झारखंड में कम हुए 14.30 लाख मनरेगा मजदूर, जाने क्या है कारण

रांची

महात्मा गांधी राष्ट्रीय रोजगार गारंटी योजना (महात्मा गांधी एनआरईजीएस) के अंतर्गत काम करने वाले मजदूरों को समय पर मजदूरी भुगतान सुनिश्चित करने के लिए केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय ने आधार आधारित भुगतान प्रणाली (एबीपीएस) लागू किया है। महात्मा गांधी नरेगा के अंतर्गत किसी भी मजदूर ने आधार आधारित भुगतान प्रणाली (एबीपीएस) के कारण मजदूरी भुगतान से इनकार नहीं किया है। लेकिन मजदूरों की भुगतान प्रक्रिया को आधार आधारित भुगतान प्रणाली से जुड़ने के साथ ही मजदूरों की संख्या में अप्रत्याशित कमी दर्ज की गयी है।

झारखंड में 14.30 लाख मनरेगा मजदूर कम हुए
एबीपीएस से जुड़ने के साथ ही झारखंड में मनरेगा के अंतर्गत काम करने वाले मजदूरों की संख्या में 14.30 लाख की कमी दर्ज की गयी है। वहीं राष्ट्रीय स्तर पर मजदूरों की संख्या में 421.85 लाख की कमी आई है। ग्रामीण विकास मंत्रालय की रिपोर्ट के अनुसार वित्तीय वर्ष 2021-22 में महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (महात्मा गांधी एनआरईजीएस) के अंतर्गत झारखंड में सक्रिय मजदूरों की संख्या 47.34 लाख थी। जबकि, 28 जुलाई 2023 तक झारखंड में सक्रिय मजदूरों की संख्या 33.04 लाख है, जिनके आधार नंबर को महात्मा गांधी एनआरईजीएस के अंतर्गत आधार आधारित भुगतान प्रणाली (एबीपीएस) के साथ जोड़ा गया है।

आधार से जोड़ने से नहीं रुकेगा मजदूरों का भुगतान
भुगतान की प्रक्रिया को आधार से जोड़ने के बाद अब मजदूरों का भुगतान नहीं रुकेगा। साथ ही वास्तविक मजदूरों को ही योजना का लाभ मिल सकेगा। मजदूरों द्वारा बैंक खाता संख्या को बार-बार बदलने के कारण उत्पन्न होने वाली समस्याओं का समाधान करने के लिए ही आधार आधारित भुगतान प्रणाली अपनाने का निर्णय लिया गया है। आधार आधारित भुगतान प्रणाली बैंक खाते में बदलाव के कारण प्रभावित नहीं होती है। यह भी सुनिश्चित करने के लिए कि केवल वास्तविक लाभार्थियों को ही योजना का लाभ मिले वर्तमान लाभार्थियों का डी-डुप्लीकेशन किया जाएगा।

 

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