‘विजयवर्गीय’ की भुट्टा-पार्टी में संदेशों की ‘भरमार’

भोपाल (सुरेश शर्मा)। ऐसा नहीं है कि भाजपा के बड़े नेता कैलाश विजयवर्गीय ने पहली बार भुट्टा-पार्टी का आयोजन किया हो। वे हर वर्ष ऐसा करते हैं। जब प्रदेश सरकार में मंत्री थे तब तो परिवार के साथ बुलाते थे। मालवा के नेता हैं इसलिए खाने-पीने का शौक झलकता है। इस बार विधानसभा परिसर में इसका आयोजन करना सबसे पहला संदेश है। हालांकि बाद में यह कहा गया कि सत्र चल रहा था सभी विधायकों को इसमें शामिल करने की मंशा थी। दूसरा संदेश नेता प्रतिपक्ष कमलनाथ और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का जाना-आना ऐसा संगम था कि दोनों रास्ते में मिले, ठहाके लगाए और चले गये। विधानसभा में हुई राजनीतिक नौक-झौक का निजी जीवन में कोई मतलब नहीं था। यही प्रदेश की राजनीति का अनोखापन है। कांग्रेस के विधायकों व पूर्व मंत्रियों का आना राजनीतिक संदेश है। भाजपा के नेता, संघ के अधिकारी और पत्रकारों की त्रिवेणी सहज भाव से नहीं थी। कैलाश का बड़ा कद इसमें साफ झलक रहा था। सभी का भाजपा महामंत्री से मिलना और फोटो खिंचवाना पत्रकार के नाते सोचने को विवश कर रहा था। स्वभाविक है कि इस आयोजन के राजनीतिक मकसद निकालने के कई कारण विद्यमान थे। फिर भी सूई का केन्द्र प्रदेश की सरकार और शिवराज सिंह चौहान के विकल्प की चर्चा तक जाकर रूक जाता रहा है आज भी वहीं घूमता रहा।

अन्त तक कयास लगाने का सिलसिला था। क्योंकि कांग्रेस के विधायकों का जिस आत्मीयता से आना और घुल मिलकर भोजन का स्वाद लेना यह समझने के लिए पर्याप्त था कि भुट्टा पार्टी डिनर डिप्लोमेसी और चाय पर चर्चा की तरह यह नई डिप्लोमेसी हो सकती है। हां, इसमें एक और घटनाक्रम है जिस पर चर्चा के बिना कोई बात का पूर्ण रूप दिया ही नहीं जा सकता। आर्केस्ट्रा पार्टी। सलीके से भजनों का प्रस्तुतीकरण और मनोरंजन का अच्छा साधन था। लेकिन स्थान सबसे बड़े राजनीतिक संदेश का कारक बन गया। कैलाश जी को गाने का बहुत अभ्यास भी है और वे किसी भी मंच को छोड़ भी नहीं पाते हैं। उन्होंने आकर गाना शुरू किया और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान श्रोता बने रहे। पत्रकारों का आग्रह, राजनीति की रणनीति और सम्मिलित प्रयासों के कारण शिवराज सिंह चौहान कैलाश विजयवर्गीय के साथ जुगलबंदी करने लगे। अब समस्या गाने के चयन की थी। जब चयन करने की बात आती है तब मकसद राजनीतिक हो जाता है यह इतने दिनों की पत्रकारिता का अनुभव कहता है। गाना चुना गया यह दोस्ती हम नहीं तोड़ेंगे?

सवाल यह था कि दोस्ती टूटने का खतरा कब था? किससे था? और वह ऐसी कौन सी ताकत है जिसके कारण राजनीति में लगभग विरोधी खेमे के नेताओं को मु_ी बांध का हाथ ऊपर उठकर यह दिखाने को विवश कर दिया। विजयवर्गीय बोले आपने तो आज मीडिया को हैडलाइन दे दी। इलेक्ट्रानिक मीडिया के पत्रकार कह रहे थे कि टीआरपी को हाइट दे दी। स्वभाविक है कि इतने बड़े पदों पर बैठे नेता इस प्रकार का गाना गाएंगे तो वे बेमतलब या गुनगुनाने के लिए तो नहीं गा रहे हैं। इसलिए इस भुट्टा-पार्टी में संदेशों की भरमार है। एक बात और रह गई प्रदेश भाजपा अध्यक्ष वीडी शर्मा इस पार्टी में टिकिट न बनने के कारण नहीं पहुंच पाए।

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