‘लाबिंग’ की खुली प्रतिस्पर्धा में करेक्ट ‘फैसला’

क्रिकेट में अंपायर के फैसले के बाद कुछ समय होता है जब थर्ड अंपायर को अपील की जा सकती है। वह वीडियो रिकार्डिग के तथ्यों और प्रमाणों को देखने के बाद बिलकुल सटीक फैसला लेते हैं। इस फैसले को सभी स्वीकार करते हैं। अभी तक किसी ने भी उसे अस्वीकार किया हो ऐसा कोई प्रमाण नहीं है।

भोपाल। क्रिकेट में अंपायर के फैसले के बाद कुछ समय होता है जब थर्ड अंपायर को अपील की जा सकती है। वह वीडियो रिकार्डिग के तथ्यों और प्रमाणों को देखने के बाद बिलकुल सटीक फैसला लेते हैं। इस फैसले को सभी स्वीकार करते हैं। अभी तक किसी ने भी उसे अस्वीकार किया हो ऐसा कोई प्रमाण नहीं है। यदि मध्य प्रदेश की प्रशासनिक व्यवस्था में इस बात को देखा जाए तो होगा जबरदस्त लॉबिंग के बाद जो बात दोपहर पार करने तक सामने आ रही थी वह यकायक बदल गई। खबरें किसी और की चल रही थी नाम कोई अोर आ गया। लोग कहते हैं निर्णय को देखकर थर्ड अंपायर ने खुद ही एंट्री मारी और अंपायर का निर्णय हो उससे पहले ही अपना निर्णय सुना दिया। इस प्रकार मध्य प्रदेश को राजेश राजौरा के नाम चलने के बाद अनुराग जैन जैसे ईमानदार और सुलझे हुए अधिकारी के रूप में मुख्य सचिव मिल गया। इससे पहले भी वरिष्ठ अधिकारियों में मुख्य सचिव बनने की होड़ होती रही है। यह पहला अवसर है जब इतना खुलकर लॉबिंग हुई हो और चौंकाने वाले परिणाम सामने आ जाए। जिस प्रकार के अधिकारी ने मध्य प्रदेश के प्रशासनिक मुखिया का काम संभाला है इसके बाद प्रदेश के विकास में चार चांद लगाने की संभावना देखी जाने लगी है। फिर भी अच्छे प्रशासन के लिए कड़ी मेहनत और आर्थिक व्यवस्था को सुधारने के लिए मितव्ययता बरतना पड़ेगी?

देश के मध्य भाग में स्थित मध्य प्रदेश के विकास के लिए समुचित योजना की प्रतीक्षा कर रहा है। हालांकि पिछले वर्षों में बीमारू राज्य कार तक मार छोड़ते हुए मध्य प्रदेश में तेजी से प्रगति की है। अधोसंरचना मामले में देश के प्रगतिशील राज्यों के साथ प्रदेश ने प्रतिस्पर्धा की है। निवेश के लिए भी लगातार प्रयास किये जा रहे हैं। जब से प्रदेश सरकार की कमान डा. मोहन यादव के हाथों में आई है तब से उन्होंने निवेश के लिए क्षेत्रवार प्रयास किये हैं। जानकार इसे सकारात्मक परिणाम पाने में सहायक प्रयास मान रहे हैं। चूंकि अब प्रदेश की कमान एक अनुभवी और विजन रखने वाले अधिकारी के हाथ में आ गई है इसलिए निवेश को लेकर रचनात्मक पहल की संभावना देखी जा सकती है। अनुराग जैन के सामने सबकुछ ठीक नहीं है। प्रदेश की माली हालात को ठीक करने के लिए उन्हें अतिरिक्त प्रयास करना होंगेे। वे प्रदेश में वित्त विभाग के प्रमुख रहे हैं। उस समय किसान कर्जमाफी का विषय भी उनके सामने था इसलिए उन्हें यह पता है कि प्रदेश के संसाधानों को किस प्रकार से संभाला जाये जिससे कर्ज की हालत से छुटकारा पाया जा सकता है।

लाडली बहना योजना का कोई रचनात्मक विकल्प निकालने या उसे उस प्रकार चलाने का कोई रास्ता निकालना होगा जिससे प्रदेश का खजाना सुरक्षित रह सके। जिस प्रकार कर्ज लेना पड़ रहा है उससे कैसे निजात पाई जा सकती है। प्रधानमंत्री मोदी का भरोसा होने के कारण अनुराग जैन प्रदेश के लिए एपारस मणि हो सकते हैं। वे प्रदेश की राजनीति पर मोदी के निर्णय को संभाल सकते हैं। इसलिए लाबिंग को नकारने का मोदी प्रयास अब अनुराग के हाथों में सुरक्षित हो गया है। तथा प्रदेश को नया संदेश भी चला गया है।

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