शाह का शिकार बनेंगे कमलनाथ

भोपाल। (विशेष प्रतिनिधि)। देश के गृहमंत्री और भाजपा संगठन में चाणक्य माने जाने वाले अमित शाह ने छिन्दवाड़ा में कमलनाथ को शह दे दी है। सवाल यह है कि कमलनाथ शाह का शिकार बनेंगे और 2024 में छिन्दवाड़ा भी भाजपा की झोली में आ जायेगी? जिस लाव लस्कर से अमित शाह छिन्दवाड़ा गये थे उससे तो अब यह मानना ही होगा कमलनाथ का गढ़ अब भाजपा का होने जा रहा है। यूपी में लोकसभा चुनाव में चमत्कार दिखाने वाले अमित शाह ने जब नाथ को चुनौती दी है तब इसका राजनीतिक मतलब समझा जा सकता है। विधानसभा चुनाव का हिसाब भी बराबर किया जायेगा।

पिछले दिनों अमित शाह छिन्दवाड़ा आये थे। यहां उन्होंने कई कार्यक्रमों में भाग लिया। उनके साथ प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष वीडी शर्मा भी थे। वैसे तो कई केन्द्र सरकार के मंत्री और प्रदेश सरकार के मंत्री भी थे लेकिन अमित शाह के मिशन छिन्दवाड़ा का बड़ा राजनीतिक मायने निकाला जा रहा है। आपात काल के बाद जनता पार्टी की हवा थी तब छिन्दवाड़ा लोकसभा से गार्गीशंकर मिश्र अकेले कांग्रेस के प्रतिनिधि के रूप में संसद में गये थे। सबसे अनुकूल क्षेत्र होने के कारण प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी ने अपने मूंह बोले बेटे कमलनाथ के लिए इस सीट पर वीटो इस्तेमाल कर दिया था। तब से नो बार तक कमलनाथ यहां से प्रतिनिधित्व किया। बीच में वह समय भी आया जब 1997 उपचुनाव में सुन्दरलाल पटवा ने कमलनाथ को चुनौती दी और पराजित किया। इस समय नाथ के बेट नकुल नाथ वहां से लोकसभा के सदस्य हैं। बहुत थोड़े से अन्तर से वहां से चुनाव जीते हैं।

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने एक बार कहा था कि यदि एक सभा और वहां हो जाती तो मध्यप्रदेश  में सभी लोकसभा क्षेत्रों में जीतने का इतिहास बन चुका होता। मुख्यमंत्री रहते छिन्दवाड़ा से विधानसभा चुनाव जीतने में खुद कमलनाथ को ही परेशानी का सामना करना पड़ा था। ऐसे में भाजपा इस सीट पर जीत को आसान मानकर चल रही है। कमलनाथ की राजनीतिक समझ, अनुभव और क्षेत्र में पहचान की काट की रणनीति खुद अमित शाह ने बनाने के लिए अपने हाथ में ली है। वहां पर संबंध रखने वाले सभी दिग्गज नेताओं के साथ स्थानीय स्तर पर मंथन करने से पक्ष और विपक्ष की बातों का उन्हें पता चल गया। अब आने वाला समय शाह द्वारा शह दिये जाने का होगा।

अमित शाह के छिन्दवाड़ा प्रवास के बाद कमलनाथ की नींद उड़ी हुई है। एक अनुभवी नेता होने के कारण चिंता चेहरे पर तो दिखाई नहीं देगी लेकिन अमित शाह का नाम बड़े-बड़े नेताओं की नींद उड़ाने के लिए पर्याप्त है। छिन्दवाड़ा में कमलनाथ द्वारा पोषित भाजपा नेताओं का समय खत्म हो गया और नये नेता आ गये हैं। इसलिए शह के लिए अपनी रणनिति का क्रियान्वयन कराने में अधिक परेशानी नहीं होगी। इसके बाद इसकी संभावना  अधिक है कि शाह नाथ का शिकार कर लेंगे। बस अनुभव ही उनकी रक्षा कर सकता है।

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