राज्यसभा में उठी विंध्य प्रदेश के गठन की मांग

रीवा। कांग्रेस के राज्यसभा सांसद मध्यप्रदेश कांग्रेस कमेटी पिछड़ा वर्ग विभाग के प्रदेशाध्यक्ष राजमणि पटेल ने राज्यसभा में विशेष उल्लेख के जरिये प्रधानमंत्री से विंध्य प्रदेश के गठन की मांग उठाई। उक्त आशय की जानकारी प्रेस को जारी करते हुये कांग्रेस पिछड़ा वर्ग विभाग के प्रदेश प्रवक्ता एडवोकेट महमूद खान ने बताया कि राज्यसभा सांसद श्री पटेल ने सभापति की अनुमति से स्पेशल मेंशन के जरिये कहा कि 04 अप्रैल 1948 को विंध्य प्रदेश राज्य का गठन हुआ था जिसकी राजधानी रीवा थी। नवम्बर 1956 में विंध्य प्रदेश को तोडक़र बड़े राज्य के परिकल्पना के तहत मध्य प्रदेश मे विलय कर दिया गया, जिसमे अजीज चिंताली और गंगा जैसे लोग विन्ध्य के विलय के विरोध में शहीद हो गये।

श्री पटेल ने आंगे कहा कि विलीनीकरण के बाद विंध्य क्षेत्र की उपेक्षा के कारण विंध्य क्षेत्र के लाखों पढ़े-लिखे बेरोजगार सूरत, मुम्बई, हैदराबाद आदि बड़े शहरों में रोजी रोटी की तलाश मे पलायन कर रहे हैं, तथा लाखो लोग इलाज के लिये नागपुर जाने के लिये विवश हैं। अशिक्षा तथा गरीबी की दशा दयनीय है। प्राकृतिक संसाधनों खनिज, कृषि, जल, पशु, भू-संरचना, उद्योग, मानव संसाधन, पर्यटन आदि क्षेत्रों में विंध्य पर्याप्त रूप से सम्पन्न है। जबकि 42.2 प्रतिशत राजस्व विन्ध्य मध्य प्रदेश को देता है, उसके बदले में विंध्य को विकास के लिये मात्र साढ़े 7 प्रतिशत बजट प्राप्त हो रहा है।

देश के प्रथम प्रधानमंत्री पण्डित जवाहर लाल नेहरू एवं तत्कालीन गृहमंत्री सरदार वल्लभ भाई पटेल ने कहा था कि उत्तर से दक्षिण को जोडऩे वाला विंध्य प्रदेश महत्वपूर्ण राज्य है तथा देश के भीतर जब कभी छोटे राज्य बनाये जायेगें तब सबसे पहले विंध्य को उसका दर्जा वापस दिया जायेगा। पिछले सालों मे कई छोटे राज्यों का निर्माण भी हुआ है। विंध्य को प्रदेश बनाने का सर्व प्रथम प्रस्ताव मध्य प्रदेश विधानसभा से पारित होकर केन्द्र को भेजा गया था, लेकिन आज तक विंध्य प्रदेश का गठन करने की दिशा मे कोई पहल नही की गई है। श्री पटेल ने प्रधानमंत्री से जनभावनाओं का आदर करते हुये विंध्य प्रदेश का गठन करने की मांग की है।

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