ये ‘अटल जी’ ही हैं जो ‘अब्दुल्ला’ से बुलवाया जय

भोपाल। पिछले कई बार में जम्मू कश्मीर के नेता फारूख अब्दुल्ला को लेकर अखबारों ने गुस्से में लिखा। वे पाकिस्तान की भाषा बोलते दिखे। वे कश्मीर में एकता के पक्षधर नहीं बल्कि अलगाववादियों के सुर में सुर मिलाते दिखे। लेकिन यह तो भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी का दम हो सकता है कि उन्होंने भारत माता की जय बुलवा दी। जय हिन्द बोलने के लिए विवश कर दिया। मौका अटल जी को श्रद्धांजलि देने का था। स्टेडियम भरा हुआ था। अनेक नेताओं के भाषण हुये प्रधानमंत्री ने भी बोला और आडवाणी ने भी। फारूख अब्दुल्ला ने भी बोला और मेहबूबा ने भी। दो नेताओं के भाषणों को मीडिया ने प्रमुखता से दिखाया। आडवाणसी साहब कह रहे हैं कि यह दिन देखना बाकी रह गया था कि अपने मित्र को श्रद्धांजलि देना पड़ रही है। अब आडवाणी साहब अटल बन कर जीना चाहते हैं। जबकि फारूख अब्दुल्ला ने अटल जी को याद करने के बाद सभी से भारत माता की जय का उद्घोष करवाया। एक बार आवाज कम आई तो उन्होंने कहा कि जरा जोर से आवाज देकर बोलें। इसके बाद उन्होंने दो बार और भारता माता की जय बुलवाई। तीन बार जय हिन्द भी बोला। यह सब अटल जी के सानिध्य में ही संभव है। जो अटल से मिला वह उन्हीं का हो गया चाहे पहले हो या अब बाद में।
मेहबूबा ने भी अटल जी को खूब सराहा। उन्होंने यहां तक कह दिया कि अटल जी सभी की भावनाओं का ख्याल रखते थे याने मोदी जी आप भी कुछ समझो। लेकिन कश्मीर में सरकार चली जाने के बाद दोनो ही दलों की बातों में अटल जी को श्रद्धांजलि के बलावा सरकार बनाने की दिशा में कुछ पहल की भावना भी दिख रही थी। फारूख अब्दुल्ला जिसकी भाषा में भारत के प्रति जहर दिखाई देता रहा है। जो अलगाववादियों की भाषा को समझता है और बोलता भी रहा है उसकी भाषा में भारत माता की जय आने के दो ही कारण हो सकते हैं। पहली अटल जी के प्रति विशेष श्रद्धा का प्रदर्शन या फिर कश्मीर में नई सरकार बनाने के लिए समर्थन देने की पहल। हालांकि मेहबूबा ने भी ऐसे ही प्रयास किये लगते हैं। लेकिन अटल जी की ही प्रतिभा, सर्व स्वीकार्यता ही ऐसी है कि उनके साथ बैठने में, सरकार में शामिल होने में और  जाने के बाद उनके सामने भारत माता की जय बोलने में कोई दिक्कत नहीं होती है। यही फारूख अब्दुल्ला ने किया है। फारूख साहब की मंशा जम्मू और कश्मीर के चुनाव कराने की बजाय सरकार बनाने की है और इसी को लेकर भाजपा की भाषा बोली जा रही है।
अटल जी 9 साल तक मौन रहे। उन्हें भारत रत्न दिया गया। राष्ट्रपति के रूप में प्रणब मुखर्जी साहब उनके घर गये और कहा कि उन्हें अटल जी को भारत रत्न देते हुये गर्व की अनुभूति हुई। विरोधियों को भी गर्व की अनुभूति कराने का कौशल अटल जी में था। वे मौन रहने के बाद भी लोगों के लिए अपने ही बने रहे। सभी विपक्षी नेता उनकी तारीफ कर रहे हैं। ममता बनर्जी जो भाजपा के करीब नहीं आना चाहती हैं वे अटल जी के लिए दिल्ली आईं। फारूख अब्दुल्ला को समझ में आ गया कि बिना भारत माता की जय बोले उनका उद्धार नहीं है। वे भारत के साथ रहेंगे तभी भलाई है नहीं तो पीओके के उन नेताओं की हालत समझी जा सकती है। इसलिए फारूख बोले भारत माता की जय।

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