हिमाचल की कांग्रेस सरकार संकट में मुख्यमंत्री ने इस्तीफा दिया और फिर किया खंडन पर्यवेक्षक सक्रिय

कांग्रेस की अगुवाई वाली हिमाचल सरकार अपने अस्तित्व के संकट से जूझ रही है। राज्यसभा के चुनाव में करारी हार के बाद सरकार बचाने के लिए पूरे प्रयास किये जा रहे हैं। ताजा घटनाक्रम के अनुसार बागी विधायकों को मनाने का काम पूरा हुआ भी नहीं था मंत्री और पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के बेटे विक्रमादित्य सिंह ने मंत्री पद से त्यागपत्र दे दिया। इससे सरकार और संकट में आ गई। विधानसभा में बजट के समय सरकार गिराने की भाजपा की योजना पर जरूर पानी फिर गया क्योंकि अध्यक्ष ने 15 भाजपा विधायकों को निकाल दिया गया है।

सुरेश शर्मा भाेपाल। कांग्रेस की अगुवाई वाली हिमाचल सरकार अपने अस्तित्व के संकट से जूझ रही है। राज्यसभा के चुनाव में करारी हार के बाद सरकार बचाने के लिए पूरे प्रयास किये जा रहे हैं। ताजा घटनाक्रम के अनुसार बागी विधायकों को मनाने का काम पूरा हुआ भी नहीं था मंत्री और पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के बेटे विक्रमादित्य सिंह ने मंत्री पद से त्यागपत्र दे दिया। इससे सरकार और संकट में आ गई। विधानसभा में बजट के समय सरकार गिराने की भाजपा की योजना पर जरूर पानी फिर गया क्योंकि अध्यक्ष ने 15 भाजपा विधायकों को निकाल दिया गया है। बाद में सरकार बचाते हुए सदन को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित करवा दिया। अब सरकार के संकट को टालने के लिए पर्यवेक्षक प्रयास कर रहे हैं।

राज्यसभा चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी अभिषेक मनु सिंधवी की करारी हार हुई है। 40 विधायकों और तीन निर्दलियों का समर्थन पा रही कांग्रेस की सुक्खु सरकार अपना प्रत्याशी जिताने की स्थिति में नहीं रही। तब अनुमान लगाया गया कि कांग्रेस सरकार के सामने संकट के बादल छाने लग गये हैं। शाम तक यह समाचार आ गया कि सरकार को बजट पास कराते समय ही गिरा दिया जायेगा। लेिकन रणनीति के तहत भाजपा विधायकों को निलंबित करते हुए बजट भी पास करा लिया गया और सरकार के संकट को भी टाल दिया गया। अब सदन नहीं है तब सरकार को सदन में गिराने की भाजपा की रणनीति बिखर गई।

सदन में सरकार को बचाने की तगड़ी रणनीति बनाई गई थी। सुबह की शुरूआत लोक निर्माण मंत्री विक्रमादित्य सिंह के इस्तीफे से हुई। सरकार को यह बड़ा झटका था। उन्होंने मुख्यमंत्री पर गंभीर आरोप लगाये। उन्होंने कहा कि उनकी योग्यता के आधार पर उन्हें काम नहीं करने दिया जा रहा था। सीधे अधिकारियों को संदेश भेजे जाते थे। उन्होंने यह भी कहा कि उनके पिता छह बार प्रदेश के सीएम रहे हैं उनकी प्रतिमा के लिए माल रोड़ पर कोई स्थान सरकार नहीं दे रही है। इस भावनात्मक अपील को सुक्खु सरकार ने पलटते हुए भाजपा के विधायकों को सदन से निकाल कर बजट पास करवा लिया। इसके बाद सदन को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित करवा लिया। यह सरकार को फौरी राहत बताई जा रही है।

सरकार को बहुमत सिद्ध करने के लिए राज्यपाल की ओर से कोई निर्देश नहीं मिले हैं। हालांकि अभी इस प्रकार का कोई आग्रह भी राज्यपाल ने नहीं किया गया है। सदन में यह बात उठाई गई कि मुख्यमंत्री ने केन्द्रीय नेतृत्व के सामने इस्तीफे की पेशकश की गई है। यह समाचार तेजी से आया। राज्यसभा हार और मंत्री का इस्तीफा नहीं संभालने के लिए हायकमान का निर्देश मिलने पर त्यागपत्र की पेशकश किये जाने की बात सामने आई थी। लेिकन इस समाचार का खंडन करने के लिए खुद मुख्यमंत्री सुखवेन्द्र सिंह सुक्खू सामने आये और उन्होंने भाजपा पर अफवाह फैलाने का आरोप लगाते हुए इस्तीफे का जोरदार खंडन किया। सीएम ने कहा कि कांग्रेस की सरकार पांच साल का कार्यकाल पूरा करेगी। उन्होंने विश्वास जताया कि उनके बागी विधायकों में से कुछ और कुछ भाजपा के विधायक उनके संपर्क में हैं।

भाजपा नेता और पूर्व मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने कहा कि सरकार अल्पमत में आ गई है। उसे सदन में अपना बहुमत सिद्ध करना चाहिए। जयराम ठाकुर को विश्वास है कि कांग्रेस की सरकर कुछ दिन की मेहमान है। हिमाचल के राजनीतिक घटनाक्रम ने कांग्रेस नेतृत्व की नींद उड़ा दी। प्रियंका वाड्रा सक्रिय हो गईं। उनका सरकार बनवाने में खासा योगदान माना जाता रहा है। उन्होंने सभी विधायकों से संपर्क करने का प्रयास किया। साथ मिलकर काम करने का संदेश भी दिया है। हालांकि इसी के बाद सुक्खु सरकार को आक्सीजन मिली। पार्टी ने तीन पर्यवेक्षक डी शिवकुमार कर्नाटक के उप मुख्यमंत्रीश, हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेन्द्र सिंह हुड्डा तथा छत्तीसगढ़ के पूर्व सीएम भूपेश बघेल को हिमाचल भेजा गया है। इन पर्यवेक्षकों का काम विधायकों की नाराजगी को समझना और उन्हें समझाना होगा। हालांकि यह काम इतना असान नहीं है जितना बताया गया है। बागी विधायकों ने खुद को भाजपा के साथ होना बताना शुरू कर दिया है।

अब कांग्रेस का दावा है कि उन्होंने आपरेशन लोटस को विफल कर दिया है जबकि भाजपा ने कहा है कि उन्होंने कोई आपरेशन नहीं चलाया है। सरकार का अपना असंतोष है और मुख्यमंत्री के काम करने के तरीकों से विधायक नाराज हैं। दिल्ली से भाजपा का कोई नेता इस विषय पर बोल नहीं रहा है। केवल क्षेत्रीय नेता और केन्द्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने सरकार की आलोचना की है। उन्होंने कहा कि हिमाचल संकट के िलए मुख्यमंत्री और कांग्रेस नेतृत्व जिम्मेवार है। कांग्रेस की ओर से इस बारे में पत्रकार वार्ता की गई। जयराम रमेश ने कहा कि हिमाचल में कांग्रेस के लिए जनादेश मिला था और उनकी सरकार को कोई खतरा नहीं है। भाजपा पर डर पैदा करने का उन्होंने आरोप लगाया।

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