‘महामारी’ में त्योंहार उगलेगा वोटों की ‘फसल’

भोपाल (सुरेश शर्मा)। आखिरकार वर्षों से जिस तुष्टिकरण का आरोप लगाया जा रहा था उसका प्रमाण मिल ही गया। केरल की

सुरेश शर्मा

वाम दलों के नेतृत्व वाली संयुक्त सरकार ने बकरीद के अवसर पर छूट देने के विशेष प्रयास की अब सभी क्षेत्रों में आलोचना हो रही है। बकरीद पर तीन दिन की विशेष छूट दी गई थी ताकि बाजारों में जाकर खरीदी की जा सके। केरल वह राज्य है जहां कोरोना की पॉजिटीविटी दर 15 प्रतिशत से अधिक है। जबकि कोरोना प्रोटोकाल में 5 प्रतिशत से नीचे दर आने पर ही राहत देने के बारे में सरकार विचार कर सकती है। जिस यूपी में पॉजिटीविटी एक प्रतिशत से भी बहुत कम है वहां पर कांवड़ यात्रा की छूट को सर्वोच्च न्यायालय ने रोक दिया है। सर्वोच्च न्यायालय ने केरल को लेकर भी कड़ा रूख अपनाया है। लेकिन केरल की सरकार ने बहुत चतुराई से अपना काम कर लिया और लोगों की जान के साथ खिलवाड़ करने में कोई कसर नहीं छोड़ी है। इसलिए डाक्टरों की संस्था और देश की सबसे बड़ी अदालत ने इस बारे में कड़ा रूख अपनाया है। केरल सरकार ने मुस्लिम वोटों का लाभ लेने के लिए इस प्रकार की छूट देकर बाकी समाज और लोगों के प्राणों की रक्षा करने की अपनी जिम्मेदारी से मूंह मोड़ लिया है। यह गभीर तुष्टिकरण का मामला है।

केरल के मुख्यमंत्री पिनरई विजयन ने अपनी सरकार से बकरीद पर मुस्लिम समाज के लोगों को बाजार की छूट दिलवाकर महामारी के लिए बचाव नियमों का उल्लंघन किया है। इससे कोरोना के विस्तार का अवसर मिलने की संभावना अधिक बन गई है। केरल में पहले से ही महाराष्ट्र के बाद सबसे अधिक पॉजिटीविटी दर है। जबकि देश के अन्य राज्यों में कोरोना पर नियंत्रण पाने में सफलता जैसी स्थिति बनती दिखाई दे रही है। जब केरल में महामारी की संभावना अधिक है, ऐसी स्थिति में त्योंहार की चिन्ता करना प्राथमिकता होना चाहिए या प्राणरक्षा करना। वामपंथी सरकार की राजनीतिक मानसिकता के हिसाब से ही वे न तो भगवान को मानते हैं न ही त्योंहारों के प्रति ही कोई उनका समर्पण है। ऐसे में यदि जब छूट देने का निर्णय सरकार ने लिया तब इसके पीछे केवल राजनीतिक कारण ही देखे जा सकते हैं। देश में गैर भाजपाई दलों में मुस्लिम वोटों को अपने पक्ष में करने की होड़ मची है। जब से बंगाल में मुस्लिम प्रभाव वाली सीटें भाजपा को रोकने के लिए तृणमूल कांग्रेस के खाते में गईं हैं और कांग्रेस व वाम दलों का खाता भी नहीं खुल पाया उसका भय भी इसमें दिखाई दे रहा है।

सर्वोच्च न्यायालय के सामने केरल का मामला तो पेश किया गया है जबकि यूपी की कांवड यात्रा का अनुमति का सर्वोच्च न्यायालय ने खुद संज्ञान लिया है। यूपी सरकार को निर्देश जारी करके कांवड़ यात्रा पर रोक लगाने के लिए कहा गया है। लेकिन केरल मामले में न्यायालय ने कहा है कि यह घोर लापरवाही है। यह कोरोना प्रोटोकाल के विरूद्ध प्रयास हैं। सरकार को ऐसी भूल नहीं करना चाहिए और आम लोगों की रक्षा करने की दिशा में अधिक से अधिक काम करना चाहिए। डाक्टरों की एसोसियेशन ने भी इस पर कड़ा एतराज जताया है। लेकिन जिस तुष्टिकरण का आरोप इन दलों पर लग रहा था यह उसका सबसे प्रमाणित प्रमाण है।

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