आखिरकार 2000 के नोटों का क्या है सत्ता कलेक्शन

जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नोटबंदी की थी उस समय 500 और 1000 के चलन के नोटों का को बंद कर दिया था। उसके स्थान पर 500 का नया नोट और साथ में 2000 का एक नोट और चलाया था। सारे नोटों के स्वरूप को बदला गया था। साथ में 200 के नोट का चलन शुरू हुआ था।

विशेष प्रतिनिधि, नई दिल्ली। जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नोटबंदी की थी उस समय 500 और 1000 के चलन के नोटों का को बंद कर दिया था। उसके स्थान पर 500 का नया नोट और साथ में 2000 का एक नोट और चलाया था। सारे नोटों के स्वरूप को बदला गया था। साथ में 200 के नोट का चलन शुरू हुआ था। उसी समय से 2000 के नोट पर विभिन्न प्रकार की आशंकाएं व्यक्त की जाती रही है अब रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने निर्णय लिया है कि 2000 नोट को चलन से हटाया जाएगा। इसकी छपाई पहले ही बंद हो गई थी। अब इस निर्णय से सत्ता समीकरणों में क्या अंतर आएगा इसको लेकर चर्चा शुरू हो गई है? गैर भाजपाई मुख्यमंत्रियों का तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करना यह बताता है की चोट निशाने पर जाकर ही लगी है।
2000 के नए नोट को चलन से बाहर करने का आमजन द्वारा स्वागत किया गया है। आम जनता के पास यह नोट बहुत कम संख्या में है। सरकार को यह पता है कि बाजार में कितने नोट चलन में है और कितने जमाखोरी कर के कालेधन में परिवर्तित किए गए हैं। इसलिए काले धन पर प्रहार करने के लिए 2000 के नोट चलन से बाहर किए जा रहे हैं। नोटबंदी के बाद काले धन पर यह दूसरा बड़ा प्रहार है। उस समय आयकर विभाग की कार्यवाही ने बहुत कुछ सामने लाया था। अब एक अवसर और आने वाला है।
रिजर्व बैंक द्वारा 2000 के नोट का चलन से बाहर किया जाना राजनीतिक दलों के नेताओं के लिए किसी सदमे से कम नहीं है। एक तरफ जनता के द्वारा काले धन पर चोट का स्वागत किया जा रहा है वही गैर कांग्रेसी गैर भाजपाई मुख्यमंत्रियों का तीखा प्रतिक्रिया देना बहुत कुछ कह देता है। इसलिए यह चर्चा निकली है कि 2000 के नोट को चलन से बाहर करने का 2024 के सत्ता समीकरणों पर बड़ा असर होने वाला है।
जब नोट बंदी हुई थी तो समस्त विपक्षी दलों द्वारा इतना शोर मचाया गया था कि सरकार को थोड़ा समझौता वादी होना पड़ा था। छनकर यह खबर सामने आई थी कि जिन राजनीतिक पार्टियों के पास बड़ी संख्या में बंद किए गए नोटों का संग्रह था उसे परिवर्तित कराया गया था। हालांकि इसके बारे में किसी ने कभी अधिकृत बातचीत नहीं की। आज के सत्ता समीकरणों में 2000 के नोट का बड़ा महत्व है।
यदि सूत्रों की बातों पर भरोसा किया जाए तो गैर भाजपाई मुख्यमंत्रियों के माध्यम से इन नोटों का बड़ा संग्रह किया हुआ है। जिनका उपयोग चुनाव में किया जाना था। हालांकि रिजर्व बैंक ने काले धन पर कार्रवाई के निमित्त अपना आदेश प्रसारित किया ह। फिर भी राजनीतिक पार्टियों के तहखानों में जमा 2000 के नोट तय समय सीमा के बाद रद्दी में परिवर्तित हो जाएंगे। इसका सीधा प्रभाव विभिन्न राज्यों की विधानसभा चुनाव और 2024 के लोकसभा चुनाव में प्रचार प्रसार में पड़ेगा। रिजर्व बैंक के इस आदेश को राजनीति को मास्टर स्ट्रोक के रूप में भी देखा जा रहा है। आने वाले समय में विपक्षी दल इसका विरोध जरूर करेंगे। फिलहाल तो वे सदमे में है और कोई विरोध का रास्ता तलाश रहे हैं।

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