3.35 लाख लोगों ने डाला नोटा पर वोट
6 सीटों पर 5, 9 सीटों पर 10 व 14 सीटों पर 10 हजार से अधिक
भोपाल। [विशेष प्रतिनिधि] इस लोकसभा चुनाव में भी नोटा खूब चला। साढ़े तीन लाख के आसपास लोगों ने नोटा का उपयोग करके किसी भी नेता को अपने वोट के लायक नहीं समझा। इसका हार जीत पर कोई अन्तर नहीं आया लेकिन इस संख्या का दूसरा विश£ेषण खराब दिशा का संकेत करता है। मुख्यमंत्री कमलनाथ के बेटे की लोकसभा सीट छिन्दवाड़ा में भी 20324 लोगों ने नोटा का इस्तेमाल किया है यह मतदान का 1.63 प्रतिशत है। लेकिन सबसे अधिक सख्या आदिवासी क्षेत्र झाबुआ रतलाम में रही।
मजे की बात यह है कि महज 6 सीटे उेसी हैं जहां नोटा का इस्तेमाल करने वालों की संख्या एक से 5 हजार तक थी। 9 सीट ऐसी थी जहां 5 हजार एक से दस हजार तक वोट नोटा में गिरे। सबसे अधिक 14 सीटे ऐंसी थी जहां दस हजार सेे अधिक वोट नोटा में डाले गये। रतलाम झाबुआ में 35431 वोट जो 2.53 प्रतिशत होता है। दूसरी आदिवासी सीट मंडला 32240 वोट 2.12 प्रतिशत, आदिवासी सीट बैतूल में 22787 जो 1.68 प्रतिशत होता है। शहडोल अगली आदिवासी सीट है जिस पर भी नोटा खूब चला है। यहां पर 20027 लोगों ने नोटा दबाया।
सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि जिस 14 लोकसभा सीटों पर नोटा का सबसे अधिक उपयो हुआ है उनमें अधिकांश एससी/एसटी के लिए आरक्षित सीटें ही हैं दो सीटे खंडवा और गुना सामान्य वर्ग के लिए हैं जहो नोटा का उपयोग हुआ है।
पूरे प्रदेश में तीन लाख 35 हजार 652 लोगों ने नोटा का इस्तेमाल किया। इससे भी चौंकाने वाली बात यह है कि आदिवासी और दलित सीटों के मतदाताओं ने किया। यह कौन लोग हैं यह समझने की जरूरत है। जिनकी सीट हैं वे या जिनकी सीट में सहभागिता है वे। लेकिन नोटा के लिए इस प्रकार की बेकरारी का मतलब यह होता है कि प्रत्याशियों के प्रति लोगों की नाखुशी। यह लगातार बढ़ती जा रही है यह अच्छे संकेत नहीं हैं।