मंत्रालय को दलालों का अड्डा बना दिया था कमलनाथ ने : शिवराज
भोपाल ( विशेष प्रतिनिधि)। मौका भी था, दस्तूर भी था और वक्ता थे शिवराज सिंह चौहान। पहली बार ऐसा हुआ है कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कमलनाथ सरकार पर भ्रष्टाचार के अधिकृत आरोप लगाए हैं। दमोह की अपनी सभा में मुख्यमंत्री ने कहा कि वे ऑन रिकॉर्ड यह बात कहते हैं कि कमलनाथ सरकार के समय मंत्रालय दलालों का अड्डा बन गया था। वहां के दामों पर काम होते थे और पूरा प्रशासन तंत्र इस काम में लगा दिया गया था। मुख्यमंत्री की इस प्रकार की घोषणा महज राजनीतिक लाभ के लिए है या प्रदेश में हुई लूट के खिलाफ कोई एक्शन लेने की मंशा के साथ है यह अभी स्पष्ट नहीं हो रहा है।
राजनीति में नेताओं के द्वारा एक दूसरे पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाने का चलन कोई नई बात नहीं है। शिवराज सिंह चौहान ने अपने मुख्यमंत्री तत्व काल में व्यापम में गड़बड़ियों की शिकायत आने पर खुद ही जांच के आदेश दिए थे। वे लोग पकड़ में भी आए थे जो गड़बड़ियों में शामिल थे लेकिन मध्य प्रदेश कांग्रेस सहित देशभर में विपक्षी दलों ने व्यापम भ्रष्टाचार के सारे आरोप शिवराज सिंह चौहान के मत्थे मढ़ने का प्रयास किया। न्यायिक प्रक्रिया में ऐसा कोई आरोप ठहर नहीं पाया या फिर लगाया ही नहीं गया। अब जब मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने दमोह उप चुनाव के वक्त कमलनाथ सरकार के द्वारा मंत्रालय को दलालों का अड्डा बनाए जाने संबंधित आरोप लगाया है तब क्या इसका हश्र भी वही होगा जो व्यापम मामले का हुआ है?
आयकर विभाग ने भी पिछले दिनों चुनाव आयोग को नाथ सरकार के कार्यकाल में हुए अवैध लेनदेन के संबंध में शिकायत दी थी। वह शिकायत मध्यप्रदेश की सरकार के पास पहुंचे लंबा समय बीत गया लेकिन किसी भी प्रकार की कार्यवाही की हर हलचल दिखाई नहीं दे रही है। नेताओं द्वारा आरोप लगाकर ठंडे बस्ते में डालना सामान्य बात हो गई है। इसीलिए लगता है कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने मंत्रालय में होने वाले भ्रष्टाचार का ऑन रिकॉर्ड आरोप लगाकर गेंद मतदाताओं के बीच में जरूर फेंक दी लेकिन वह वोट चिपकाकर तो अपने वापस पास ला सकती है परंतु उसका कानूनी परिणाम शायद ही सामने आए।