उत्तराखंड की सिविल जज परीक्षा में राइटर्स क्रैम्प से पीड़ित उम्मीदवार को बड़ी राहत, सुप्रीम कोर्ट ने दी ये छूट

नई दिल्ली
सुप्रीम कोर्ट ने राइटर्स क्रैम्प से पीड़ित एक न्यायिक सेवा के उम्मीदवार को उत्तराखंड में सिविल जजों के लिए अपनी प्रारंभिक परीक्षा लिखने के लिए स्क्राइब( लिपिक) लेने की अनुमति दे दी है। उम्मीदवार धनंजय कुमार ने इस मामले में सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड लोक सेवा आयोग से उन्होंने परीक्षा के लिए एक स्क्राइब की अनुमति मांगी थी। लेकिन आयोग ने उनका यह अनुरोध निर्धारित परीक्षा से कुछ दिन पहले 20 अप्रैल को खारिज कर दिया था।

उम्मीदवार धनंजय कुमार ने दायर थी की याचिका
आयोग से अनुमति न मिलने के कारण उम्मीदवार धनंजय कुमार परीक्षा नहीं दे पाए थे। जिसके चलते वह सुप्रीम कोर्ट गए। उन्होंने अदालत से कहा कि वह राइटर्स क्रैम्प से पीड़ित हैं, इसलिए परीक्षा लिखने के लिए उन्हें एक स्क्राइब की सुविधा दी जाए। उन्होंने इसके बारे में 25 सितंबर, 2017 वाला अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान से एक प्रमाण पत्र भी पेश किया था।

क्या है राइटर्स क्रैम्प
राइटर्स क्रैम्प एक ऐसी बीमारी है जिसमें लिखते और पेटिंग करते समय हाथ लड़खड़ा रहे हैं। परफेक्ट ग्रिप नहीं बनने के कारण कॉर्डिनेशन बिगड़ने से लिखते समय फ्लो नहीं बन पा रहा है। ऐसा अक्सर राइटर्स क्रैम्प बीमारी में होता है। अदालत ने कुमार की पेशी कर रहे वकील नमित सक्सेना की दलील का संज्ञान ले कर यह फैसला सुनाया था।
 
आयोग से 12 मई तक मांगा जवाब
मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने तब उत्तराखंड लोक सेवा आयोग और राज्य सरकार को एक नोटिस जारी कर जवाब मांगा है कि कुमार को स्क्राइब क्यों नहीं दिया गया। आयोग को 12 मई तक जवाब देने का निर्देश दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने उत्तराखंड लोक सेवा आयोग को एक अंतरिम निर्देश जारी करते हुए कहा कि आगामी परीक्षा के लिए याचिकाकर्ता को एक लेखक प्रदान किया जाए।

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