उपचुनाव बतायेंगे लोकसभा के बाद कैसा है यूपी का मूड़
लोकसभा चुनाव में यूपी के चुनाव परिणामों ने नरेन्द्र मोदी के तीसरी बार अपने दम पर सरकार बनाने के मंसूबे का सफल नहीं होने दिया था। यहां पर भाजपा की सीटें पिछले बार की तुलना में आधी रह गई थी।
सुरेश शर्मा, भोपाल।
लोकसभा चुनाव में यूपी के चुनाव परिणामों ने नरेन्द्र मोदी के तीसरी बार अपने दम पर सरकार बनाने के मंसूबे का सफल नहीं होने दिया था। यहां पर भाजपा की सीटें पिछले बार की तुलना में आधी रह गई थी। सपा को भाजपा से अधिक सीटें मिलीं और जिस कांग्रेस को अपने रायबरेली सीट बचाने के लाले थे वह अमेठी भी जीत गई और कुछ सीटें और भी उसके हाथ में आ गई। तब यह पीडीए समीकरण सामने आया था। पीडीए का मतलब पिछड़ा, दलित और अल्पसंख्यक। यूपी का ही क्या देश भर का अल्पसंख्यक खासकर मुस्लिम भाजपा को हराने के लिए वोट दे रहा है ऐसे में उसे यूपी में तगड़ा विकल्प मिल गया और उसका काम हो गया। लोकसभा चुनाव के बाद भाजपा ने अपने समीकरण बदले हैं। राजनीति करने का तरीका बदला है। यूपी लोकसभा के चुनाव में विदेशी शक्तियों ने भी चुनाव को प्रभावित करने का प्रयास किया था। अब उपचुनावों में इसकी कोई संभावना है नहीं।
अब उपचुनाव में अल्पसंख्यक वोट तो पूरे जोश के साथ सपा को मिलने वाले हैं। जबकि पिछड़ा वर्ग के वोट अब केवल यादवों तक ही सीमित रहने वाले हैं। यह भी कहा जा रहा है कि समूचा यादव समाज अखिलेश के पास जाने वाला नहीं है। कुछ योगी को भी पंसद करते हैं। अबकी बार के इन उपचुनावों में दलित समीकरण से बाहर आता हुआ दिखाई दे रहा है। लोकसभा चुनाव में बाबा साहब अम्बेडकर के संविधान को खत्म करने का झूठ परोसा गया था जिसकी सच्चाई सामने आ गई। संविधान तो नेहरू जी ने एक साल में ही बदल दिया था। जिस बात को बाबा साहब ने नहीं माना था उसे लागू करने के एक साल में ही बदल दिया गया था। इंदिरा ने तो प्रस्तावना को ही बदल कर बाबा साहब को ठेंगा दिखा दिया था।
आखिर मोदी किस बात के लिए संविधान बदलना चाह रहे हैं इसका आंकलन करने का समय ही नहीं मिला। लेकिन अब तो उपचुनाव हैं और इस बात पर चर्चा होना चाहिए कि आखिरकार मोदी बदलना क्या चाहते हैं। खास बात यह है कि मोदी यदि संविधान से कुछ बदलना चाहते हैं वह बाबा साहब के बाद संविधान को बदला गया था उसे बदलना चाह रहे हैं। वक्फ कानून का प्रमाण सामने है। हिन्दू मंदिरों के अधिग्रहण के अधिकार का कानून हो सकता है और कोई 370 जैसा कानून? यह बात दलित समाज को समझ में आ गया है इसलिए पीडीए समीकरण कमजोर हो रहा है। यही सपा के समीकरण को बदलने वाला होगा। इसलिए उपचुनाव में यूपी का मूढ समझ में आ जायेगा। उसे लोकसभा के मतदान पर फिर से मुहुर लगाता है या फिर योगी राज की संभावनाओं को बरकरार रखेगा? अब सबकी नजर इसी परिस्थितियों पर लगी हुई है। समीकरण साधने में कौन सा दल आगे रहता है और नये समीकरण कौन बनाता है?