यूपी में लोकसभा वाला पैटर्न तोड़ने में भाजपा कामयाब

विशेष प्रतिनिधि, भोपाल।
आज चुनाव के लिए मतदान का क्रम पूरा होने जा रहा है। महाराष्ट्र और झारखंड के चुनाव के अलावा चर्चा यूपी के उपचुनावों की सबसे अधिक हो रही है। यूपी में लोकसभा चुनाव के समय एक पेटर्न सेट किया गया था। उपचुनाव में उसका विस्तार करने की खबर प्रशासन के पास पहले से आ चुकी थी। जिसको ध्वस्त किया गया तो हंगामा हो गया। सबसे पहले सपा के अध्यक्ष अखिलेश यादव चुनाव आयोग के पास पहुंचे। आरोप लगाया कि महिलाओं को पुलिस रोक रही है? आयोग ने कहा कि पुलिस महिलाओं की चैकिंग मतदान के लिहाज से न करे। अब मतदान केन्द्रों पर वोट डालने वाला वो ही है या नहीं यह बखूबी परखा जा रहा है। इससे वोटर वापस आ रहे हैं। यही बात अखिलेश यादव को अखर रही है। जिस प्रकार से लोकसभा में पीडीए का नारा गूंजा था इस बार की योजना फेल हो गई।

भाजपा का कहना है कि इस बार उसे यह पहले से ही पता चल गया था कि आसपास के क्षेत्रों से मतदाता बुलाये गये हैं। वे मदरसों में रूके हुए हैं और बुर्का की आड़ लेकर वोटिंग की जायेगी। पहले पुलिस ने मामले को पकड़ लिया। तब सपा प्रमुख ने पुलिस वालों के नाम बताकर धमकाने का प्रयास किया। कुछ चैनलाें ने इसमें सहयोग दिया। इसके बाद मतदान के समय चेहरा देखा जा रहा है। एक-एक का चेहरा देखा जा रहा है तभी मतदान करने दिया जा रहा है। इसका मतलब यह हुआ कि पीडीए की आड़ लेकर लोकसभा चुनाव में जिस प्रकार का खेला किया गया था वह उपचुनावों में नहीं हो पाया। अखिलेश के बयान और चेहरे की हवाईयां उड़ने से यही अनुमान लगाया जा रहा है। बाकी तो परिणाम के दिन समझ में आयेगा?

यूपी में मुसलमान मतदाताओं ने सपा का साथ देने और जीत सुनिश्चित करने के लिए पड़ोस के विधानसभा क्षेत्र से महिलाओं को बुला लिया। वे मदरसे में रूकीं रहीं और अब मतदान केन्द्रों की ओर कूंच करने लगीं। पुिलस और पीठासीन अधिकारी को इसकी जानकारी दी गई तो जांच शुरू हुई। भाजपा के आरोपों को पुलिस ने सही मान लिया और महिलाओं को रोकने और पहचान सुनिश्चित करना शुरू किया। सपा की ओर से आयोग को शिकायत की गई। उसके लिए आदेश जारी हुए लेकिन फर्जी मतदान को कामयाब नहीं होने दिया गया। इस प्रकार यूपी में लोकसभा आम चुनाव के समय पीडीए का नारा देकर वोटों का संग्रहण किया गया था इस बार की तकनीक काम नहीं कर पाई। केवल नौ क्षेत्रों में उपचुनाव हो रहे हैं। इसलिए भाजपा के कार्यकर्ता भी सामने हैं। सपा तो रणनीति के आधार पर काम कर ही रही है। इसलिए तनाव भरा चुनाव दिखाई दे रहा है। मतदान को लेकर हत्या करने का मामला भी सामने आ रहा है। इससे साफ है कि चुनाव भारी तनाव वाला है। लेकिन लोकसभा चुनाव के समय जो हो गया था वह अबकी बार नहीं हो पा रहा है।

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