सीबीआई जांच का आदेश देशमुख का इस्तीफा
देश की राजनीति में संभवत यह पहला अवसर है जब प्रशासन के किसी आला अधिकारी ने अपने ही विभाग के मंत्री पर 100 करोड रुपया महीना वसूली के गंभीर आरोप लगाए हो। मुंबई पुलिस आयुक्त परमवीर सिंह का तबादला होने के बाद मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को लिखे पत्र और जिसे सोशल मीडिया पर जारी करने के बाद महाराष्ट्र में गंभीर राजनीतिक संकट पैदा हो गया था। महाराष्ट्र की राजनीति के चाणक्य समझे जाने वाले शरद पवार ने इस मामले में नैया पार लगाने का प्रयास कर लिया था। वह इसमें सफल भी दिखाई दिए। पूर्व पुलिस आयुक्त इस मामले में सुप्रीम कोर्ट चले गए जहां से उन्हें मुंबई हाई कोर्ट जाने के लिए कहा गया। आज मुंबई हाई कोर्ट का फैसला आने के बाद उद्धव सरकार भारी संकट में आ गई। हाईकोर्ट ने सारे मामले की जांच सीबीआई से कराए जाने का आदेश दिया और सीबीआई को प्रारंभिक रिपोर्ट 15 दिन में देने के निर्देश भी जारी किए गए। इस आदेश के 3 घंटे बाद ही गृह मंत्री अनिल देशमुख ने अपना त्यागपत्र दे दिया। राकांपा की ओर से यह कहा गया कि पार्टी आज भी मानती है कि अनिल देशमुख पर लगाए गए आरोप बेबुनियाद है फिर भी देशमुख के आग्रह को स्वीकार करते हुए इस्तीफा देने के लिए कहा गया है। शाम होते होते नए गृहमंत्री की घोषणा कर दी गई।
गृहमंत्री के त्यागपत्र के बाद भाजपा ने राजनीतिक दबाव बढ़ा दिया। पूर्व मुख्यमंत्री और विपक्ष के नेता देवेंद्र फडणवीस ने पत्रकारों से बात करते हुए उद्धव सरकार को पर गंभीर आरोप लगाए। इसके बाद केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने मोर्चा संभाला और उद्धव सरकार से त्यागपत्र मांग लिया। इसके बाद राजनीतिक गहमागहमी काफी बढ़ गई। उद्धव सरकार की ओर से कोई पत्रकार वार्ता नहीं की गई और ना ही राकांपा की ओर से कोई बड़ी सफाई दी गई। कांग्रेस इस सारे मामले में मौन होकर देख रही है क्योंकि उसके हाथ में कुछ है ऐसा प्रतीत नहीं हो रहा।
इस सारे मामले में गंभीर पक्ष यह है कि लंबे समय से मुंबई पुलिस का हिस्सा रहे और बाद में पुलिस आयुक्त बनने वाले परमवीर सिंह ने सरकार के सामने धर्म संकट की स्थिति पैदा कर दी है। उन्होंने गृह मंत्री अनिल देशमुख पर मुंबई की विभिन्न संस्थाओं के माध्यम से 100 करोड रुपया प्रति माह एकत्रित करने का आदेश दिया था। इसी वसूली के संदर्भ में मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर परमवीर सिंह ने एक बड़ी राष्ट्रीय हलचल पैदा कर दी थी। यह मामला राजनीतिक रूप से पेचबाजी में फंसा कर दबाने का प्रयास किया गया था। परंतु बंबई हाईकोर्ट द्वारा इस मामले में प्रथम दृष्टया अपराध मानते हुए सीबीआई से जांच कराने का आदेश दे दिया। इस आदेश का व्यापक राजनीतिक प्रभाव हुआ है और गृहमंत्री का त्यागपत्र और उधर सरकार खतरे में आ गई ऐसा संदेश मिल रहा है।
इतने गंभीर और बड़े भ्रष्टाचार के मामले में यदि मीडिया और न्यायपालिका हस्तक्षेप ना करें तो राजनीतिक पार्टियां आपसी समझौते के आधार पर सारे मामले को गोलमोल करने में सफल हो सकती हैं। लेकिन अब यह मामला सीबीआई के हाथ में चला गया जिससे अब उम्मीद की जा रही है कि दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा।