिपूजन से ऐसा लगा भी। इसी आयोजन में प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने एक जानकारी दी कि दुनिया वालों सुन लो रीवा के किसानों ने अच्छा उत्पादन किया है जिससे उनकी आय दोगुणा हो गई है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का सपना है कि किसान की आय को दोगुणा किया जाये। स्वभाविक है कि आय का दो गुणा करने के लिए सरकार की नीतियां, किसान को सुविधाएं और उसके उत्पाद का उचित मूल्य और प्रकृति की विपदाओं से किसान का संरक्षण जरूरी है। केन्द्र सरकार किसानों को सहायता कर रही है। प्राकृतिक आपदा के समय शिवराज सिंह स्वयं सामने आकर किसान का संरक्षण करते हैं और नुकसान की भरपाई करते हैं। समर्थन मूल्यों में भी बार-बार बढ़ोत्तरी हो रही है। इस सबके बाद भी विपक्षी दल के नेता कमलनाथ ने शिवराज को दावे के समर्थन में तथ्य पेश करने की चुनौती दी है!

यह सवाल हो सकता है कि आय दो गुणा हुई या नहीं। जिस प्रकार दो करोड़ रोजगार देने के बारे में केन्द्र सरकार ने संसद में तर्क देकर बताया था कि किस प्रकार रोजगार मिले हैं। ऐसे ही तर्क किसानों की आय के संबंध में भी दिये जा सकते हैं। लेकिन परिणाम तो तभी निकलेगा जब उनको स्वीकार किया जाये। विपक्ष स्वीकार क्यों करेगा? इसलिए यह सवाल तो जिंदा ही रहने वाला है। यह देश तो वह है जिसमें यह उम्मीद लगाई जा सकती है कि सरकार बिना कुछ करे उसके खाते में पन्द्रह लाख जमा करायेगी? विपक्ष इसे भी मुद्दा बना रहा है। तब किसी भी बात पर वाद-विवाद तो किया ही जा सकता है फिर चाहे सवाल उठाने वाले के पास उसका जवाब हो या न हो। कमलनाथ पन्द्रह माह की सरकार में किसान कर्जमाफी का चमकदार मुद्दा देकर आये थे लेकिन कर्जमाफी का फार्मूला निकालने में एक साल निकल गया। वे किसानों को लेकर सवाल पूछ रहे हैं। राजनीति में कुछ भी किया जा सकता है। लेकिन इतना तो कहना ही पड़ेगा कि शिवराज का बयान रीवा के लिए था या पूरे प्रदेश के लिए?

स्वामीनाथन कमेटी कांग्रेस की सरकार के समय बनी थी रिपोर्ट भी उनकी सरकार के समय ही आई थी। उसके क्रियान्वयन के लिए शुरूआत मोदी सरकार में हुई लेकिन शोर यह मचाया जा रहा है कि रिपोर्ट पूरी लागू नहीं हुई। जब आप रिपोर्ट को खोलकर देखना नहीं चाहते हैं और दूसरी सरकार से उसके एक साथ क्रियान्वयन की मांग करते हैं यह क्यों नहीं सोचते की यह बात किसान की समझ में भी आ रही होगी? लेकिन राजनीति में इन दिनों जितना झूठ बोला जा रहा है उतना इससे पहले कभी नहीं बोला गया। झूठ पर आधारित राजनीति के पांव कितने दिन तक जमीन पर टिकेंगे देखने वाली बात है। कमलनाथ दावे के प्रमाणों की प्रतीक्षा कर रहे होंगे?

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