कुश्ती संघ और पहलवानों के बीच एक वाक्य ने पेंच फंसा दिया
पहलवानों की पीड़ा को जातिवादी बना दिया पूर्व गर्वनर मलिक ने
सुरेश शर्मा, भोपाल। जो अखाड़े में पहलवान के छक्के छुड़ा देते हैं वो पहलवान जन्तर मन्तर पर बैठकर रो रहे हैं। कुश्ती संघ के अध्यक्ष बाहुबली व भाजपा सांसद बृजभूषण सिंह पर यौन शोषण का आरोप लगाया जा रहा हैं। यह धरना कई दिन चल चलता है। आरोपों के स्तर पर देश का खिलाड़ी वर्ग बंट गया। ज्यादातर खिलाड़ी यौन शोषण की बात से सहमत नहीं हैं लेकिन मोमबत्ती फिर से जलने लग गई हैं। इसी बीच देश के सर्वोच्च न्यायालय का आदेश आ गया। बृजभूषण के खिलाफ दो प्रकरण दर्ज हो गये। धरना दे रहे खिलाड़ियों की मांग नये रूप में आ गई। इस मांग में अविश्वास भी है और दर्द भी। लेकिन क्रियान्वयन करने का अधिकार आदेश देने वाले सर्वोच्च न्यायालय को भी नहीं है। न्यायालय पद से हटा सकता है, प्रकरण दर्ज करवा सकता है लेकिन सांसद का पद नहीं छीन सकता। उसके लिए बृजभूषण को दो साल से अधिक की सजा देना होगी। इसी बीच एक वाक्य सांसद बृजभूषण सिंह ने भी बोल दिया। जिसने इस लड़ाई का पासा पलट दिया। सिंह ने कहा कि विरोध केवल एक परिवार एक अखाड़े का है न तो पूरे खिलाड़ियों का है और न ही हरियाणा के अन्य अखाड़ों का है। इसके बाद सोशल मीडिया पर जीजा-साली के फोटो के साथ पोस्ट आना शुरू हो गई। सत्यपाल मलिक ने मामले में जातिवाद का जहर घोल दिया है।
पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक को राजनीति की बड़ी बीमारी पनप रही है। उन्होंने धरना दे रहे पहलवानों का मामला जातिवाद में बदल दिया। अब राजपूत समाज बृजभूषण सिंह के समर्थन में आ गया। सोशल मीडिया में जिस प्रकार की पोस्ट आ रही हैं उसने पहलवानों के प्रति उपजी सहानुभूति को खत्म कर दिया। पहले पहलवान महिलाओं के यौन शोषण की बात थी तब न्यायालय तक को सहानुभूति पैदा हो गई और उसने आदेश जारी कर दिया। यह तो बहुत अच्छा हुआ कि प्रकरण की जांच हो जायेगी और खेल की सहानुभूति से विश्व जगत में भारत की शान को लग रहा बट्टा बच जायेगा। पहलवानों के आरोप संगीन हैं इसलिए इस मामले को गंभीरता से लिया गया। अब बातें दोनों पक्षों की सामने आ गई। विनेश फोगाट और बजरंग पूनिया ने अन्य साथियों के साथ फिर से धरना दिया। बताया जाता है कि ये दोनों रिश्तेदार हैं। यही आरोप इन दिनों लग रहा है।
पेशेवर खिलाड़ियों के प्रति देश में सहानुभूति है। इनको देश ने मैडल लेते हुए नम आंखों से देखा है। उन पर गर्व किया जाता है। लेकिन जिस प्रकार के आरोप लगाये गये हैं यह दुखद हैं। कोई पहलवान अपनी यौन रक्षा नहीं कर सकता और समणैता करता है दोनों ही मामले गलत हैं। ऐसे में आम धारणा यह बनी कि इसके लिए बृजभूषण सिंह के खिलाफ जांच कराई जाये। इससे पहले एक पांच सदस्यीय समिति ने इन्हीं की शिकायत पर जांच की है। इस जांच से पहलवान परिवार सन्तुष्ट नहीं है। इसलिए सर्वोच्च न्यायालय ने मामले की जांच कराने और प्रकरण दर्ज करने का आदेश दिया है। इसके बाद सारे मामले से परत हट जायेगी।
देश का पहलवान वर्ग पूरी तौर पर इन आरोपों के साथ नहीं है। हरियाणा के अन्य पहलवान समर्थन में नहीं आये। इसलिए बृजभूषण सिंह ने एक वीडियो जारी करके मामले में पेंच फंसा दिया। उन्होंने कहा है कि वे किसी भी जांच का सामना करने को तैयार हैं। लेकिन यह बताना होगा कि एक ही परिवार को आपत्ति क्यों है? एक ही अखाड़ा विरोध और आरोप क्यों लगा रहा है? इसलिए जांच की जाना चाहिए दोषी होने पर खुद को गोली मारने के लिए तैयार हैं। खुद को निर्दोष बताते हुए उन्होंने कहा कि वे हनुमान के भक्त हैं बलात्कारी नहीं हो सकते।
यहां तक सब ठीक से चल रहा था। लेकिन इस आन्दोलन के समर्थन में मोमबत्ती गैंग का प्रवेश हो गया। राजनीति ने परदे के पीछे से खेल दिखाना शुरू कर दिया। रही सही कसर निकाल दी पूर्व गर्वनर सत्यपाल मलिक ने। उन्होंने धरने में जाकर जातिवाद का जहर घोल दिया। इसके बाद राजपूत समाज के कुछ युवा बृजभूषण के पक्ष में आ गये। सोशल मीडिया पर जो पूछा जा रहा है उसके जवाब देने के लिए न सत्यपाल मलिक उनकी मदद कर पा रहे हैं और न ही जीजा-साली ही सामने आ रहे हैं? इस प्रकार यह आन्दोलन राजनीति और जातिवाद की भेंट चढ़ता जा रहा है।