‘मर्यादा’ के लिए अमर्यादा को रोकने के ‘प्रयास’
भोपाल। तीन दिन पहले सपा के सांसद आजम खां ने लोकसभा की आसंदी पर बैठी श्रीमती रमादेवी पर अमर्यादित टिप्पणी की थी। उस दिन ही भास्कर न्यूज चैनल ने मुझे डिबेट में बुलाया था। कुछ तकनीकी बातों को छोड़कर मुझे भी लगा था कि अपनी अमर्यादित टिप्पणी में आजम खां ने सभी सीमाओं को लांघ दिया है। मैने यह कह दिया था कि घटना को कार्यवाही से विलोपित करने की बजाय दंड की व्यवस्था करना चाहिए। यह तो मातृशक्ति की ताकत का प्रमाण है कि लगभग मार दिया गया विषय फिर से जिंदा हो आया। दलगत भावनाओं से ऊपर उठकर महिला सांसदों ने इसे अपनी इज्जत से जोड़ा और एक स्वर में कह दिया कि आजम खां के खिलाफ कार्यवाही की जाना चाहिए। उनका संवाद द्विअर्थी था और इसके गंभीर मायने निकल रहे हैं। इस मांग ने लोकसभा के स्पीकार की आत्मा को भी जगाया और उन्होंने भी अल्टरमेटम जारी कर दिया कि यदि माफी नहीं मांगी तो कार्रवाई के लिए तैयार हो जायें। कया इस माफी नामें में लोकसभा की ताकत की धमकी शामिल नहीं है? यदि इस प्रकार से ताकत की धमकी देकर माफी मांगवाई जायेगी तब गलती करने वाले को अपराधी कैसे सिद्ध किया जायेगा और किस प्रकार से उस मन को शुद्ध किया जायेगा जिसमें इस प्रकार का अपराध करने की क्षमता छुपी है। जयाप्रदा भी सोच रही होंगी कि चलो देर से ही सही कुछ हुआ तो।
लोकसभा के चुनाव के वक्त भाजपा से चुनाव लड़ रही सिने तारिका जयाप्रदा को लेकर जिस अभद्र और गिरी हुई भाषा का इस्तेमाल आजम खां ने किया था वह आज भी मस्तिस्क पटल से ओझल नहीं हुआ है। लेकिन श्रीमान छुट्टा घूमते रहे। विदिशा में पत्रकारों को गरियाया था तब भी कोई विवाद नहीं बना। गौहर विश्व विद्यालय के लिए सैंकड़ों एकड़ जमीन जबरिया कब्जाने और उसे खरीदने के लिखाफ जब कार्यवाही हुई तो इन्हें भू-माफिया घोषित किया गया और अब न्यायालय में मुकदमा दायर किया गया है तब एक विशेष प्रकार के अपराध का पर्दाफाश हुआ है। लेकिन हिम्मत को देखिये देश की सबसे बड़ी पंचायत संसद में भी वह अपनी अपनी हरकतों से बाज नहीं आया। अपने गंदे शब्दों का उपयोग भी आसंदी पर बैठी महिला सभापति पर कर दिया। पहले दिन यह मामला टल गया था क्योंकि उसे कार्यवाही से विलोपित कर दिया था। लेकिन महिला ने अपनी शक्ति को पहचाना और फिर से दबाये गये अपराध को सामने लाया और अब उस पर सजा देने की बात की जा रही है।
ऐसे आदतन अपराधियों को माफी मांगने का अवसर क्यों दिया जाये यह सवाल तो उठेगा? न्याय से पहले माफी मांगने का प्रावधान केवल लोकसभा में क्यों है? सभी दलों की एक राय बनाईये और आजम खां की सदस्यता को समाप्त करिये तभी केवल संदेश जा पायेगा? इसमें आश्चर्य इस बात का भी सामने आया कि उनकी पार्टी के प्रमुख लेकिन उनके भतीजे अखिलेश यादव ने भी चचा की तरफदारी ही की। उनका ऐसा करना तो जायज है क्योंकि उनक पिताश्री ने रेप पर बयान देकर कह दिया था कि जवानी में ऐसी गलतियां हो ही जाती हैं। लेकिन अब संसद में ऐसी गलतियां नहीं होना चाहिए। आजम को जमकर सजा दी जाना चाहिए।