बाबा ने सपा को दिया झटका पीडीए के समीकरणों काे उलटा

यूपी की नौ विधानसभा सीटों पर दो राज्यों के आम चुनाव से ज्यादा चर्चा रही थी। यह माना जा रहा था कि सपा के नेता अखिलेश यादव की मुट्ठी में यूपी के मतदाता हैं। अखिलेश भी मुस्लिम मतदाताओं को अपनी जेब में समझ कर व्यवहार करने लग गये थे। अब यूपी विधानसभा के परिणाम आ रहे हैं।

सुरेश शर्मा, भोपाल। यूपी की नौ विधानसभा सीटों पर दो राज्यों के आम चुनाव से ज्यादा चर्चा रही थी। यह माना जा रहा था कि सपा के नेता अखिलेश यादव की मुट्ठी में यूपी के मतदाता हैं। अखिलेश भी मुस्लिम मतदाताओं को अपनी जेब में समझ कर व्यवहार करने लग गये थे। अब यूपी विधानसभा के परिणाम आ रहे हैं। बाबा ने खेला कर दिया। अखिलेश का पीडीए वाला फार्मूला नहीं चल पाया। परिणाम को आता देखकर कोई भी यह कह सकता है कि सपा अपने गढ़ को भी संभालने में भी हाॅफ रही है। जिस सीट से सपा प्रमुख विधायक थे वहां पर जीतने के लिए पापड बेलने पड़े हैं। पूरा परिवार लग गया। रिश्तेदार को पराया करने तक की बात की गई। तब जाकर 15 हजार से आगे निकलने जैसी स्थिति दिखाई देने लगी है। सपा दूसरी सीट सीतामऊ में आगे है। जबकि बाकी की सात सीटों पर राजग की प्रत्याशी जीतने जा रहे हैं। एक आरएलडी और शेष छह पर भाजपा के प्रत्याशी आगे हैं। इसका मतलब यह है कि बाबा ने खेला कर दिया। मतदान के दिन ही सब समझ में आ गया था कि जिन लोगों को आगे लेकर सपा के नेता चुनाव जीत लिया करते थे वे अब उनके काम नहीं आ पा रहे हैं। चुनाव आयोग को शिकायतें और आयोग का निष्पक्ष दिखने के प्रयास ने की कार्यवाही ने सपा सुप्रीमों को ताला लगा दिया था। अब परिणामों के बाद आसमान पर चढ़ा पारा उतर जायेगा।

राजनीतिक रूप से यह आपरेशन खासा महत्व रखता है। लोकसभा के चुनाव में भाजपा के बहुमत को सपा ने ही रोका था। अयोध्या जीत के बाद जिस प्रकार का प्रदर्शन सदन और बाहर सपा नेताओं के द्वारा किया जा रहा था वह भाजपा के प्रादेशिक नेताओं के ही नहीं नरेन्द्र मोदी को भी शूल की भांति चुभता था। उसी प्रभाव के कारण सपा जीत की आशा देख रही थी। लेकिन मतदाताओं ने तो न बंटना स्वीकार किया तब कटने का तो कोई मतलब ही नहीं था। सपा नेता भाजपा में झगड़ों की कल्पना कर रहे थे। लेकिन भाजपा के नेताओं में ऐसा कुछ होने नहीं दिया। उत्तर प्रदेश के मतदाताओं ने भी लोकसभा चुनाव के समय के रूख का परिणाम देखा और अब उस भूल काे सुधार लिया।

राजनीति के जानकारों का कहना है कि बाबा ने जिस प्रकार की राजनीति रचना की थी उसको समझा ही नहीं गया। बाबा ने गुंडाें पर पाबंदी लगाने का काम पुलिस को दिया और कार्यकर्ताओं को जीत का मंत्र दिया। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के सपनों को यूपी ने झटका दिया था उसको सुधारने के लिए कार्यकर्ताओं का समझा दिया था। सभी तरफ से मेहनत हुई और जनता ने खुलकर भाजपा प्रत्याशियों का साथ दिया। इस प्रकार यूपी के सीएम योगी आिदत्यनाथ ने लोकसभा चुनाव के समय हुई चूक का बदला ले लिया है। न तो पीडीए चल पाया और न ही अल्पसंख्यकवाद की चल पाया। चला तो केवल बाबा का जादू।

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