सिंधिया ने पवैया को अतीत भूलने की दी सलाह

भोपाल ( विशेष प्रतिनिधि ) । भाजपा से राज्यसभा के सदस्य पूर्व केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया अपने घोर विरोधी पूर्व मंत्री जय भान सिंह पवैया के घर संवेदनाएं प्रकट करने गए। इस अवसर पर हुई मुलाकात राजनीतिक महत्व के लिए बड़ी खबर बन गई। सिंधिया ने पत्रकारों से खुद ही कह दिया बीती बातों में कोई दम नहीं है आगे के लिए नए रास्ते तलाश ना चाहिए। सिंधिया-पवैया के बीच नए राजनीतिक समीकरणों को अच्छे भविष्य के रूप में देखा जा सकता है।

ग्वालियर के पूर्व सांसद और भी महल विरोधी बड़े भाजपा नेता जय भान सिंह पवैया के पिता का पिछले दिनों निधन हो गया था। बड़े भाजपा नेता और अन्य गणमान्य नागरिक संवेदनाएं प्रकट करने के लिए जय भान सिंह पवैया के निवास पर जा रहे हैं। इसी सिलसिले में पूर्व केंद्रीय मंत्री और भाजपा से राज्यसभा सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया भी पवैया के निवास पर पहुंचे। संवेदनाएं प्रकट करने के बाद दोनों विरोधी नेताओं के बीच आधा घंटा अलग से बंद कमरे में चर्चा हुई। यह चर्चा दो संगमों के मिलने की कहानी के रूप में देखी जा रही है। भाजपा में आने के बाद सिंधिया ने सबसे मेल मिलाप की राजनीति प्रारंभ की है। पवैया से मिलने का क्रम भी उसी का हिस्सा है। हालांकि जिस गर्मजोशी से सिंधिया ने बात की है वैसी प्रतिक्रिया जय भान सिंह पवैया की ओर से नहीं आई है। इसे पवैया के स्वभाव के अनुकूल ही देखा जा रहा है।

राजनीतिक जानकारों का कहना है कि पवैया की लड़ाई व्यक्ति विशेष से ना होकर महल संस्कृति से रही है। पवैया सामंतवाद के खिलाफ एक लड़ाकू योद्धा के रूप में ग्वालियर में प्रसिद्ध है। ज्योतिरादित्य सिंधिया के भाजपा में प्रवेश के बाद जिस रणनीति के तहत काम किया जा रहा है वह महल संस्कृति की बजाए राजमाता सिंधिया के कदमों पर चलने वाली राजनीति है। समीक्षकों का कहना है कि जय भान सिंह पवैया का विरोध इस राजनैतिक शैली से नहीं रहा है इसलिए सिंधिया – पवैया के बीच में बंद कमरे में हुई चर्चा मध्य प्रदेश की राजनीति में नए समीकरण पैदा कर जाए इस पर अचरज नहीं होना चाहिए।

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