‘मानव’ सेवा ही मकसद है संघ का बता गये ‘नारायण’
यही संघ का मकसद है। देश के लिए बेहतर नेता, समाज के लिए उत्तम किरदार निभाने वाले सेवक और संघ के लिए आदर्श स्वयंसेवक तैयार करना। नारायण भाऊराव ने यही सिद्ध किया। वे जीवन के आठ दशक पूरे कर चुके थे। उन्होंने कहा कि उन्होंने अपना जीवन जी लिया है। इस युवक का जीवन शेष है। इसलिए कोरोना के लिए आरक्षित मेरा बेड इसे दे दिया जाये। हुआ ऐसा ही युवक तो बच गया लेकिन तीसरे दिन नारायण राव चल बसे। यह संघ के आदर्श की एक मिशाल है। अनेकों स्वयंसेवक सेवा कर रहे हैं। लेकिन नारायण जी ने आदर्श स्थापित कर दिया और इस नश्वर शरीर को छोड़कर नारायण के पास चले गये। यह सब चर्चा में इसलिए आ गया क्योंकि इन दिनों मीडिया की नजर सब पर टिकी हुई है और मीडिया के सामने बात लाने का समय है। संघ की ओर से ऐसा कोई बयान जारी नहीं किया गया। यही आदर्श इस बात को प्रमाणित करता है कि संघ द्वारा निर्माण के कारण ही पूरा देश संघ की प्रशंसा करता है। उसके विचारों की राजनीतिक पार्टी को केन्द्र और प्रदेश की सरकारों संचालन करने का मौका दिया है।
यह ऐसा अवसर भी है जब यह कहने की स्थिति निर्मित होती है कि संघ को जब तक करीब से देख न लिया जाये आलोचनाओं पर भरोसा नहीं करना चाहिए। आलोचना करने वाले एक मकसद को लेकर ऐसा करते हैं। वे सकारात्मकता में भ्रम पैदा करने का प्रयास करते हैं जितना हो जाये। जितना हो जायेगा उसका राजनीतिक लाभ लेने का प्रयास करते हैं। संघ में आये दिन सेवा के उदाहरण सामने आते हैं और केन्द्र मेंं पांच साल से अधिक समय से सरकार है लेकिन कोई भी पक्षपात का आरोप नहीं लगा है। यही संघ है जो केवल देशहित और समाजहित के बारे में ही सोचता है।