‘मोदी’ से प्रतिशोध पर खुश नहीं थे मनमोहन व ‘पवार’
श्रीमती गांधी ने गुजरात में एक बहुचर्चित बयान दिया था। मौत के सौदागर। गुजरात में इस बयान का इतना असर हुआ था कि इसके बाद कांग्रेस कभी सत्ता के करीब ही नहीं पहुंच पाई। वहां लगातार भाजपा की सरकार है। रही सही कसर निकाल दी नरेन्द्र मोदी से मुख्यमंत्री रहते पूछताछ करवा कर। इसी पूछताछ के बारे में शरद पवार ने मीडिया के एक आयोजन में बोलकर सोनिया गांधी के नकाब से परदा उठाने का प्रयास कर दिया। यह प्रयास आने वाली राजनीति का इशारा भी कर रहा है। मोदी आलोचकों के रूख में धीरे-धीरे बदलाव आ रहा है। वे मोदी के देश के प्रति काम करने के प्रयासों और तरीकों की आलोचना नहीं कर पा रहे हैं। वे यह भी मान रहे हैं कि मोदी की शैली में अधिक दोष नहीं निकाला जा सकता है। जब शरद पवार जैसे राजनीति के दिग्गज का मोदी के प्रति रूख साफ होता जा रहा है तब राहुल गांधी जैसे नवराजनेताओं की समझ पर सवाल उठना स्वभाविक है। यही कारण है कि जनता की भावना को कांग्रेस समझ नहीं पा रही है और लगातार गिरावट की ओर खिसकती जा रही है।
मनमोहन सिंह जब प्रधानमंत्री के पद से हटे तब परम्परा के अनुसार उन्हें नये प्रधानमंत्री से मिलना था। लेकिन मोदी ने मनमोहन सिंह के पास जाकर उन्हें सम्मान दिया। मोदी ने कई नवाचार किये हैं जिससे विपक्षी नेताओं को उनके प्रति दुराभाव को छोडक़र राजनीति करने तक सीमित कर दिया है। लेकिन कांग्रेस ऐसे दुराभाव को छोड़ नहीं पा रही है। इसके पीछे के कारणों की घूल अभी छंटी नहीं है। पता नहीं वे सत्ता जाने के गम से या फिर मिशनरी विस्तार को धक्का लगने से ऐसा कर रहे हैं। हिन्दू और हिन्दूत्व की बात राहुल गांधी द्वारा शुरू किये जाने से तो यह प्रतिशोध धार्मिक आधार पर लगता प्रतीत होता है। लेकिन पवार की घोषणा ने यह जरूर बता दिया कि सोनिया गांधी सरकार का दुरूपयोग करके मोदी से प्रतिशोध ले रही थीं।