‘ईवीएम’ की आलोचना नहीं बढ़ा सकती ‘ जनाधार’

जनाधार बढ़ाने का एक ही रास्ता होता है वह होता है जनता के बीच जाकर काम करना। आलोचना करना और बुराई निकालते रहने का इतना लाभ तो हो सकता है कि आप मीडिया चर्चाओं में बने रहें लेकिन उससे जनाधार में कोई खास बढ़ोतरी होगी ऐसी कल्पना नहीं की जाना चाहिए। ऐसा ही कुछ है ईवीएम की बुराई निकालने वाले मामले में।

 भोपाल। जनाधार बढ़ाने का एक ही रास्ता होता है वह होता है जनता के बीच जाकर काम करना। आलोचना करना और बुराई निकालते रहने का इतना लाभ तो हो सकता है कि आप मीडिया चर्चाओं में बने रहें लेकिन उससे जनाधार में कोई खास बढ़ोतरी होगी ऐसी कल्पना नहीं की जाना चाहिए। ऐसा ही कुछ है ईवीएम की बुराई निकालने वाले मामले में। ईवीएम को हैक किया जा सकता है या उसमें छेड़छाड़ करके सरकार बनाई जा सकती है इस बात को गले उतारना काफी कठिन है। लेकिन इसकी चर्चा से हार को डायलूट करने में जरूर सफलता मिल सकती है। सरकार बनाने के लिए काफी पापड़ बेलने पड़ते हैं लेकिन सरकार न बनने के लिए एक ही आधार पर्याप्त होता है। हम छत्तीसगढ़ को इसका उदाहरण मान सकते हैं। वहां पर यही उम्मीद थी कि कांग्रेस वहां पर अपनी सरकार को दोबारा ला रही है। इसके लिए अनुकूलता भी दिखाई दे रही थी। लेकिन महिलाओं को राहत देने की मध्यप्रदेश जैसी योजना, प्रधानमंत्री मोदी की चमक और बघेल पर कई प्रकार के घोटाले खासे चर्चा में रहे। इससे सरकार के प्रति बनी सहानुभूति एक टके में खत्म हो गई। महादेव एप की जानकारी खुलने और इसमें शामिल व्यक्ति ने जब खुलासा कर दिया तो जनता में मुहर लग गई और बघेल साहब चले गये।

नेता के प्रति विश्वास बड़ी बात होती है। मध्यप्रदेश में पांचवी बार भाजपा की सरकार बनी है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के बाद शिवराज की लोकप्रियता को कम नहीं आंका जा सकता है। एक और एक ग्यारह होने का लाभ मिला। इसके लिए इवीएम को दोषी मानना खुद को धोखा देना ही कहा जा सकता है। यदि मशीनों को हैक करने का कारनामा करना होगा तो क्या सॉफ्टवेयर को इतना अधिक व अधिकांश राज्यों में प्रभावित किया जा सकता है? ऐसा होने लग जाये तो सॉफ्टवेयर से चलने वाले सभी सिस्टम ही ध्वस्त हो जायेंगे। बैंकिंग प्रणाली ही चौपट हो जायेगी। जिन राज्यों में कांग्रेस की सरकार है और सैम पित्रोदा जैसे इस मामले के मास्टर राहुल गांधी के साथ हैं तब वे अपने राज्यों में ऐसा प्रयोग क्यों नहीं कर पाये? मतलब यह है कि ईवीएम पर आरोप लगाने का सीधा सा अर्थ होता है कि माथे पर लगा हार का दाग कुछ धुंधला कर लिया जाये। विपक्षी नेतागण ऐसा ही कुछ करने का प्रयास कर रहे हैं। यह समझना होगा कि भाजपा एक-एक हितग्राही से मिल रही है। राम मंदिर का ही बहाना क्यों न हो आम जनता से मिलने को उत्सुक है। विपक्षी दलों के नेता आलोचना करने और बुराई निकालने के बजाए जनता के बीच जाने का क्या कर रहे हैं?

इसलिए जयराम रमेश साहब कांग्रेस और खासकर राहुल गांधी को भरमाने की बजाए जनता के बीच स्पष्ट विचारधारा और विजन के साथ जाने का प्रयास करना चाहिए। आलोचना तो मोदी की वर्षों से की जा रही है। उपराष्ट्रपति की भी कर ली। चोर और अडाणी भी बहुत कर लिया। अब जनता के पास जाने का प्रयास करना चाहिए जिससे लोकतंत्र में ताकतवर विपक्ष देखने का सुख मिल सके। अन्यथा 2024 भी विपक्ष के हाथ से चला जायेगा और मोदी की हैट्रिक के साथ सदन नेता प्रतिपक्ष विहिन ही रहेगा।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button