मीडिया के पोस्टर बॉय बन गए टिकैत
भोपाल। विशेष प्रतिनिधि। किसान आंदोलन में एक विशेष चेहरे के रूप में सामने आए भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकट इस समय मीडिया के पोस्टर बॉय बने हुए हैं। जो बात मीडिया को कहना होती है उसे टिकैत के सामने कह देते हैं और वे उसकी तोता रटंत करके मीडिया की सुर्खियां बनते रहते हैं। यह भी देखने में आ रहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ यदि कोई स्टोरी बनाना हो तो राकेश टिकैत को सामने करके अपनी भावनाओं को पूर्ण कर लिया जाता है। जिस उत्तर प्रदेश में चौधरी राकेश टिकैत दो बार चुनाव लड़कर अपनी जमानत गवां बैठे हैं उस उत्तर प्रदेश के मतदाता टिकैत के कहने पर वोट देंगे ऐसा मीडिया रोजाना प्रस्तुत करता है। इससे मीडिया की विश्वसनीयता पर भी सवाल खड़े होने लगे हैं।
किसान नेता राकेश टिकैत इन दिनों मीडिया के सबसे चहेते व्यक्ति के रूप में सामने आ रहे हैं। मीडिया उन्हें टूल किट के रूप में उपयोग कर रहा है और वे उसी प्रकार का जवाब देते हैं जैसी मीडिया को अपेक्षा होती है। राकेश टिकैत को इन दिनों यह भी गुरुर हो चला है कि वे उत्तर प्रदेश के मतदाताओं को अपने इशारे पर मतदान के लिए प्रेरित कर सकते हैं। यह भी बात उतनी ही महत्वपूर्ण है कि नरेंद्र मोदी के खिलाफ अपनी स्टोरी बनाने वाले पत्रकार और मीडिया घराने इन दिनों राकेश टिकैत का उपयोग करने में निरंतर लगे हुए हैं। यही कारण है कि उत्तर प्रदेश विधानसभा के संभावित चुनाव में जीत हार के परिणाम बताने वाली एजेंसियों के पक्ष से विपरीत जाकर मीडिया और अनेकों चैनल इस किसान नेता का उपयोग कर रहे हैं।
राकेश टिकैत इन दिनों जिस प्रकार के तर्कों के साथ अपनी बात कहते हैं वह जोक्स में उपयोग करने जैसी स्थिति में पहुंच गए हैं। राजनीति में लालू प्रसाद यादव हास्य कलाकारों के प्रिय पात्र हुआ करते थे। कविता सुनाते समय श्रोताओं को हंसाने के लिए कभी भी उनके नाम का या उनकी शैली का उपयोग करते रहे हैं। इन दिनों लालू प्रसाद यादव का स्थान राकेश टिकैत धीरे-धीरे करके लेते जा रहे हैं। उनके नाम पर जोक्स बन रहे हैं। कवि सम्मेलनों में वे जनता को हंसाने के लिए लालू यादव का स्थान ग्रहण करते हुए दिखाई दे रहे हैं। यहां यह उल्लेख करने वाली बात है कि कृषि सुधार कानूनों में कमी की आड़ को लेकर जो आंदोलन किया गया था वह आंदोलन राकेश टिकैत की लोकप्रियता का एक आधार जरूर बन गया। लेकिन किसानों के हित में कुछ लेकर आंदोलन समाप्त हुआ हो ऐसी कोई बात सामने नहीं आ रही। इसलिए इन दिनों यह चर्चा जोरों पर है कि चाहे राकेश टिकट अपने आप को जो समझे वे मीडिया के पोस्टर बॉय से अधिक कुछ नहीं है। आने वाले समय में किसान नेता की छवि के बजाय वह एक हास्य पात्र के रूप में दिखाई देने लग जाएंगे।