मुश्किलों से परेशान ऑटो इंडस्ट्रीज के लिए पैसेंजर और कमर्शियल व्हीकल से उम्मीद की किरण
इंडियन ऑटो इंडस्ट्रीज तमाम ऐसी मुश्किलों से जुझ रही है जो उसके नियत्रंण के बाहर हैं। कोविड -19 , चिप शॉर्टेज और रूस-यूक्रेन की लड़ाई इसी तरह की तमाम समस्याएं है जो पिछले 2 साल से ऑटो इंडस्ट्रीज को परेशान किए हुए हैं। कोविड -19 की पहली लहर के साथ ही ऑटो इंडस्ट्रीज के लिए बड़ी मुश्किल सामने आईं।
लॉकडाउन के कारण कंपनियों को अपने उत्पादन तक बंद करने पड़े लेकिन कोविड की स्थितियों में सुधार के साथ ही इस सेक्टर में पेंटअप डिमांड के कारण सुधार आता दिखा लेकिन तभी कोरोना के दूसरी लहर और सेमी कंडक्टर की सप्लाई से जुड़ी समस्या ने दोबारा ऑटो इंडस्ट्रीज पर हमला कर दिया। जिससे सेक्टर में आ रही रिकवरी एक बार फिर थम गई और जब स्थितियों एक बार फिर सुधरती नजर आ रही थी तब रूस और यूक्रेन के युद्ध ने सेक्टर के रीवाइवल पर एक बार फिर अटैक कर दिया।
ऑटो इंडस्ट्रीज पर रूस-यूक्रेन युद्ध का असर
ऑटो इंडस्ट्रीज को एक साथ कई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है । हाल में इसके सामने सबसे बड़ी चुनौती रूस-यूक्रेन के युद्ध से पैदा हुई है। इस युद्ध के चलते कमोडिटी की कीमतों को आग लग गई है और सप्लाई चेन में मुश्किलें पैदा हो गई हैं। कच्चे तेल की कीमतें आसमान को छूती नजर आ रही हैं।
मोतीलाल ओसवाल की स्नेहा पोद्दार का कहना है कि कमोडिटी की कीमतों में तेज बढ़ोतरी से कंपनियों के मार्जिन पर असर पड़ेगा। इसके अलावा राज्य चुनावों के बाद पेट्रोल डीजल की कीमतों में 15-20 फीसदी की बढ़ोतरी देखने को मिल सकती है। जिसके कारण ऑटो सेक्टर की मांग पर प्रतिकूल असर पड़ सकता है। स्नेहा पोद्दार ने आगे कहा कि रूस-यूक्रेन युद्ध के चलते सेमी कंडक्टर की सप्लाई पर फिर से प्रतिकूल असर पड़ने की संभावना है। क्योंकि रूस और यूक्रेन दोनों ही सेमी कंडक्टर के उत्पादन में इस्तेमाल होने वाले मेटल और गैस के बड़े उत्पादक हैं। रूस और यूक्रेन के इस लड़ाई के चलते सेमी कंडक्टर उत्पादन ईकाईयों को इन कच्चे माल की आपूर्ति में बाधा आ सकती है। हालांकि इन विपरीत परिस्थितियों में भी पैसेंजर और कमर्शियल व्हीकल सेगमेंट में तुलनात्क रूप से मजबूती देखने को मिल रही है । इनकी मांग में तमाम चुनौतियों के बावजूद आगे भी तेजी बने रहने की संभावना है।
ऑटो स्टॉक्स में क्या हो निवेश रणनीति
बीएसई ऑटो इंडेक्स पर नजर डालें तो यह 17 जनवरी 2022 के अपने 26,814.26 के पीक से 08 मार्च 2022 तक 19 फीसदी टूट चुका है। ऑटो सेक्टर ने ब्रॉडर मार्केट इंडेक्स की तुलना में कमजोर प्रदर्शन किया है। ऐसे में क्या इस सेक्टर पर दांव लगाना सही होगा? इस पर बात करते हुए ICICI Securities के वासुदेव बनर्जी (Basudeb Banerjee) का कहना है कि चाहे मार्केट कैप हो या चाहे अर्निंग किसी भी मामले में किसी गिरते हुए चाकू को पकड़ने की कोशिश नहीं करना चाहिए। ऑटो स्टॉक्स के बारे में भी यह तर्क सही है।
वहीं शेयरखान के संजीव होता का कहना है कि निवेश के नजरिए से देखें तो बड़ी गिरावट के बाद कुछ ऑटो स्टॉक्स का वैल्यूएशन अब आर्कषक नजर आ रहा है लेकिन हमारी सलाह पैसेंजर व्हीकल और कमर्शियल व्हीकल सेगमेंट पर ही दांव लगाने की होगी क्योंकि दूसरे सेक्टर की तुलना में PV और CV का डिमांड सिनैरियो अच्छा लग रहा है।