संत कालीचरण की गिरफ्तारी पर राजनीतिक किच-किच
भोपाल। विशेष प्रतिनिधि। रायपुर धर्म संसद में महात्मा गांधी को लेकर अपशब्द कहने वाले संत कालीचरण को छत्तीसगढ़ पुलिस ने खजुराहो से गिरफ्तार कर लिया उनकी गिरफ्तारी के तौर-तरीकों पर मध्य प्रदेश के गृहमंत्री ने सवाल उठाया तो छत्तीसगढ़ की ओर से भी राजनीति शुरू हो गई मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने खुद मोर्चा संभाला और डॉ नरोत्तम मिश्रा से पूछा कि वह बताएं महात्मा गांधी को गाली देने वाला वाले की गिरफ्तारी सेवर खुश है या नहीं। भूपेश बघेल के इस बयान से यह खुलकर सामने आ गया कि वह इस गिरफ्तारी का राजनीतिक पक्ष सामने रखकर हिंदू समाज पर लांछन लगाने की कांग्रेसी प्रवृत्ति को ही आगे बढ़ा रहे हैं यहां यह उल्लेख करना सामयिक होगा कि राहुल गांधी हिंदू और हिंदुत्व है के बीच विभेद पैदा करने का प्रयास कर रहे हैं। जबकि दिग्विजय सिंह राहुल की बात को आगे बढ़ा कर सावरकर को गौ मांस भक्षण तक ले जा रहे हैं। छत्तीसगढ़ का यह प्रयास हिंदुत्व के बढ़ते प्रभाव को लांछनित करने का अधिक प्रतीत हो रहा है। न्यायालय ने संत को14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेजने का आदेश दिया है।
रायपुर में धर्म संसद का आयोजन एनसीपी के राष्ट्रीय सचिव तथा कांग्रेस के पूर्व विधायक व धर्मगुरु दोनों की संस्थाओं के संयुक्त योजना थी। इसमें धर्म के बारे में चर्चा होना थी बात हिंदू धर्म से महात्मा गांधी तक पहुंच गई। इस आयोजन में शामिल संत कालीचरण ने हिंदू समाज के लिए महात्मा गांधी के द्वारा किए गए कुछ कृत्यों का उदाहरण देते हुए उनके संबंध में अनुचित शब्दों का प्रयोग करते हुए गोडसे को महिमामंडित कर दिया। यह कांग्रेस शासित राज्य को नागवार गुजरा और केंद्रीय नेतृत्व को खुश करने की मंशा से एनसीपी और कांग्रेस के नेताओं द्वारा ही संत कालीचरण के खिलाफ एफ आई आर दर्ज करवाने की कार्रवाई की गई। इस धर्म संसद में गांधीजी के प्रति कही गई बातों का विरोध भी हुआ और आयोजकों ने खुद को इससे अलग करने की घोषणा भी की। परंतु जिस राजनीतिक उद्देश्य से यह आयोजन किया गया था उसे सफलता मिल गई।
छत्तीसगढ़ पुलिस ने संत कालीचरण को खजुराहो से गिरफ्तार किया। मध्य प्रदेश के गृह मंत्री डॉ नरोत्तम मिश्रा ने इस मामले में अपनी आपत्ति दर्ज कराते हुए केवल गिरफ्तारी के तौर तरीकों पर सवाल उठाया। डॉ मिश्रा ने कहा छत्तीसगढ़ पुलिस गिरफ्तारी से पहले या गिरफ्तार करने के बाद मध्य प्रदेश पुलिस को इसकी सूचना दे देती तो अंतर राज्यीय व्यवस्थाओं का उल्लंघन नहीं होता। उन्होंने संत की गिरफ्तारी के समय पर भी टिप्पणी की। छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने इसका जवाब देते हुए कहा कि गिरफ्तारी में कानून का पालन किया गया है। लेकिन डॉ मिश्रा को यह बताना चाहिए कि गांधी को गाली देने वाले को गिरफ्तार करने से भी खुश है या नहीं?
यह विषय है महात्मा गांधी के आजादी के वक्त हिंदू समाज के प्रति रवैया को लेकर और उनके कृतित्व को फिर से बहस के केंद्र में लाने का प्रयास बनता जा रहा है। यह विषय राजनीतिक अखाड़े में आने के बाद राहुल गांधी के द्वारा हिंदू और हिंदुत्व के बीच नकारात्मकता पैदा करने के प्रयासों के साथ जोड़कर भी देखा जा रहा है। कांग्रेस पार्टी द्वारा केंद्र की सत्ता में रहते हुए हिंदू आतंकवाद शब्द के सृजन को आगे बढ़ाने की मुहिम के रूप में भी इसे देखा जा रहा है। मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह द्वारा राहुल गांधी के हिंदू और हिंदुत्व के विविध संबंधी विषय को आगे बढ़ाने के साथ वीर सावरकर के कथनों में गौ मांस भक्षण को सकारात्मक बताने के प्रयासों के साथ भी इसे अब जोड़कर देखा जा रहा है। यह विषय हिंदू समाज के उग्र पक्ष को दिखाने के प्रयास के रूप में भी छत्तीसगढ़ सरकार का कृत्य बताया जा रहा है।
देश के बौद्धिक समाज में इस बात की आलोचना हो रही है कि कोई भी विद्वान या संत अपनी बात कहने के लिए जिन अलंकरण और उपमाओ का उपयोग करते हैं वह बौद्धिक दृष्टि से समृद्ध और संपन्न होना चाहिए। गाली गलौज की भाषा में अपनी बात पर कहने का सकारात्मक प्रभाव नहीं होता। इसलिए संत कालीचरण द्वारा महात्मा गांधी के प्रति अपशब्द कहे जाने की कहीं प्रशंसा और समर्थन नहीं हो रहा। लेकिन आजादी के वक्त महात्मा गांधी द्वारा हिंदू समाज के प्रति किए गए व्यवहार के संबंध में चर्चा फिर से प्रारंभ हो गई है। वैसे भी महात्मा गांधी के गांधीवाद के समानांतर गोडसे की घटनाओं का गोडसे वाद के रूप में प्रस्तुत करने का प्रयास लंबे समय से चल रहा है। यह राजनीति आगे कितना और जाएगी अभी कहना कठिन है। छत्तीसगढ़ सरकार का यह प्रयास अपने ही लोगों द्वारा धर्म संसद का आयोजन कराना और उसमें बेबाक और प्रखर वक्ताओं को आमंत्रित कराकर उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई करके हिंदू समाज को लांछनित करने का प्रयास गंभीर चिंता की बात है।