भीतरघात कांग्रेस में जीत नंदू भैया की

खंडवा। (अशोक शर्मा) आठ विधानसभा क्षेत्रों को मिलाकर बने खंडवा लोकसभा क्षेत्र में भाजपा के पूर्व अध्यक्ष और यहां से लगातार सांसद रह रहे नंद कुमार सिंह चौहान को कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष अरूण यादव कोई बड़ी ुचनौती पेश करते हुये नजर नहीं आ रहे हैं। जिन सीटों पर कांग्रेस के विधायक हैं वे भी विधानसभा चुनाव जैसा वातावरण बनाने की स्थिति में नहीं हैं। भीतरघात के कारण कांग्रेस कमजोर हो रही है और भाजपा इस सीट को बचाती दिखाई दे रही है।
विधानसभा चुनाव में खंडवा का समीकरण कांग्रेस के पक्ष में चला गया था। यहां से मंत्री रही श्रीमती अर्चना चिटनिश एक निर्दलीय प्रत्याशी से हार गईं। उस विधायक शेरा को चुनाव से पहले ही मंत्री बनाने का वादा कर लिया गया। इसलिए उसने अपनी पत्नी का परचा वापस ले लिया। लेकिन इसका मतलब यह नहीं हुआ कि उसने अरूण यादव के पक्ष में सरेन्डर कर दिया। उनके समाज के वोट नंदू भैया के पक्ष में जा रहे हैं। मांधाता में नारायण पटेल विधायक तो हो गये लेकिन सांसदी में वोट भाजपा को जा रहे हैं। बाकी क्षेत्रों में भी समीकरण नंदू भैया के पक्ष में जाता हुआ महसूस हो रहा है। नरेन्द्र मोदी की हवा का लाभ मिल रहा है वह अलग से है। इसलिए आम धारणा यह है कि नंदू भैया के चुनाव जीतने की संभावना अधिक है।
ऐसा नहीं है कि अरूण यादव कमजोर प्रत्याशी हैं। उनकी मंत्री भाई  सचिन यादव लगातार प्रयास कर रहे हैं। प्रशासन का समर्थन भी है। चूंकि प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष रहने के कारण कार्यकर्ताओं का साथ मिल रहा है। लेकिन पुराने नेता और उनके समर्थक विरोध में खड़े दिखाई दे रहे हैं। भीतरघात की इतनी खबरे मिल रही हैं जिससे जीत की संभावना मानना कठिन हो रहा है। मतदाता कई बार इस प्रकार की परिस्थितियों को बदल देता है लेकिन अरूण यादव इसमें भी भाग्यशाली नहीं दिखाई दे रहे हैं।

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