सीडब्ल्यूसी की बैठक : राहुल गांधी की इस्तीफा ‘पालिटिक्स’
► लोकसभा चुनाव में मिली हार पर हुआ मंथन ►बैठक से पहले राहुल मनमोहन से मिले ►तीन राज्यों के प्रदेश अध्यक्षों ने इस्तीफा सौंपा
नई दिल्ली। विशेष प्रतिनिधि लगातार दूसरी बार लोकसभा चुनाव में मिली करारी हार के बाद कांग्रेस कार्यसमिति (सीडब्ल्यूसी) की बैठक जारी है। राहुल गांधी ने हार की जिम्मेदारी लेते हुये इस्तीफा देने की पेशकश करने की बात श्रीमती सोनिया गांधी के सामने रखी। मनमोहन सिंह, गुलाम नवी सहित बड़े नेताओं ने उन्हें कार्यसमिति में अपनी बात रखने और वहां इस विषय पर चर्चा करने का कह कर मनाया। रणदीप चुरजेवाला ने टवीट करके कहा है कि राहुल गांधी ने इस्तीफे की पेशकश नहीं की। जबकि समाचार यह है कि राहुल पर प्रादेशिक नेताओं द्वारा त्यागपत्र भेजने के बाद नैतिक दबाव आ गया था। इसलिए उन्होंने इस्तीफा पालिटिक्स की है।
प्रदेशों में कांग्रेस की हालत इतनी बुरी कभी नहीं रही। इसलिए वहां कमान संभाल रहे नेताओं ने अपने इस्तीफे राहुल गांधी को भेजने शुरू किये। राजबब्बर का पहला ठसतीफा आया था। इसके बाद कमलनाथ ने भी अध्यक्ष पद छोडऩे की बात प्रभारी को कही थी।
राहुल गांधी को लगा कि 2014 में 44 और इस बार 52 सीट के बाद उनकी भी नैथ्तक जिम्मेदारी बनती है। उन्होंने भी कार्यसमिति में इस्तीफे की पेशकश की है। समाचार लिखे जाने तक वे कार्यसमिति को संबोधित कर रहे हैं। इसके बाद इस पेशकश पर विचार होगा। जैसी की संभावना है उनकी पेशकश को अस्वीकार कर दिया जायेगा। फिर भी उन पर नैतिक दबाव है।
राहुल-प्रियंका पर बाबा रामदेव बोले- कांग्रेस तो अनाथ होने से बच गई
कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी और भाजपा की प्रज्ञा ठाकुर पर बाबा रामदेव ने बड़ा बयान दिया है। बाबा रामदेव एसोसिएशन ऑफ रेजिडेंस डाक्टर (एआरडी) की ओर से आयोजित जेनिथ- 2019 के उद्घाटन के दौरान पीजीआई चंडीगढ़ आए थे। यहां उन्होंने कहा कि वायनाड में राहुल गांधी की जीत से कांग्रेस अनाथ होने से बच गई। अच्छा हुआ प्रियंका गांधी ने बनारस से चुनाव नहीं लड़ा नहीं तो उनका पॉलिटिकल करियर खत्म हो जाता। राहुल गांधी को शीर्षासन तो नरेंद्र मोदी ने करा दिया। अब उन्हें ध्यान योग करना चाहिए। साध्वी प्रज्ञा के सवाल पर खुलकर बातचीत करते हुए उन्होंने कहा कि साध्वी प्रज्ञा को अमानवीय यातनाएं केवल शक के आधार पर दी गई थीं, लेकिन नाथूराम गोडसे पर दिए गए उनके बयान को स्वीकार्यता नहीं है।
पंजाब में हारी सीटों पर मंत्रियों-विधायकों पर एक्शन की तैयारी
लोकसभा चुनाव 2019 निपट गए, तो अब पंजाब में मंत्रियों और विधायकों पर एक्शन लेने की तैयारी शुरू हो गई है, क्योंकि कैप्टन ने सिर्फ धमकी नहीं दी थी। दरअसल, मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह मिशन-13 के रूप में सभी सीटें जीतने का लक्ष्य लेकर मैदान में उतरे थे। लेकिन उनका मिशन 8 पर ही ठहर गया। इसका कैप्टन को मलाल है और उन्होंने वीरवार को चुनाव नतीजों के बाद ही स्पष्ट कर दिया कि जिम्मेदारी सही ढंग से नहीं निभाने वाले मंत्रियों-विधायकों पर कार्रवाई होगी। वैसे देशभर में सबसे अच्छा प्रदर्शन कांग्रेस का पंजाब में ही रहा है।