विपक्ष के व्यवहार पर प्रधानमंत्री की तीखी टिप्पणी
नई दिल्ली (विशेष प्रतिनिधि)। मानसून सत्र का पहला दिन विवाद और भारी हंगामे के बीच बीत गया। जिन नए मंत्रियों को सत्र से पहले मंत्रिमंडल में शामिल किया गया था, परंपरा के अनुसार उनका परिचय लोकसभा एवं राज्यसभा में दिया जाता है। जासूसी मामले में उत्तेजित विपक्ष ने इस परंपरा का पालन नहीं होने दिया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस व्यवहार से विपक्ष पर खासे नाराज हुए और उन्होंने कह दिया कि विपक्ष का ऐसा व्यवहार कभी नहीं देखा। देश के दलित, महिला, ओबीसी और किसान के बेटे मंत्री बने हैं। यह बात कुछ लोगों को हजम नहीं हो रही है। वे उनका नाम तक सुनना उचित नहीं समझ रहे हैं। जबकि मेजें थपथपा कर उनका स्वागत करना चाहिए यही परंपरा रही है।
संसद के दोनों सदनों में सत्र शुरू होते ही भारी हंगामे की स्थिति निर्मित हो गई। जबकि लोकसभा अध्यक्ष ने सत्र शुरू होने से पहले ही सर्वदलीय बैठक बुलाई थी और सरकार ने उसमें यह आश्वासन दिया था कि सभी विषयों पर खुले मन से चर्चा कराने को तैयार है। इसके बाद भी सत्र के पहले दिन का आगाज हंगामे से हुआ। हंगामे का कारण लगभग 300 लोगों की जासूसी किए जाने संबंधी खबर रहा जो विदेश से पनपी और देश के कुछ खास मीडिया घरानों में प्रकाशित हुई। सदन का पहला दिन इस हंगामे में बीत गया।
एक सत्र से दूसरे सत्र के बीच यदि मंत्रिमंडल में विस्तार या परिवर्तन होता है तब नए मंत्रियों या प्रभार बदलने वाले मंत्रियों का परिचय सदन में नए स्वरूप में कराया जाता है। इसी परंपरा के परिपालन में नए मंत्रियों का परिचय प्रारंभ होते ही सदन में हंगामा शुरू हो गया और यह परंपरा पूरी नहीं हो पाई। सत्ता पक्ष का कहना है कि विपक्ष को यदि हंगामा करना है तब भी इस परंपरा का पालन किया जाना चाहिए था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा देश के दलित, महिला, ओबीसी और किसान के बेटे जब मंत्री बने हैं तो कुछ लोगों को यह हजम नहीं हो रहा। उनका यह आरोप विपक्ष के प्रमुख नेताओं पर था, जो हंगामा कर रहे थे। उन्होंने कहा कि इन्हें सुनना चाहिए और इनका सम्मान करते हुए मेजर थपथपाना चाहिए लेकिन विपक्ष हंगामा कर रहा है। उन्होंने विपक्ष का ऐसा व्यवहार पहले कभी नहीं देखा।