‘राज्यपाल’ इतनी नकरात्मकता से मिले ‘कमलनाथ’

भोपाल (सुरेश शर्मा)। कांग्रेस ने कमलनाथ के महामहिम राज्यपाल से मिलने का ब्योरा जारी किया है। समाचार पत्रों ने उसे

सुरेश शर्मा

प्रकाशित भी किया है। जब कमलनाथ जैसा दिग्गज नेता का कोई बयान आयेगा तो समाचार पत्रों में सुर्खियां बनेगा ही। लेकिन यदि कमलनाथ ने मन में प्रदेश को लेकर इतनी नकारात्मकता है तब तो भगवान ही उनकी पार्टी की रक्षा कर सकता है। बयान पर गौर किया जाये जिसे उनके मीडिया समन्वयक नरेन्द्र सलूजा ने जारी किया तो समझ में आता है कि मध्यप्रदेश में सब-कुछ बर्बाद हो गया। डेढ़ साल में कमलनाथ ने जो किया है उसे भी आते ही शिवराज ने ध्वस्त करने का काम किया है। प्रदेश के आदिवासियों में हा-हाकार मचा हुआ है और आदिवासियों के नेता राज्यपाल को उसे देखना चाहिए। प्रदेश का व्यापारी परेशान है, किसान परेशान है, नौजवान बेरोजगार है,  बेरोजगारी बढ़ रही है। अर्थव्यवस्था चौपट हो रही है। याने प्रदेश में सब-कुछ तबाह है। पता नहीं वे प्रदेश की बात कर रहे थे या कांग्रेस संगठन की। इतने बड़े, अनुभवी और योग्य नेता का बयान इतना नकारात्मकता से भरा हुआ जारी होता है तब क्या अनुमान लगाया जाये? सरकार काम करती दिख रही है लेकिन संसाधन कोरोना के कारण प्रभावित हुऐ हैं, सरकार के कारनामों के कारण नहीं। तब कोई क्या सोचेगा?

दशकों तक कमलनाथ ने केन्द्र सरकार में मंत्री के रूप में प्रभावशाली काम किया है। उनकी चर्चा विदेशों तक में हुई है। डंकल जैसे प्रस्ताव में उनकी भूमिका से देश को अच्छा लगा था। लेकिन प्रदेश के मुख्यमंत्री के रूप में उनकी भूमिका की इतनी सराहना नहीं हुई। कारण सबको पता है। पहला कारण यह कि इस समय में भ्रष्टाचार के बहुत आरोप लगे। ट्रांसफर ने काम को प्रभावित किया। बदले की भावना से अधिक काम हुआ जिससे छवि प्रभावित हुई। जब सिंधिया से राजनीतिक विवाद हुआ तो जिस परिपक्वयता की अपेक्षा थी वह सामने नहीं आ पाई। इसलिए कमलनाथ का प्रदेश में आना काफी प्रभावित करने वाला रहा। जिसे सकारात्मक तो नहीं कहा जा सकता है। लेकिन जब राज्यपाल से मिलकर उनका बयान जारी हुआ तब यह समझना मुश्किल हो रहा है कि इस पुराने और दिग्गज नेता में इतनी नकारात्मकता क्यों भर गई है? सरकार का आना जाना नेता को इतना मासूम बना देता है यह समझना होगा। कोरोना काल में हर किसी की एक ही प्राथमिकता रही है कि किस प्रकार से महामारी को कम से कम नुकसान पहुंचाये बिदा किया जाये?

लेकिन कांग्रेस इसमें अर्थव्यवस्था का ऊंचाईयों को देखने का प्रयास कर रही है। 80 करोड़ लोगों को तब से दीपावली तक निशुल्क अनाज देने की योजना चल रही है तब भी गरीब का बेरोजगार दिखाई दे रहा है। जीवन बचाना और पेट भरने की स्थिति देश-विदेश में है तब भी व्यापार व्यवसाय देखने कमलनाथ और अन्य नेता निकल रहे हैं। रचनात्मकता खत्म होने का असर दल और राजनीति पर पड़ता है। ऐसे में जीतू पटवारी का बयान भी चर्चा में आ गया कि अगले चुनाव में कमलनाथ ही चेहरा होंगे तब यह अध्ययन करना और जरूरी हो गया कि आखिर राज्यपाल के सामने प्रदेश की ऐसी तस्वीर क्यों रखना चाहते हैं कमलनाथ?

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